
Hariyali Amavasya 2025: हरियाली अमावस्या सावन माह की सबसे खास अमावस्या तिथि मानी जाती है। यह दिन न केवल पर्यावरण के संरक्षण का प्रतीक है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से सौभाग्य, सुख और पितृशांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही वनों की देवी वृक्षों की पूजा भी की जाती है। 2025 में हरियाली अमावस्या का पर्व कई शुभ योगों और दुर्लभ संयोगों के साथ आ रहा है, जो इसे और भी खास बनाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, हरियाली अमावस्या की तिथि 24 जुलाई 2025 (गुरुवार) को देर रात 02:28 बजे शुरू होगी और 25 जुलाई को रात 12:40 बजे समाप्त होगी। चूंकि तिथि की गणना सूर्योदय से होती है, इसीलिए हरियाली अमावस्या 24 जुलाई को मनाई जाएगी।
साल 2025 में हरियाली अमावस्या पर कई शुभ और दुर्लभ योगों का संयोग बन रहा है, जिनमें पूजा-पाठ और अनुष्ठान करना विशेष फलदायी माना गया है।
रवि पुष्य योग: 24 जुलाई शाम 04:43 से 25 जुलाई सुबह 05:39 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: दिनभर
शिववास योग: दिनभर, समाप्ति - 25 जुलाई रात 12:40 तक
हर्षण योग: सुबह 09:51 तक
अमृत सिद्धि योग: 24 जुलाई शाम 04:43 से 25 जुलाई सुबह 05:39 तक
नक्षत्र संयोग: पुनर्वसु नक्षत्र 04:43 तक, फिर पुष्य नक्षत्र का प्रवेश
इन योगों में की गई शिव पूजा से मनुष्य को पितृदोष से मुक्ति, आर्थिक उन्नति और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
सूर्योदय – सुबह 05:38 बजे
सूर्यास्त – शाम 07:17 बजे
चंद्रास्त – शाम 07:16 बजे
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:15 से 04:57 बजे तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:44 से 03:39 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07:17 से 07:38 बजे तक
निशिता मुहूर्त – रात 12:07 से 12:48 बजे तक
हरियाली अमावस्या सावन माह के मध्य आने वाली अमावस्या है, जिसे पर्यावरण, प्रकृति और पितरों के पूजन का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन के महत्व को तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
भगवान शिव की पूजा – हरियाली अमावस्या पर शिववास योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख और संतुलन आता है।
पितृ तर्पण एवं पिंडदान – गरुड़ पुराण के अनुसार, इस दिन पितरों को जल तर्पण और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
वृक्ष पूजन एवं पर्यावरण संरक्षण – इस दिन वृक्षारोपण और वृक्ष पूजन की परंपरा भी है। लोग पीपल, बरगद, आम, आंवला जैसे पौधे लगाते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
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गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
शिवलिंग पर गंगाजल और बिल्वपत्र से जलाभिषेक करें।
गायों को हरा चारा और गरीबों को अन्न का दान करें।
तुलसी, पीपल या बरगद जैसे पौधे लगाएं और उनकी पूजा करें।
इस दिन पितरों का तर्पण करें और घर में पितृ शांति पाठ कराएं।
जरूरतमंद लोगों को वस्त्र, भोजन और जलदान करें।
हरियाली की पूजा करके "वृक्ष देवता" का आशीर्वाद प्राप्त करें।
इस दिन नकारात्मक विचारों से दूर रहें, गाली-गलौज या क्रोध से बचें।
घर में झगड़ा या कलह न करें।
वृक्षों की कटाई या हानि से बचें।
इस दिन मांस-मदिरा का सेवन बिल्कुल न करें।
रात्रि में बुरी शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए तिल के तेल का दीपक जलाएं।
हरियाली अमावस्या सिर्फ पूजा-पाठ का दिन नहीं है, बल्कि यह एक संकल्प का दिन है – प्रकृति की रक्षा का, पितृ ऋण चुकाने का और शिवभक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ने का। जो भी साधक इस दिन निष्ठा से नियमपूर्वक व्रत, पूजन और तर्पण करता है, उसे समस्त जीवन में सफलता और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
हरियाली अमावस्या 2025 का यह पर्व केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का भी दिन है। जब सावन की हरियाली चारों ओर फैली होती है, तब यह दिन हमें प्रकृति से जुड़ने और अपने जीवन को संतुलन में रखने की प्रेरणा देता है। इस दिन को पूजा, व्रत, दान और सेवा से सार्थक बनाएं।
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