Chhath Puja 2023 Date: हिंदू धर्म में छठ के पर्व का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, छठ पूजा कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि से आरंभ होगी। छठ पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। छठ का पर्व दिवाली के लगभग 6 दिन बाद मनाया जाता है। छठ की शुरूआत नहाय-खाय (Nahay Khay) के पहले दिन के साथ होती है। छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना (Kharna) कहते हैं। इस दिन व्रत रखने वाले को पूरे दिन व्रत रखना होता है। शाम को व्रत रखने वाली महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर (Gud Wali Kheer) का प्रसाद बनाती हैं। छठ व्रत के तीसरे दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस तीसरे दिन महिलाएं शाम के समय तालाब या नदी में जाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देती है। चौथे दिन भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य देकर छठ का समापन किया जाता है। छठ का पर्व बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में घूमधाम से मनाया जाता है। इस लेख में हम जानेंगे छठ पूजा (Chhath Pooja) कब है और इसके क्या महत्व हैं?
छठ पूजा का पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को शुरू होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस बार छठ पूजा की शुरुआत 17 नवंबर को अमृत योग और रवियोग से हो रही है।
दिन 1 (नहाय खाय): 17 नवंबर 2023, सुबह 06:45 बजे से शाम 05:27 बजे तक।
दिन 2 (लोहंडा और खरना): 18 नवंबर 2023, सुबह 06:46 बजे से शाम 05:26 बजे तक।
दिन 3 (छठ पूजा, संध्या अर्घ्य): 19 नवंबर 2023, सुबह 06:46 बजे से शाम 05:26 बजे तक।
दिन 4 (उषा अर्घ्य, पारण दिवस): 20 नवंबर 2023, सुबह 06:32 बजे से शाम 05:37 बजे तक।
हिन्दू मान्यता के अनुसार, छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और छठी माई को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले किसी नदी या जलाशयों के किनारे आराधना करते हैं। इस छठ पर्व में स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है। वहीं, पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है। छठी मईया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि छठ पूजा व्रत संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए भी रखा जाता है।
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छठ पूजा में ठेकुआ का अत्यधिक महत्व होता है। ठेकुआ ज्यादातर झारखंड और बिहार के लोग बनाते और खाते हैं। छठ पूजा में ठेकुआ को विशेष रूप से तैयार किया जाता हैं। ठेकुआ को थिकारी या खजुरिया के नाम से भी जाना जाता है। इसे छठ पूजा के समय बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में ज्यादा बनाया जाता है।
छठ पूजा का महत्व प्रकति से जुड़ा है। सूर्य, जल और पृथ्वी की पूजा मानव और पर्यावरण के बीच अच्छे संबंध को दर्शाती है। पीढ़ियों से चले आ रहे अनेकों अनुष्ठान प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध का प्रतीक हैं, जो संतुलन और स्थिरता की आवश्यकता पर बल देते हैं।
छठ पूजा के अनुष्ठानों में रीति-रिवाजों की संस्कृति शामिल होती है जिनका पालन बड़ी भक्ति और उत्साह के साथ किया जाता है। ये परंपराएँ अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग होती हैं, लेकिन ये सभी सूर्य देव की पूजा और व्रत के पालन के साथ पूरी होती हैं। आइये जानते हैं इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण दिनों के बारें में
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