
Lizard falling: गर्मी के दिनों में घरों की दीवारों पर छिपकली का नज़र आना आम होता है। ऐसे में कभी-कभी अचानक छिपकली के गिर जाने का डर बना रहता है। अगर किसी व्यक्ति के ऊपर छिपकली गिर जाए तो लोग अक्सर अपनी मान्यता के अनुसार इसे शुभ या अशुभ मान लेते हैं। हालांकि ज्योतिष और शास्त्रों में इस घटना को कई अलग-अलग ढंग से देखा जाता है। छिपकली का गिरना कई तरह के संकेतों से जुड़ा होता है, जिससे भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में पता चल सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरीर के कुछ विशेष अंगों पर छिपकली का गिरना शुभ होता है, वहीं कुछ अंग ऐसे भी होते हैं जो अशुभ परिणामों का संकेत देता है। यह संकेत आपको भविष्य में होने वाले बदलावों के लिए तैयार रहने में मदद करेगा। चलिए जानते हैं शरीर पर छिपकली गिरने का सही अर्थ क्या है?
भारतीय संस्कृति में ‘शकुन शास्त्र’ और दक्षिण भारत के ‘गोवली शास्त्र’ जैसे कई ग्रंथों में इस विषय पर विस्तार से चर्चा की गई है। माना जाता है कि किसी के ऊपर छिपकली गिरना केवल एक सामान्य घटना नहीं होती, बल्कि यह हमारे जीवन में होने वाली घटनाओं का संकेत देती है। यह शुभ भी हो सकती है और अशुभ भी, और यह इस बात पर निर्भर करता है कि छिपकली कहां गिरी, किस दिन गिरी, किस व्यक्ति पर गिरी और छिपकली का रंग क्या था।
शरीर का वह हिस्सा, जहां छिपकली गिरी है, उसके आधार पर इसका शुभ-अशुभ प्रभाव तय होता है। अगर छिपकली सिर पर गिर जाए तो इसे बुरा संकेत माना जाता है, जिससे मानसिक तनाव, बीमारी या किसी बड़ी परेशानी का अंदेशा जताया जाता है। वहीं अगर हाथों पर गिरे तो इसे धन लाभ और सफलता का संकेत माना जाता है।
कंधों पर गिरना महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जिससे यह माना जाता है कि उन्हें नए आभूषण मिल सकते हैं या सौभाग्य बढ़ सकता है। पीठ पर गिरना अच्छी खबर नहीं मानी जाती, इससे किसी अप्रिय समाचार की आशंका होती है। पैरों पर गिरने का अर्थ है जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
सिर छिपकली का गिरना: मानसिक चिंता, बहस या संकट का संकेत
हाथ छिपकली का गिरना: धन लाभ, सफलता के संकेत
कंधे छिपकली का गिरना: महिलाओं के लिए शुभ
पीठ छिपकली का गिरना: अशुभ समाचार
पैर छिपकली का गिरना: मुश्किलों का आगमन
कान पर छिपकली का गिरना: बाएं कान पर गिरे तो धन लाभ के संकेत
छाती और पेट के हिस्सों पर छिपकली का गिरना अशुभ माना जाता है।
यह भी देखा जाता है कि छिपकली शरीर के किस साइड पर गिरी है। पुरुषों के लिए दाहिनी ओर गिरना शुभ माना जाता है जबकि बायीं ओर गिरना अशुभ होता है। वहीं महिलाओं के लिए इसका ठीक उल्टा प्रभाव होता है बायीं ओर गिरे तो शुभ और दाहिनी ओर गिरे तो अशुभ माना जाता है।
सप्ताह का कौन-सा दिन है, इससे भी इसका असर बदल जाता है। मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को छिपकली गिरना ज्यादातर शुभ माना जाता है। सोमवार और शुक्रवार को इसका प्रभाव तटस्थ यानी ना शुभ ना अशुभ होता है। लेकिन शनिवार और रविवार को अगर छिपकली गिरे, तो यह अच्छा संकेत नहीं माना जाता, चाहे वह किसी भी हिस्से पर क्यों न गिरी हो।
यह बात कम लोग जानते होंगे कि छिपकली के रंग से भी इसका संकेत जुड़ा होता है। सफेद रंग की छिपकली को बहुत शुभ माना जाता है। अगर ऐसी छिपकली गिरे तो यह समृद्धि और खुशियों का प्रतीक माना जाता है। वहीं काली छिपकली का गिरना अशुभ संकेत देता है, जो समस्याओं और तनाव की ओर इशारा करता है।
क्षेत्र के आधार पर बदलती मान्यताएं
भारत के दक्षिण हिस्सों खासतौर पर केरल में इस विषय को बहुत गंभीरता से लिया जाता है। वहाँ गोवली शास्त्र के अनुसार, छिपकली का केवल व्यक्ति पर गिरना ही नहीं, बल्कि अगर वह किसी फर्नीचर या वाहन पर गिर जाए तो भी उसका विशेष महत्व होता है। उदाहरण के लिए, अगर छिपकली पलंग पर गिरती है तो इसे दुर्भाग्य का संकेत माना जाता है। कुर्सी पर गिरना मिलाजुला परिणाम देता है, जबकि वाहन पर गिरना यात्रा के लिए खतरे का संकेत देता है और उस दिन यात्रा टालने की सलाह दी जाती है।
माता लक्ष्मी का मिलता है आशीर्वाद
कुछ पुरानी मान्यताओं में यह भी कहा गया है कि छिपकली का संबंध माता लक्ष्मी से जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर छिपकली शुभ स्थिति में गिरती है तो यह धन-संपत्ति और सौभाग्य लाने वाली होती है। वहीं दूसरी ओर अगर स्थिति अशुभ हो तो यह जीवन में कलह, रुकावटें और नुकसान के संकेत भी दे सकती है।
अगर आपके ऊपर कभी छिपकली गिर जाए तो घबराने की जरूरत नहीं है। आप स्नान करके भगवान से प्रार्थना करें और किसी भी बड़े कार्य को करने से पहले सोच-समझकर निर्णय लें। दक्षिण भारत में ऐसे समय विशेष पूजा-पाठ करने और भगवान को धन्यवाद देने की परंपरा भी है ताकि किसी भी अशुभ प्रभाव को कम किया जा सके।
छिपकली गिरना सुनने में चाहे अंधविश्वास जैसा लगे, लेकिन भारतीय संस्कृति में हर घटना के पीछे एक परंपरा और विश्वास छुपा होता है। जरूरी नहीं कि हर बार यह घटना आपके जीवन में बड़ा बदलाव लेकर आए, मगर सदियों पुरानी मान्यताएँ आज भी लोगों के मन में इसकी गंभीरता को बनाए रखती हैं।
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