क्या आपका व्यापार आपके मन मुताबिक लाभ नहीं दे रहा? बिजनेस में कुछ खास प्रोग्रेस नहीं हो रहा है? क्या आप किसी नए व्यापार में निवेश करने की योजना बना रहे हैं? या किसी व्यवसाय में भागीदीर करने जा रहें हैं तो ऐसे में आज आपको यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिए। क्योंकि आपको इससे लाभ ही होगा। कहा जाता है कि व्यापार यदि साझेदारी में की जाए तो नुकसान का ख़तरा कम हो जाता है। क्या वाकई में ऐसा है? जी हां ऐसा है। कहते हैं कभी- कभी आपके पार्टनर का भाग्य आपको लाभ करवाता है। पार्टनर की कुंडली की ग्रहों की स्थिति के चलते आप नुकसान से बच जाते हैं। लेकिन यदि आप अकेले किसी बिजनेस को चला रहे हैं तो रिस्क बढ़ जाता है। ऐसे में हानि होता है तो आपको इसे पूरा झेलना पड़ता है परंतु नफा भी केवल आप को ही मिलता है। फिर भी अधिक नुकसान से भला कम लाभ होता है। ऐसे में आप अपनी कुंडली का आकलन करवा कर यह जान सकते हैं कि आपको व्यापार पार्टनरशिप में करना चाहिए या अकेले। देश के जाने माने ज्योतिषाचार्यों से कुंडली का आकलन करवाने के लिए अभी क्लिक करें।
ज्योतिषाचार्यों की माने तो कुंडली में कुल बारह भाव होते हैं। सभी भाव को उनके राशि व ग्रहों के अनुसार विभाजित किया गया है। यदि भाव के स्वामी अपने भाव में ही विराजमान हैं तो इससे जातक को उस भाव से पूरा लाभ मिलता है। परंतु भाव के स्वामी किसी अन्य स्थान पर नीच के या किसी पाप ग्रह से पीड़ित हैं तो इनसे लाभ नहीं होगा। यही नियम पार्टनरशिप भाव व व्यापार भाव पर भी लागू होता है। ज्योतिषियों का कहना है कि यदि आप किसी व्यक्ति के साथ पार्टनरशिप में बिजनेस करना चाहते हैं तो आपको एक बार स्वयं व साझेदार की कुंडली का मिलान अवश्य ही करवाना चाहिए। ऐसा करने से आपको को लाभ होगा। इससे यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि आपको साझेदारी करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए। पढ़ें - कुंडली के वह योग जो व्यक्ति को बनाते हैं एक सफल उद्यमी
ज्योतिषियों का मत है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य के साथ पार्टनरशिप करने पर विचार कर रहा है तो सबसे पहले व्यक्ति को अपनी तथा पार्टनर की कुंडली की गणना करवाना चाहिए। जिससे आप दोनों की साझेदारी लंबे समय तक चले साथ ही लाभ भी हो। जैसे विवाह के समय वर वधु की कुंडली मिलान कर उनके भावि भविष्य के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। ठीक उसी तरह इस मामले में भी ज्योतिषाचार्य अपना सुझाव देते हैं। ज्योतिषियों का कहना है लोग साझेदारी लाभ के लिए ही करते हैं लेकिन किन्हीं कारणों के चलते उन्हें लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसे में वे ये कभी जानने की कोशिश नहीं करते हैं कि उन्हें लाभ क्यों नहीं मिला? क्या कारण है व्यापार में घाटा होना का? यदि इस पर पहले विचार कर लिया जाए तो बिजनेस में हानि होने की संभावना काफी कम हो जाती है। इसलिए आपको अभी अपनी कुंडली की गणना करवाकर संभावित नुकसान से बचने का उपाय अपनाना चाहिए। व्यापार में साझेदारी पर परामर्श करने के लिए बात करें देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कुंडली में सप्तम भाव पार्टनरशिप का माना जाता है। तो वहीं दशम भाव व्यापार का है। ऐसे में इन भावों में शुभ ग्रह का होना आपके व व्यापार के लिए लाभदायक होगा। ऐसे में पार्टनरशिप करना आपके लिए शुभफलदायी होगा। इसके अलावा आप स्वतंत्र रूप से भी बिजनेस कर सकते हैं। परंतु ज्योतिषियों का कहना है कि दोनों में से किसी एक में शुभ अथवा दूसरे में अशुभ ग्रह का होना सामान्य परिणाम देने वाला बन जाता है। यदि दोनों में ही शुभ ग्रह बैठे हो तो सोने पर सुहागा वाली बात बन जाती है यानी की लाभ ही लाभ। परंतु दोनों में से किसी एक भाव में भी दो शत्रु ग्रह एक साथ आ जाते हैं तो नुकसान होने की संभावना प्रबल हो जाती है।