जिस तरह सावन के महीने को भगवान शिव आराधना का माह माना जाता है। वहीं श्रावण में शिव के परिवार की पूजा का भी एक अलग ही महत्व है। जिस तरह सावन के प्रत्येक सोमवार को हम शिव की पूजा करते हैं ठीक वैसे ही प्रत्येक मंगलवार को हम मां गौरी की पूजा करते हैं, जिसे मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) कहा जाता है। यह कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ समुदायों में विवाहित और अविवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है।
यह पूजा देवी पार्वती या गौरी की पूजा के लिए समर्पित है, इस इरादे के साथ कि मां गौरी समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और वैवाहिक जीवन के साथ सुखी गृहस्थ जीवन का आशीर्वाद देंगी। यह व्रत महिलाओं द्वारा विवाह के पहले पांच वर्षों के दौरान किया जाता है। तो आइए जानते हैं एस्ट्रोयोगी के ज्योतिषी (Jyotishi) से इस व्रत की तिथि, पूजा विधि और लाभ के बारे में विस्तार से....
2021 में मंगला गौरी व्रत तिथि
- पहला मंगला गौरी व्रत: 20 जुलाई 2021
- दूसरा मंगला गौरी व्रत: 27 जुलाई 2021
- तीसरा मंगला गौरी व्रत: 03 अगस्त 2021
- चौथा मंगला गौरी व्रत: 10 अगस्त 2021
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मंगला गौरी व्रत पूजा समाग्री
- लाल फूल की 16 मालाएं, 16 लौंग, 16 चूड़ियां
- सुपारी
- इलायची
- फल
- पान
- सूखे मेवे
- मिठाई
- अनाज
- लड्डू
- सुहाग की चीजें
- सात प्रकार के धान
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि
- सावन में प्रत्येक मंगलवार को इस व्रत को करने के लिए संकल्प किया जाता है। संकल्प के समय 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये' मंत्र का जाप किया जाता है।
- मंगलवार के दिन सुबह प्रातः काल उठकर, नित्यक्रिया और स्नानादि के बाद व्रत आरंभ होता है।
- सबसे पहले चौकी पर सफेद लाल कपड़ा बिछाया जाता है।
- फिर सफेद कपड़े पर चावल से नवग्रह बनाए जाते हैं और लाल पर षोड्श माताएं गेहूं से बनाते हैं।
- इसके बाद चौकी के एक तरफ प्रथम पूज्य गणपति को स्थापित करते हैं और दूसरी तरफ जल से भरा कलश स्थापित करते हैं।
- आटे से चौमुखी दीपक बनाते हैं और 4-4 बत्तियां रखकर जलाते हैं।
- सबसे पहले श्रीगणेश का पूजन किया जाता है उसके बाद मां गौरी की प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान कराकर, वस्त्र, 16 ऋंगार की वस्तुएं, 16 चूड़ियां और सूखे मेवे 16 जगह बनाकर अर्पित करते हैं।
- तत्पश्चात मंगला गौरी व्रत कथा का श्रावण किया जाता है। कथा के बाद विवाहित महिलाएं अपनी सास और ननद को 16 लड्डू देती हैं।
- इसके बाद ब्रह्माण को प्रसाद दिया जाता है।
- दिनभर व्रत करते हुए संध्या के वक्त अन्न पारण किया जाता है। तब कहीं व्रत पूर्ण होता है।
मंगला गौरी व्रत के लाभ
- स्वस्थ और समृद्ध घर सुनिश्चित करता है।
- विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
- रक्त संबंधी बीमारियों से बचाता है।
- ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करता है।
- मुकदमों और दुश्मनों से विजय का आशीर्वाद मिलता है।
- ऋण को समाप्त करता है और धन लाभ प्राप्त होता है ।
- इस व्रत से लड़कियों में मांगलिक दोष भी कम होता है।
- अविवाहित कन्याओं को इस व्रत को करने पर अच्छे पति की प्राप्ति होती है।
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