गुरु नानक जयंती - सतगुरु नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानण होआ

Fri, Nov 08, 2019
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Fri, Nov 08, 2019
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
गुरु नानक जयंती - सतगुरु नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानण होआ

 "अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बन्दे

एक नूर ते सब जग उपज्या, कौन भले कौन मंदे"

सभी इंसान उस ईश्वर के नूर से ही उपजे हैं, इसलिये कोई बड़ा या छोटा नहीं है सब बराबर हैं। इसांनियत का यह सबक सिखाने वाले संत थे सिख पंथ के प्रथम गुरु श्री गुरु नानकदेव जी। कार्तिक पूर्णिमा को इस जगत का उद्धार करने के लिये इस परम ज्योति ने पंजाब के तलवंडी जो कि अब पाकिस्तान में हैं और जिसे ननकाना साहिब के नाम से भी जाना जाता है, में माता तृप्ता व कृषक पिता कल्याणचंद के घर जन्म लिया। इनके जन्म को लेकर भाई गुरुदास ने लिखा है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को गुरु नानक जयंती का पर्व यानि गुरु पूरब या प्रकाश पर्व मनाया जाएगा।

‘‘सतगुरु नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानण होआ

ज्यूँ कर सूरज निकलया,  तारे छुपे अंधेर पलोआ"

श्रद्धालु कार्तिक पूर्णमासी को गुरु नानक जयंती को प्रकाशोत्सव के रूप में मनाते हैं। आइये जानते हैं गुरु नानक देव जी की उन शिक्षाओं के बारे में जिनका प्रचार उन्होंनें दुनिया भर में अपनी यात्राओं और अपनी बाणियों के जरिये किया।

गुरु नानक जी की शिक्षाएं

गुरु नानक देव जी ने जातीगत भेदभाव से लेकर धार्मिक बाह्याडंबरों का विरोध किया जैसा कि उस समय के अन्य संत भी कर रहे थे, लेकिन गुरु नानक जी ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए स्त्रियों को भी सम्मान दिया जो कि अन्य संत साहित्य में देखने को नहीं मिलता। इन्होंनें सामाजिक ढांचे को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास किया। सभी इंसानों को एक ही पिता की संतान बताया। श्री गुरु नानक देव जी एक महान संत होने के साथ-साथ एक महान कवि, दार्शनिक और विचारक भी थे। गुरु नानक जी ने ईश्वर को एक बताया है वे मूर्तिपूजा के विरोधी थे। उन्होंनें परमात्मा का वर्णन अपने मूल मंत्र के जरिये किया है। गुरु ग्रंथ साहेब की वाणी का आरंभ भी इसी मूल मंत्र से होता है। भले उस परमात्मा की सब अलग-अलग रूप में पूजा करते हों लेकिन वह एक है।

"एक ओंकार सतनाम करता पुरख निरभऊ निरवैर अकाल मूरत अंजुनी स्वेम्भ गुरु प्रसाद"

इसका तात्पर्य है कि ईश्वर या कहें परमात्मा एक हैं, उसी का नाम सत्य जो हमेशा तक रहने वाला है, वही सब कुछ करने करने वाला है, बनाने वाला है, उसे किसी का भी भय नहीं है वह भय से परे है। उसकी किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं है। वह निराकार है उसका कोई आकार नहीं है। वह न किसी योनि में जन्म लेता है न ही वह कभी मरता है यानि वह अजर अमर अविनाशी है। उसे बनाने वाला भी कोई और नहीं है बल्कि वह स्वयं प्रकाशमान हैं। जिसे गुरु की कृपा से ही जाना जा सकता है अपने हृद्य में झांक कर देखा जा सकता है। उनकी दस शिक्षाएं इस प्रकार हैं-

  • ईश्वर एक हैं

  • सदैव एक ही ईश्वर की आराधना करो

  • ईश्वर सब जगह और हर प्राणी में मौजूद हैं

  • ईश्वर की भक्ति करने वालो को किसी का भी नहीं रहता

  • ईमानदारी से और मेहनत करके उदरपूर्ति करनी चाहिए

  • गुर कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताए

  • सदैव प्रसन्न रहना चाहिए, ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा मंगनी चाहिए

  • मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरत मंद को भी कुछ देना चाहिए

  • सभी स्त्री-पुरुष बराबर हैं

  • भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए जरूरी हैं पर लोभ-लालच के लिए संग्रहव्रती बुरी हैं

वर्तमान में तो गुरु नानक देव जी की ये शिक्षाएं बहुत ही प्रासंगिक हो जाती हैं जब हर तरफ धार्मिक पाखंड का बोलबाला नजर आता है। जब आदमी जरुरत से ज्यादा संग्रह करते जा रहा है और लालच की दलदल में फंसकर असमानता की खाई को और गहरी करता जा रहा है। जीवन भर धार्मिक यात्राओं के जरिये लोगों को इंसानियत का पाठ पढ़ाने वाले प्रकाश पुरुष 70 वर्ष की साधना के बाद सन 1539 ई. में उस परम ज्योति में विलीन में हो गए।

संबंधित लेख: संत सिपाही गुरु गोबिंद सिंह   |   ज्येष्ठ पूर्णिमा - संत कबीर जयंती   |   बैसाख पूर्णिमा - महात्मा बुद्ध जयंती   |  शरद पूर्णिमा - महर्षि वाल्मीकि जयंती   |   गुरु पूर्णिमा - गुरु की पूजा करने का पर्व 

article tag
Hindu Astrology
Spirituality
Vedic astrology
article tag
Hindu Astrology
Spirituality
Vedic astrology
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!