एच डी कुमारस्वामी ने जैसा कहा था कि वह किंग मेकर नहीं बल्कि खुद किंग बनने जा रहे हैं। कांग्रेस के समर्थन से आंकड़ों ने तो उनके किंग बनने के रास्ते को साफ किया लेकिन ये क्या अपने वादे के अनुसार येदियुरप्पा उनसे पहले ही राज्यपाल से मुलाकात कर उनके सरकार बनाने और 17 मई को शपथ ग्रहण करने में कामयाब हो गये। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब बिल्कुल जीत के करीब पंहुच कर कोई हार जाए, किसी बनते काम में अचानक रोड़ा अड़ जाए, मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलते-मिलते रह जाए तो कुंडली में कोई न कोई दोष मौजूद है। पूर्व प्रधानमंत्री रहे एच.डी देवेगौड़ा के पुत्र एच.डी कुमारास्वामी को भी सितारों का पूर्ण साथ नहीं मिल पा रहा है। पहले भी उनकी सरकार बनी लेकिन कुछ समय के लिये ही। एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्य ने कुमारास्वामी की कुंडली का आकलन किया तो कुछ पहलू सामने आये हैं जिनसे यह पता चलता है कि आखिर क्योंं उनके साथ ऐसा हो रहा है। किस तरह के योग फिलहाल इनकी कुंडली में बन रहे हैं। क्या इनकी कुंडली में राजयोग हैं? क्या कुमारास्वामी की कुंडली का केंद्र त्रिकोण राजयोग येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने से रोक पायेगा? क्या वे किंग बन पायेंगें? आइये जानते हैं क्या कहती है इनकी कुंडली।
नाम – एच.डी कुमारस्वामी
जन्मतिथि – 16 दिसंबर 1959
जन्म समय – 18:08
जन्म स्थान – हासन
उपरोक्त विवरण के अनुसार कुमारस्वामी की कुंडली मिथुन लग्न व मिथुन राशि की बनती है। इनका जन्म आर्द्रा नक्षत्र में हुआ है। लग्न व राशि के स्वामी बुध हैं तो नक्षत्र स्वामी राहू हैं। वर्तमान में इनकी कुंडली के अनुसार इन पर लग्न व राशि स्वामी बुध की महादशा चल रही है जिसमें शनि का अंतर तो गुरु का प्रत्यंतर चल रहा है।
कुमार स्वामी की जन्मपत्रिका का विश्लेषण करें तो इनके लिये लग्न में चंद्रमा का होना बहुत शुभ व सौभाग्यशाली है। लग्न के चंद्रमा जातक को ख्याति दिलाते हैं। लग्न से छठे स्थान में स्वराशि के मंगल, गुरु व राशि स्वामी बुध के साथ गोचररत हैं। बुध, मंगल और गुरु की युति जातक को कुल का राजा बनाती है। कला के प्रति आकर्षण पैदा करती है। कुमारस्वामी के जीवन पर दृष्टि डाली जाये तो काफी हद तक यह संयोग उनके लिये सही भी रहा है। हालांकि छठे घर में बुध मंगल व गुरु के अस्त होने के कारण कहीं न कहीं पूरी सपोर्ट उन्हें नहीं मिल पाती जिस कारण उन्हें अपेक्षानुसार परिणाम भी नहीं मिलते।
चतुर्थ भाव में राहू - कुंडली के अनुसार इनके लिये सबसे बड़ी परेशानी सुख भाव में राहू का होना है। राहू के कारण ही इन्हें पूर्ण समर्थन का अभाव रहता है। लेकिन राहू चोर ग्रह भी माने जाते हैं जिस कारण वह जातक को कोई तीसरा रास्ता भी दिखा देते हैं।
आंशिक काल सर्प दोष - आंशिक रूप से कालसर्प दोष का होना भी इनके लिये परेशानी की वजह हो सकता है। इन्हें अपने जीवन में कई अवसरों पर ऐसा अवश्य महसूस हुआ होगा कि कोई चीज़ बहुत करीब आकर भी इन्हें मिलते-मिलते रह गई हो।
विष योग - पत्रिका में चंद्रमा शनि का विष योग भी बन रहा है जो कि जीवन में तरक्की के रास्ते में बाधाएं खड़ी करता है।
बुध शनि व गुरु की दशा बना रही है राजयोग - वर्तमान दशाओं पर नज़र डालें तो खासकर 14 मई के बाद से बुध, शनि व गुरु का होना इनके लिये राजयोग बना रहा है। केंद्र और त्रिकोण के मालिक की जब दशा चलती है तो व्यक्ति के भाग्य में अचानक से शुभ योग या राजयोग की शुरुआत हो जाती है।
गोचर अवस्था में लग्न राशि के स्वामी का लाभ घर में होना भी इनके लिये लाभकारी है। लग्न में गोचर के शुक्र का प्रवेश हुआ है जो कि इनके लिये सौभाग्यशाली रहने के योग बना रहा है। सत्ता का सुख मिलने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन यह सफ़र इनके लिये आसान दिखाई नहीं दे रहा। क्योंकि दशाओं के कारण केंद्र त्रिकोण का जो राजयोग निर्मित हो रहा है वह समाप्ति की ओर है। जल्द ही इन पर केतु की दशा शुरु होने वाली है। सितंबर माह के उतर्राध में केतु की दशा शुरु हो जायेगी जिसके पश्चात इनका भाग्य अचानक से करवट ले सकता है। इस समय में इन्हें पोजीटिव और नेगेटिव दोनों तरह के परिणाम मिल सकते हैं।
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