प्रायः व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य से जुड़ी हुईं समस्यायें तो मौजूद रहती ही हैं। अगर किसी व्यक्ति का सूर्य कमजोर होता है तो आदमी के जीवन में संघर्ष बना रहता है। संघर्ष करने के बाद भी सफलता दूर-दूर तक नज़र नहीं आती है। फिर आदमी निराश और परेशान हो जाता है।
सूर्य कुंडली में आत्मबल, आत्मविश्वास व ऊर्जा का कारक माना जाता है। अगर कुंडली में किसी जातक का सूर्य कमजोर होता है तो उस जातक के जीवन में पैसा कम व संघर्ष ज्यादा बन जाता है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए और संघर्ष को खत्म करने के सूर्य का कुंडली में बलि होना अति आवश्यक बन जाता है।
अब आप अगर यह सोच रहे हो कि हम आपको डरा रहे हैं तो आप बिलकुल गलत सोच रहे हो। कुंडली में पीड़ा के कारणों में सूर्य का कमजोर होना तो बहुत ही आम बात है। अगर कुंडली में सूर्य अच्छी स्थिति में है तो व्यक्ति को नई ऊर्जा शक्ति प्राप्त होती रहती है।
बारह मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इसके देवता सूर्य हैं। सूर्य व्यक्ति को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है। बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से सूर्य का ओज एवं तेज प्राप्त होता है।
सिद्ध बारह मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति की गरीबी को दूर कर सकता है। इस रुद्राक्ष के कारण परिवार को सुख एवं संपत्ति प्राप्त होती रहती है। शास्त्रों में सूर्य देव के इस रुद्राक्ष को अश्वमेघ के समान शक्तिशाली बताया गया है। इस रुद्राक्ष द्वारा दु:ख, निराशा , कुंठा , पीड़ा और दुर्भाग्य का नाश होता है। व्यक्ति सूर्य की भांति यशस्वी बनता है।
यदि कोई व्यक्ति बहुत जल्दी-जल्दी बीमार हो जाता है या मानसिक रूप से कोई जातक परेशान रहता है तो ऐसे में बारह मुखी रुद्राक्ष उस व्यक्ति के लिए ब्रह्मास्त्र के समान है। हृदय रोग, फेफड़ों के रोग और त्वचा रोग संबंधी सभी प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक परेशानियों का यह रुद्राक्ष नाश करता है।
बारह मुखी रुद्राक्ष को अच्छे मुहूर्त में रविवार के दिन धारण करने से व्यक्ति को इस रुद्राक्ष का पूरा-पूरा लाभ होता है। ध्यान रखने योग्य बात यह है कि यह रुद्राक्ष मन्त्रों द्वारा सिद्ध किया गया हो।