जीवन में सब कुछ अच्छा ही अच्छा हो, कुछ अनिष्ट न हो, सुख मिले, समृद्धि मिले, तन, मन और धन से हमें कोई परेशानी न हो ऐसी चाहत किसकी नहीं होती और भला कौन इसके लिये प्रयासरत नहीं रहता। लेकिन कई बार हम दुश्मन को धराशायी करने के लिये तरकश से जो तीर चलाते हैं वह गलत निशाने पर जा लगता है और हमें लेने के देने पड़ जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र हमारे जीवन में होने वाले हर छोटे-बड़े लाभ हानि के लिये ग्रहों को जिम्मेदार मानता है। हमारे जन्म के समय ग्रहों की जो दशा थी उससे लेकर वर्तमान में जो ग्रहों की दशा चल रही है और भविष्य में उनकी दशा व दिशा में क्या बदलाव होने हैं, उसी के आधार पर ज्योतिषाचार्य लगाते हैं पूर्वानुमान कि हमारा क्या होने वाला है। लेकिन कई बार छोटी-छोटी बिमारियों के वैद्य हम खुद बन जाती हैं और बिमारी मौका पाकर बड़ा रूप धारण कर लेती है। हमारे द्वारा किये गये उपचार हमें और बिमार कर देते हैं। ऐसा ही ज्योतिषीय उपायों के साथ भी होता है। ग्रहों की शुभता पाने के चक्र में बिना ज्योतिषीय परामर्श के किसी के कहे सुने मात्र से ही सरदर्द के लिये पेट दर्द की टेबलेट से काम चलाने लगते हैं नतीजा दर्द ज्यों का त्यों बना रहता है। खासकर ज्योतिषीय रत्नों के मामले में देखभाल कर ही चलना चाहिये। क्योंकि बिना ज्योतिषीय परामर्श के आपको यह पता नहीं चल पायेगा कि जिस ग्रह की शुभता के लिये आप जो रत्न धारण कर रहे हैं वह आपकी कुंडली के अनुसार सही है भी या नहीं। कहीं उस ग्रह का नकारात्मक प्रभाव तो नहीं पड़ रहा आप पर। तो आइये जानते हैं किस ग्रह से किस रत्न का संबंध है।
ग्रह व उनके रत्न
वैदिक ज्योतिष के अनुसार समस्त सभी 9 ग्रहों के लिये विभिन्न प्रकार के रत्न इस्तेमाल किये जाते हैं ताकि उन ग्रहों के शुभ प्रभाव पड़ सकें। ऐसे में सबसे पहले तो यह जानकारी होना आवश्यक है कि किस ग्रह के लिये कौनसा रत्न शुभ होता है और किन परिस्थितियों में उसका प्रभाव विपरीत हो सकता है।
सूर्य का रत्न माणिक्य माना जाता है
चंद्रमा के लिये मोती पहना जाता है
बुध रत्न की शुभता के लिये पन्ना रत्न प्रभावी माना जाता है
देवताओं के गुरु ग्रह बृहस्पति का रत्न पुखराज माना जाता है।
शुक्र का संबंध हीरे से बताया जाता है
शनि को प्रसन्न करने के लिये नीलम रत्न धारण किया जाता है
राहू के लिये गोमेद तो केतु के लिये लहसुनिया रत्न धारण किये जाते हैं।
ज्योतिषाचार्यों से परामर्श करके ही धारण करें रत्न
उपरोक्त नौ ग्रहों के नौ रत्न माने जाते हैं जिन्हें पहनने से उक्त ग्रहों को मजबूती मिलती है और इनकी ग्रहों का शुभ प्रभाव रत्न धारण करने वाले पर पड़ता है। लेकिन यदि कुंडली में इनमें से कोई ग्रह नकारात्मक चल रहा है बूरा प्रभाव डाल रहा है यदि ऐसे में उस ग्रह का रत्न भी धारण कर लिया जाये तो उसके नकारात्मक प्रभाव भी बढ़ जाते हैं। वहीं यदि आप गलत रत्न धारण करते हैं तो भी आप पर ग्रहों का अशुभ प्रभाव पड़ सकता है। यही कारण है कि ज्योतिषाचार्य कोई भी रत्न धारण करने से पहले यह सलाह देते हैं कि अपनी कुंडली दिखाकर ज्योतिषाचार्यों के परामर्श के आधार पर ही शुभ ग्रहों के प्रामाणिक रत्न धारण करने चाहिये।