हमारे भाग्य में क्या है यह हमें नहीं पता। लेकिन इसका कुछ हद तक पता लगाया जा सकता है। जी हां हम अपने भाग्य के बारे में पूरा नहीं तो कुछ तो जान ही सकते हैं। लेकिन कैसे यह प्रश्न भी लाज़मी है। यही प्रश्न मेरे भी मन उठा था और इस प्रश्न का जवाब मुझे ज्योतिष से मिला। जी हां ज्योतिष से, यही एक ऐसी विधा है जिसके जरिए ज्योतिषाचार्य हमारे जीवन में घटने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाते हैं। परंतु यह ज्योतिषचार्य यह आकलन करते कैसे हैं? यह भी एक प्रश्न हैं जिसका जवाब मिलना जरूरी है। इसका जवाब है जिसे हम यहां देने जा रहे हैं। जो आइए जानते हैं कि ज्योतिष कैसे बताते हमारे भाग्य के बारे में?
ज्योतिषियों की माने तो भाग्य का संबंध सीधा ज्योतिष है। क्योंकि इस विधा से ही किसी व्यक्ति के स्वभाव के साथ वह अपने जीवन में क्या अर्जित कर सकता है। इसका अनुमान लगाया जाता है। कुंडली में ग्रह की स्थिति के आधार पर व्यक्ति के सुख समृद्धि का ज्योतिष पूर्वानुमान लगाते है। परंतु सवाल उठता है कि ये किस विधा का उपयोग करते हैं। जिससे ज्योतिष बड़ी ही सुगमता से किसी व्यक्ति के भाग्य को प्रस्तुत कर देते हैं। ज्योतिषचार्य बताते हैं कि यह विधा बड़ा पेचीदा है छोटी सी चूक से व्यक्ति का भाग्य बदल सकता है। जिससे कुंडली का आकलन गलत सिद्ध हो जाता है। आपको अच्छी तरह समझाने के लिए उदाहरण देता पेश कर रहा हूं। आपने जरूर गौर किया होगा जब परिवार में किसी की शादी की बात होती है तो कहा जाता है कि सबसे पहले वर वधु की कुंडली मिलवा ली जाए। ऐसा करने के पीछे का उद्देश्य क्या है। दरअसल ऐसा कर वर वधु के गुणों का मिलान किया जाता है। ताकि उनका वैवाहिक जीवन सुखी हो। इसी तरह कुंडली का आकलन कर हमारे भाग्य के बारे में हमें जानकारी मिल सकती है। अपने भाग्य के बारे में जानकारी पाने के परामर्श करें देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से।
ज्योतिषा शास्त्र कुंडली पर आधारित विद्या है। इसके तीन भाग हैं - सिद्धांत ज्योतिष, संहिता ज्योतिष और होरा शास्त्र। इस विद्या के अनुसार व्यक्ति के जन्म के समय आकाश में जो ग्रह, तारा या नक्षत्र जिस स्थिति पर होता है उसके आधार पर कुंडली बनाई जाती है। बारह राशियों पर आधारित नौ ग्रह और 27 नक्षत्रों का अध्ययन कर जातक का भविष्य बताया जाता है। क्योंकि इनका हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव होता है।
ज्योतिष शास्त्र में भाग्य का आकलन व्यक्ति के जन्म समय के आधार पर किया जाता है। इसी समय के अनुसार व्यक्ति की कुंडली बनायी जाती है। उसके बाद कुंडली में कौन सा ग्रह किस स्थान पर है यह देखा जाता है। इसके बाद व्यक्ति के भाग्य स्थान का आकलन किया जाता है। क्योंकि बात भाग्य की हो रही है तो हम आपको बता दें कि ज्योतिषियों का कहना है कि भाग्य स्थान में यदि शुभ ग्रह बैठा है तो व्यक्ति का भाग्य उसका जीवन भर साभ देता है। परंतु यदि इस भाव में कोई पाप ग्रह आ जाए तो भाग्य का साथ कम मिलता है। जिसके चलते आपके कुछ काम बिगड़ जाते हैं। लेकिन ज्योतिषियों का कहना है कि इसका भी उपाय है। यदि आप अपने भाग्य को मजबूत करना चाहते हैं तो अभी बात करें एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर से।