बच्चे के जन्म के 10 से 12 दिन बाद नामकरण संस्कार किया जाता है। हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक यह संस्कार बहुत ही मायने रखता है। इसी संस्कार के बाद बच्चे को उसका नाम व पहचान मिलता है। कहते हैं बिना के क्या पहचान? क्योंकि व्यक्ति को उसके नाम से अधिक जाना जाता है। इसलिए हर कोई चाहता है कि इसके जिगर के टुकड़े का नाम शुभ व अच्छा हो। यदि आप भी अपने बच्चे का नाम सार्थक व लोकप्रिय रखना चाहते हैं तो आप सही जगह आएं हैं। लेकिन सबसे पहले हम जान लेते हैं कि नाम का कैसा प्रभाव पड़ता है बच्चों के ऊपर? क्यों लोग ज्योतिष की सलाह के मुताबिक बच्चे का नाम रखना पसंद करते हैं?
आदिकाल से ही भारत में कई नाम रखने का प्रचलन रहा है। यहां तक की लोगों के एक दो नहीं बल्कि चार नाम तक रखे जाते थे। लेकिन इस प्रचलन में समय के साथ कमी आई है। अब लोगों का नाम ज्यादा से ज्यादा एक या दो नाम ही होता है। लेकिन फिर भी दो नाम भी होना बच्चे के ऊपर अपने शक्ति व गुण के मुताबिक असर डालता है। जैसा बच्चे का नाम होता है बच्चा वैसे ही ढ़लता चला जाता है। माना जाता है कि नाम से किसी के भी बारे में बहुत कुछ जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ज्योतिष की माने तो नाम से जातक के गुण, अवगुण, स्वभाव, व्यवहार, प्रवृत्ति, मानसिकता, सामाजिक स्तर के साथ ही वह जीवन में कितना सफल होगा यह भी जाना जा सकता है। इसलिए बच्चे का नाम रखने से पूर्व ज्योतिषीय सलाह जरूर लें। जिससे आप अपने बच्चे का नाम उसके राशि न नक्षत्र के अनुसार रख सकें।
प्राचीन काल से भारत में नाम रखने की प्रक्रिया में ज्योतिष विधा का सहयोग लिया जा रहा है। राजा हो या रंक वह अपने बच्चे का नाम ज्योतिष के जानकार से परामर्श लेकर ही तय करते थे। वहीं प्रथा आज भी चली आ रही है। आज भी लोग ज्योतिष व पंडित के बताए गए नाम को ही अधिक महत्व देते हैं। ऐसा क्यों आपके कभी सोचा है? नहीं तो हम आपको बता दें कि हिंदू धर्म में नामकरण संस्कार विधिवत किया जाता है। इस संस्कार में जातक की कुंडली का निर्माण कर उसके राशि व नक्षत्र के बारे में पता किया जाता है। हर राशि के भीतर नक्षत्र के नौ चरण होते हैं। इन नौ चरणों में से किस में जातक का जन्म हुआ है इसका पता केवल ज्योतिष विद्वान ही बता सकते हैं। इन नक्षत्र के नाम वर्ण निर्धारित किया गया है उसी के आधार पर किसी भी जातक का नाम रखा जाता है।
ज्योतिष के मुताबिक नाम का हर जातक के ऊपर सीधा असर पड़ता है। इसलिए आदिकाल से ही इस मामले में ज्योतिषीय परामर्श लिया जा रहा है। ताकि जातक के जीवन में नाम के चलते कोई परेशानी न आए। लेकिन कहते हैं ना कि परेशानी आती नहीं हम उसे खुद भी पैदा कर लेते हैं। परंतु कैसे? वो ऐसे कि कभी कभार किसी जातक का पुकारने वाला नाम अलग होता है जिसके चलते जातक के ऊपर उसका असर विपरीत भी पड़ जाता है। इसलिए पुकारने वाला नाम भी राशि व नक्षत्र के अनुसार होना चाहिए। खैर आप यदि नाम वर्ण जानते हैं तो यहां आप अपने बच्चे के लिए आपके मन मुताबिक नाम मिल जाएगा।