क्या आप जानते है ग्रहण आपके जीवन पर क्या प्रभाव डाल सकता है? नहीं तो आईये जानते हैं ग्रहण के बारें में। ग्रहण वैसे तो एक खगोलीय घटना है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में इसका प्रभाव व्यक्ति की कुंडली पर भी देखने को मिलता है। ग्रहण दो होते हैं सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण। कभी-कभी इस सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के समय कुंडली में ग्रहों की विशेष स्थिति या चाल बनती है, जिसे "ग्रहण योग" कहते हैं।
आज आप ग्रहण योग के बारे में विस्तार से जानेंगे, इसके कारणों को समझेंगे और ज्योतिषीय उपायों के बारे में भी जानकारी पाएंगे।
ग्रहण योग विभिन्न कारकों के कारण बन सकता है। मुख्य रूप से सूर्य या चंद्रमा की राहु या केतु के साथ दशा या अंतर्दशा चल रही हो, या फिर सूर्य या चंद्रमा जन्मकुंडली में लग्न, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में राहु या केतु के साथ स्थित हों, तो ग्रहण योग बनते हैं।
ग्रहण योग के प्रभाव आपकी राशि और कुंडली के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। इसलिए कुछ लोगों पर इसका ज्यादा असर नहीं होता, जबकि कुछ जातकों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
राहु और सूर्य की दशा: राहु का अचानक प्रभाव और सूर्य की कमजोर स्थिति रुकावटें ला सकती हैं। मेष राशि के जातक के लिए सूर्य नीच राशि में होता है, तो ऐसे में राहु की दशा में ग्रहण योग का प्रभाव ज्यादा हो सकता है।
चंद्रमा और केतु की युति: मन (चंद्रमा) पर भ्रम (केतु) का प्रभाव पड़ सकता है, जिससे निर्णय लेने में आपको परेशानी हो सकती है।
ज्योतिष शास्त्र आपको ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय भी सुझाता है। ग्रहण योग के लिए आप ये उपाय कर सकते हैं:
दान-पुण्य: ग्रहण के दिन दान-पुण्य करने से ग्रहों को शांत किया जा सकता है। आप गरीबों को भोजन या वस्त्र दान कर सकते हैं।
मंत्र जप: ग्रहों के अनुसार मंत्र जाप करने से भी लाभ मिलता है।
सूर्य ग्रहण के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
चंद्र ग्रहण के लिए ओम चंद्रमाये नमः मंत्र का जाप करें।
कुछ लोगों को लगता है कि ग्रहण योग का हमेशा नकारात्मक प्रभाव होता है। हालांकि, यह सच नहीं है। मजबूत ग्रह-दशा और शुभ योग ग्रहण योग के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं। ग्रहण योग ज्योतिषीय विश्लेषण से समझा जा सकता है। ज्योतिषीय उपायों से ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है। इससे जुड़े किसी भी सवाल के लिए अभी सम्पर्क करें एस्ट्रोयोगी के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर से।