आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस दौरान नौ दिन मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है। दसवें दिन दुर्गा की मूर्ति को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है। मान्यता है कि मां दुर्गा नौ दिनों तक अपने भक्तों के कष्टों को दूर करती हैं। शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नौ दिन तक भक्त माता की उपासना करते हैं। माता को खुश करने के लिए नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। प्रतिवर्ष मां दुर्गा की प्रतिमाओं को पंडालों में धूम-धाम के साथ स्थापित किया जाता है। ढोल नगाड़ों के बीच माता का आह्वान किया जाता है। इस दौरान भक्त पूरी श्रद्धा के साथ माता को प्रसन्न करने के लिए ध्यान और साधना में लग जाते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां दुर्गा अपने घर कैलाश वापस लौट जाती हैं। माता की विदाई धूम धाम से की जाती है। भक्तों के लिए यह पल भावुकता से भरा होता है। भक्तगण अपने नौ दिनों का उपवास खोलते हैं। माता के मस्तक को सिंदूर से सजाते हैं और आरती करते हैं। इसके साथ ही सिंदूर उत्सव का भी आयोजन करते हैं। माता की प्रतिमा को भव्य रूप से सजाया जाता है। इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा को नदी तक ले जाया जाता है। विसर्जन की यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल होते हैं। माता के प्रति अपनी आस्था को प्रकट करते हैं। श्रद्धालु जोर शोर से माता को विदाई देते हैं और उन्हें नदी में विसर्जित कर देते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन माह की दशमी तिथि 4 अक्टूबर 2022 को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से आरंभ हो रही है। इसका समापन अगले दिन 5 अक्टूबर 2022 को 12 बजे होगा।
इस बार दुर्गा विसर्जन 5 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा। विसर्जन के साथ ही नवरात्रि और दुर्गा पूजा का समापन हो जाएगा। इस दिन भव्य रूप से मां दुर्गा को विसर्जित किया जाता है।
विसर्जन का शुभ मुहूर्त 5 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 21 मिनट से सुबह 8 बजकर 43 मिनट तक होगा।
समय अवधि : 2 घंटे
दुर्गा विसर्जन के साथ ही नवरात्रि का समापन होता है। इस बार यह विसर्जन बेहद शुभ होने वाला है। इस साल भक्त अपनी माता को विदाई 5 अक्टूबर 2022 देंगे। विसर्जन के दिन रवि योग बन रहा है। यह योग श्रद्धालुओं के लिये काफी शुभ संकेत है। विसर्जन के दिन बन रहा यह योग आपकी पूजा और व्रत को जरुर सफल बनाएगा और आपको अच्छा फल भी देगा।
शारदीय नवरात्रि के नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ रूपों का पूजन किया जाता है। इस बीच घर के मंदिर में कलश की स्थापना की जाती है। दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मेले का आयोजन किया जाता है। साज सज्जा कर दुर्गा माता के पंडाल लगाए जाते हैं। इन नौ दिनों में विशेष रूप से कलश स्थापना, दुर्गा अष्टमी, राम नवमी, कन्या पूजन और मूर्ति विसर्जन किया जाता है। माता के नौ रूपों में पहला दिन मां शैलपुत्री, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघण्टा, चौथा कूष्मांडा, पांचवा स्कंदमाता, छठा कात्यायनी, सातवां कालरात्रि, आठवां महागौरी और नौवां सिद्धिदात्री का होता है। किसी भी प्रकार के ज्योतिषिय परामर्श के लिए अभी बात करें, एस्ट्रोयोगी के एस्ट्रोलॉजर्स से
✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी