वर्तमान में हर को भाग्यशाली बनना चाहता है। क्योंकि भाग्य का साथ होने पर व्यक्ति अपने जीवन में वह सब कुछ हासिल करने में कामयाब होता है जिसकी वह इच्छा रखता है। ऐसे में आपके भाग्य का मजबूत व भाग्य कारक ग्रह का प्रबल होना आवश्यक है। आपके मन में सवाल होगा की भाग्य कारक ग्रह किस बला का नाम है? बता दूं कि ये बला नहीं बल्कि आपका भला करने वाला है। इसी की वजह से आप अपने इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं। फिर आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि इसका पता कैसे लगाया जाए? इसका पता लगाना कोई बड़ी बात नहीं है। सब आपकी कुंडली बनी होनी चाहिए। क्या आप भी वही सोच रहे हैं जो मैं सोच रहा हूं? यदि हां तो कुंडली कैसे बनाएं? इसके लिए आपको अपनी जन्म तिथि समय व स्थान पता होना चाहिए। यदि आपके पास यह सब मौजूद है तो आप यहां आप अपनी कुंडली बड़ी ही आसानी से बना सकते हैं। कुंडली बनाने के लिए यहां क्लिक करें।
यदि आपने अपनी कुंडली बना ली है तो अब आपको भाग्य का कारक ग्रह किसे कहते हैं? सबसे पहले इसके बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। इससे आप इसके महत्ता को जान पाएंगे। ज्योतिषियों की माने तो कुंडली के अनुसार हर भाव के स्वामी बदल जाते हैं। यही नियम भाग्य भव व कारक ग्रह पर भी लागू होता है। आम तौर पर भाग्य का काकर ग्रह बृहस्पति को माना जाता है। परंतु जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि आपकी कुंडली के हिसाब से कारक ग्रह बदल जाएंगे। अपने प्रभाव व शक्ति के आधार पर ही ये आपको फल देंगे। ज्योतिषियों का एक मत और भी जिसे आपको मानना चाहिए ज्योतिष के अनुसार यदि जातक के भाग्य स्थान में कोई क्रूर ग्रह बैठ जाए तो इसका सीधा असर जातक के भाग्य पर पड़ता है। यानी की यदि क्रूर ग्रह बैठा है तो भाग्य का साथ नहीं मिलेगा? ऐसा नहीं मिलेगा लेकिन इसके लिए आपको कुछ ज्योतिषीय उपाय करने होंगे। जिससे आपके भाग्य स्थान में बैठा क्रूर ग्रह कमजोर होगा और आपको भाग्य से लाभ मिलेगा। परंतु इसके लिए आपको पता होना चाहिए कि आपके भाग्य का स्वामी या कारक ग्रह कौन है?
भाग्य का कारक ग्रह पता करने के लिए आपको अपनी राशि का भी ज्ञान होना चाहिए। यदि आपने कुंडली बना ली है तो आपको आपके राशि की भी जानकारी मिन गई होगी। ज्योतिषियों का कहना है कि व्यक्ति के राशि भाव से पड़ने वाला नौवां भाव भाग्य का भाव होगा है। भाव का स्वामी ही आपका भाग्य का भी स्वामी होता है यानी की भाग्य कारक ग्रह होता है। जैसे कि किसी जातक की राशि तुला है तो ऐसे में उसका भाग्य स्वामी बुध होगा। क्योंकि व्यक्ति की राशि भाव से पड़ने वाला नौवां भाव भाग्य का है। ऐसे में तुला से नौवां भाव मिथुन राशि का है और जिसके स्वामी ग्रह बुध हैं। अब आप सवाल करेंगे कि हमने कहा था कि भाग्य के कारक ग्रह तो गुरू बृहस्पति होते हैं। जी हां परंतु हमने यह भी कहा है कि कुंडली के अनुसार ये बदल जाते हैं। यदि आप भी अपने भाग्य के सितारे के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको ज्योतिषाचार्य से परामर्श करना चाहिए क्योंकि ज्योतिषीय गणना कर वे आपके भाग्य के सितारे के बारे वो सारी जानकारी दे सकते हैं जिन्हें आप जानना चाहते हैं। ऐसे में आप एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर से अपने भाग्य के बारे में जान सकते हैं। तो देर किस बात की अभी परामर्श करें एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर से। जिससे आप अपने भाग्य के सितारे के बारे में तो जानेंगे ही साथ ही यदि कुंडली में कोई दोष है तो उसका भी उपाय आपको ज्योतिषाचार्य से मिलेगा। जिसे अपना कर आप अपने भाग्य को मजबूत कर सकेंगे। जिससे आपकी इच्छा पूरी हो सकेगी।