मां कौन इस शब्द की महिमा को नहीं जानता? जो जन्मा है वह मां के महत्व को भली भांती जानता है। मनुष्य ही नहीं बल्कि समस्त जीवों में माता के प्रति लगाव होता है और हो भी क्यों न आखिर मां ही तो है जो अपने मुंह में निवाला डालने से पहले अपनी संतान की भूख को शांत करती है। उसके सुख का ख़याल रखती है। गर्भधारण से लेकर प्रजनन तक तो मां की पीड़ा को मां के सिवा कोई भी महसूस नहीं कर सकता। प्रजनन के बाद से लेकर जब तक शिशु होश नहीं संभाल लेता मां ही उसका संसार होती है। मां का महत्व तो इतना है कि उस पर तो हर दिन न्यौछावर होना चाहिये लेकिन आज के इस भागदौड़ भरे जीवन में जब सभी अपने घोंसलों से उड़ान भरने लगते हैं तो विशाल आसमां को देखने के चक्कर में मां कहीं विस्मृत हो जाती है। ऐसे में मदर्स डे की अहमियत काफी हो जाती है। तो आइये जानते हैं मातृ शक्ति के सम्मान के इस विशेष दिन मातृ दिवस यानि मदर्स डे स्पेशल (Mother’s Day Special) के बारे में।
वर्तमान में किसी भी चीज के इतिहास में झांकने का आइना गूगल बन गया है जहां चित्र भले ही धुंधले दिखाई दे या भिन्न शक्लों में दिखाई दें लेकिन कुछ न कुछ जानकारी इस सर्च ईंजन से मिल ही जाती है। वर्तमान में जिस प्रकार मदर्स डे मनाया जाता है यानि मई माह के दूसरे रविवार के दिन तो इसका इतिहास बताता है कि यह मदर्स डे को उत्सव के रूप में मनाये जाने का श्रेय एक अमेरिकन महिला एना जार्विस को जाता है जो कि अमेरिकन सिविल वार के दौरान एक शांति कार्यकर्ता थी और दोनों तरफ के ज़ख्मी सैनिकों की देखभाल करती थी। एना मानती थी कि एक मां आपके लिये जो करती है वह दुनिया में और कोई भी नहीं कर सकता। इसी कारण उन्होंने मदर्स डे को एक उत्सव के रूप में मनाये जाने की मुहिम छेड़ी। 1908 में उन्होंने ग्रेफ्टन, वेस्ट वर्जीनिया की सेंट एंड्रूय मेथडिस्ट चर्च में अपनी मां याद में एक सभा का आयोजन किया और दुनिया की समस्त माताओं का सम्मान किये जाने की अपील करते हुए इस दिन अवकाश घोषित करने का प्रस्ताव रखा। कई उतार-चढ़ावों और संघर्षों के बाद अमेरिका में स्थानीय स्तर पर तो यह लगभग इस दिन अवकाश घोषित हो चुका था। लेकिन इसकी आधिकारिक रूप से शुरूआत 8 मई 1914 अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन द्वारा मदर्स डे को मई माह के दूसरे रविवार को माताओं के सम्मान में राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने के पश्चात हुई।
भारत में मदर्स डे को मातृ दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में यह पिछले कुछ दशकों से अधिक चलन में आने लगा है।
आज के आधुनिक दौर में भौतिकतावादी जीवन का प्रभाव कहें या पश्चिमी शैली का असर संयुक्त परिवार बिखर कर एकल परिवार होने लगे हैं। बच्चे मां-बाप से दूर रहने लगे हैं। व्यासायिक मजबूरियां कहें या रिश्तों में दूरियां वर्तमान में इस तरह के दिनों की भूमिका अहम होती जा रही है। लेकिन सिर्फ मदर्स डे के दिन ही नहीं बल्कि हर एक दिन बच्चों को अपने माता-पिता के प्रति अपने दायित्वों के बारे में समझने की आवश्यकता है। विशेषकर अपनी जननी के प्रति तो बच्चों का और भी अधिक फ़र्ज बनता है।
जब बच्चे बड़े हो जायें तो उन्हें अपने माता पिता की देखभाल करनी चाहिये। जिस तर बचपन से माता पिता बच्चों की बुनियादी जरूरतों को बिना कहे तो कुछ अनावश्यक जरूरतों को जिद्द के चलते पूरा करते आये हैं उसी तरह अब आपका फ़र्ज बनता है कि आप भी उनकी ज़रूरतों को समझें। हालांकि आप भले अपनी इच्छाओं के लिये माता पिता के सामने अड़ जाते हों लेकिन माता पिता आपसे कभी नहीं कहेंगें उन्हें क्या चाहिये इसलिये यह आपको ही समझने की आवश्यकता है। यदि आप ऐसा करने में सक्षम हैं तो फिर आपके माता-पिता आपको पाकर खुद को धन्य समझेंगें।
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जैसा कि पहले ही हम जानकारी दे चुके हैं कि मातृ दिवस। मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। वर्ष 2020 में मई माह का दूसरा रविवार 10 मई को है। इसलिये इस बार मां के प्रति न्यौछावर यह दिवस 10 मई को मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी। आप सभी पाठकों को एस्ट्रोयोगी की ओर से मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।