भारत में पवित्र नदियों का बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। गंगा नदी भी ऐसी ही पवित्र नदियों में से एक है जो अपनी विशेषताओं के कारण हिंदू धर्म के लोगों के बीच बहुत ज्यादा प्रसिद्द है। गंगा नदी को मां गंगा या गंगा मैय्या कहकर संबोधित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि गंगा नदी इतनी पवित्र है कि जो भी इसमें पूरी श्रद्धा के साथ स्नान करेगा उसके सभी पापों का नाश हो जाता है और उसे दुखों से मुक्ति भी मिल जाती है। यही कारण है कि जिस दिन गंगा नदी का उद्गम हुआ था उस दिन को गंगा सप्तमी के नाम से मनाया जाता है।
इस दिन को गंगा जयंती या गंगा पूजन के नाम से भी जाना जाता है। गंगा सप्तमी एक हिंदू त्योहार है जो आमतौर पर शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि (अप्रैल और मई के बीच पड़ता है) को पड़ता है। इस दिन, हिंदू गंगा में स्नान करते हैं, प्रार्थना करते हैं, और देवी गंगा को प्रसाद चढ़ाते हैं। इसके साथ ही विशेष उपवास भी रखते हैं और नदी में आरती भी करते हैं। आइए जानते हैं इस साल गंगा सप्तमी कब है और आप इस दिन पर कैसे गंगा मैय्या को प्रसन्न कर सकते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार गंगा सप्तमी हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। साल 2023 में गंगा सप्तमी 27 अप्रैल यानी बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी। गंगा सप्तमी के लिए सबसे शुभ मुहूर्त इस साल सुबह 11 बजे से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक होगा।
सप्तमी तिथि प्रारंभ- 26 अप्रैल 2023 बुधवार, सुबह 11:27
सप्तमी तिथि समाप्ति- 27 अप्रैल 2023 बृहस्पतिवार, दोपहर 01:38 तक
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गंगा सप्तमी पूजा विधि
सुबह उठकर सूर्योदय से पहले गंगा स्नान करें। अगर आप गंगा नदी में स्नान नहीं कर पाते हैं तो आपको अपने ही घर में पानी में कुछ बूंदें गंगाजल की डालकर स्नान कर लेना चाहिए।
अगर आप घर में पूजा कर रहे हैं तो अपने घर के मंदिर में मां गंगा की तस्वीर या मूर्ति जरूर रखें।
मंदिर में स्थित सभी देवी देवताओं को गंगाजल से पवित्र कर लें।
एक बार जब आप अपने मंदिर और सभी देवी देवताओं को गंगाजल से पवित्र कर लेंगे तो आपको एक कलश की स्थापना करनी है।
गंगाजल, रोली, चावल, शहद, चीनी और दूध को मिलाकर कलश में भर दें और उसके ऊपर एक नारियल रख दें। कलश पर आम के पत्ते लगाएं और कलावा भी बांधें।
इसके साथ ही मंदिर में दीप जलाकर हाथ जोड़ें।
मां गंगा के चरणों में पुष्प अर्पित करें, उनकी आरती करें और प्रसाद का भोग लगाएं।
मां गंगा में डुबकी लगाएं और सभी पापों से मुक्त होने की कामना करें।
गंगा किनारे कपूर का दीपक जलाएं, इससे आपको जीवन में सौभाग्य प्राप्त होगा।
जरुरतमंद और असहाय लोगों के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र, फल और अन्न का दान करें।
मां गंगा का ध्यान करें और उनका आभार प्रकट करें।
इसके साथ ही भगवान शिव की आराधना करते हुए, गंगाजल में बेलपत्र डालकर शिवलिंग का जलाभिषेक करें। इससे भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और विवाह के योग भी बनते हैं।
गंगास्रोत का पाठ करें और शिव मंदिर में घी का दीपक जलाएं। इससे आपके बिगड़े हुए काम बन सकते हैं।
अपने घर में गंगाजल का छिड़काव करें और नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिला लें। इससे आपको शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
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गंगा सप्तमी का महत्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, गंगा नदी को एक देवी के रूप में माना जाता है जो मानवता के पापों को साफ करने और पृथ्वी पर लोगों को आशीर्वाद देने के लिए आकाश से उतरीं थीं। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ दिन पर, गंगा नदी ने भगवान शिव की जटाओं में प्रवेश किया था। इसके कुछ दिन बाद जब देवों ने भगवान शिव से आग्रह किया तो उन्होंने अपनी जटाओं को खोल दिया और इस तरह मां गंगा, पृथ्वी पर अवतरित हुईं। इस अवतरण दिवस को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
गंगा नदी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। इन्हें सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। गंगा नदी को एक देवी के रूप में पूजा जाता है और हिंदुओं द्वारा इस नदी के जल को भी अत्यधिक पूजनीय माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस नदी के पवित्र जल में पवित्र डुबकी लगाता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और यह धार्मिक कार्य प्रत्येक व्यक्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस प्रकार गंगा सप्तमी का दिन गंगा नदी की पवित्रता और दिव्यता का जश्न मनाने और समृद्धि, कल्याण व आध्यात्मिक उत्थान के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए समर्पित है। यह त्योहार उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और असम राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग विशेष पूजा का भी आयोजन करते हैं और मां गंगा का आशीर्वाद लेते हैं।
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