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यह लेख उन लोगों के लिए है जो अब तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि उन्हें आगे किस क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करना है। साथ ही उनके लिए भी फायदेमंद है जो अपने क्षेत्र को निर्धारित कर चुके हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में सभी बोर्डों की दसवीं व बारबवीं कक्षा के रिजल्ट घोषित हुए हैं। ऐसे में कई छात्र व छात्राएं असमंजस में पड़े हैं कि उनके लिए कौन सा क्षेत्र बेहतर होगा। जिसमें आगे चलकर वे एक सफल करियर बना सकें। यदि आप उन छात्र व छात्राओं या उनके परिवार व शुभचिंतकों में से एक हैं तो आप सही लेख पढ़ रहे हैं। इस लेख में आज हम कुंडली के आधार पर किस कोर्स में एडमिशन लेना आपके लिए, आपके करीबी के लिए व आपके बच्चे के लिए ठीक रहेगा इसकी जानकारी देने जा रहे हैं। आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि कुंडली के आधार पर एडमिशन लेने के क्या मायने हैं? हम आपको बता दें कि इसके मायने हैं। आगे लेख में आपके इसी सवाल का जवाब आपको मिलेगा।
यदि आपको सामान्य ज्योतिषीय ज्ञान है तो आप इसे अच्छे से समझेंगे। ज्योतिषियों का मानना है कि सौर मंडल में विद्धमान ग्रह व नक्षत्र हमें सीधे प्रभावित करते हैं। इनके स्थिति, शक्ति व गुण के आधार पर इनको विभाजित किया गया है। हर ग्रह अपने शक्ति व स्थिति के आधार पर किसी भी व्यक्ति को लाभ पहुंचाते हैं। इसी तरह ज्योतिष में शिक्षा का कारक ग्रह भी निर्धारित किया गया है। इसके अलावा राशि का भी अपना महत्व है इसी के चलते कुंडली में बारह भाव बनाए गए हैं। सभी भावों के लिए एक-एक राशि तय किए गए हैं। राशि के आधार पर भी शिक्षा का क्षेत्र चबना जा सकता है परंतु यह हम किसी और लेख में बताएंगे। आज हम बात कर रहे हैं कुंडली की। तो कुंडली से कैसे पता करें की आपको किस कोर्स में एडमिशन लेना है। इसके लिए आपकी कुंडली का होना आवश्यक है। यदि आपके पास आपकी कुंडली नहीं है तो इसमें परेशान होने की बात नहीं है। आज के दौर में आप अपने फोन व लैपटॉप पर ही अपनी कुंडली बना सकते हैं। बस आपको अपने जन्मतिथि, समय व स्थान के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए। यदि यह आपको ज्ञात है तो आपके लिए कुंडली तैयार करना बाएं हाथ का खेल है। अपनी कुंडली बनाने के लिए यहां क्लिक करें।
ज्योतिषियों की माने तो कुंडली में शिक्षा के लिए द्वीतीय, पंचम भाव को देखा जाता है। इसके साथ ही प्रारंभिक शिक्षा के लिए चतुर्थ भाव का आकलन किया जाता है। परंतु ज्योतिषाचार्य दूसरे व पांचवें भाव को ही अधिक महत्व देते हैं। ज्योतिष के अनुसार जिस तरह पराक्रस के लिए तीसरे भाव को देखा जाता है वैसे ही शिक्षा के लिए कुंडली में इन दो भावों को देखा जाता है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इन भावों में शुभ ग्रह का बैठना व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाता है। क्या है आपकी कुंडली के इन भावों में शुभ योग जानने के लिए, बात करें देश के जाने माने ज्योतिषाचार्यों से। पंचम भाव में शिक्षा के कारक ग्रह गुरू बृहस्पति शुभ स्थिति में हो तो उच्च शिक्षा का योग बनता है। इसके साथ ही पंचम भाव में बुध भी विराजमान हो तो यह तो पांचों अंगुली घी में होने के समान है। ऐसे में व्यक्ति बुद्धिमान व तेज दिमाक का होता है। इसके साथ ही शुक्र व गुरू की युक्ति भी उच्च शिक्षा का योग बनाती है। ये योग कुंडली में होने पर व्यक्ति जिस भी क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करना चाहता वह उसमें सफल होता है। इन्हीं योगों का आकलन कर ज्योतिषाचार्य किस कोर्स में एडमिशन लेना रहेगा फायदेमंद इसके बारे में जानकारी देते हैं।