रुद्राक्ष माला का सनातन धर्म में महत्त्व

Mon, Jun 26, 2017
टीम एस्ट्रोयोगी
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
Mon, Jun 26, 2017
Team Astroyogi
 टीम एस्ट्रोयोगी के द्वारा
article view
480
रुद्राक्ष माला का सनातन धर्म में महत्त्व


शास्त्रों में लिखा है कि-


बिना दमैश्चयकृत्यं सच्चदानं विनोदकम्।
असंख्यता तु यजप्तं तत्सर्व निष्फलं भवेत्।।
अर्थात भगवान की पूजा के लिए कुश का आसन बहुत जरूरी है इसके बाद दान-पुण्य जरूरी है। इनके साथ ही माला के बिना संख्याहीन किए गए जप का भी पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है।: जब भी मंत्र जप करें माला का उपयोग अवश्य करना चाहिए।


जो भी व्यक्ति माला की मदद से मंत्र जप करता है उसकी मनोकामनएं बहुत जल्द पूर्ण होती है। माला से किए गए जप अक्षय पुण्य प्रदान करते हैं। मंत्र जप निर्धारित संख्या के आधार पर किए जाए तो श्रेष्ठ रहता है। इसीलिए माला का उपयोग किया जाता है।


रुद्राक्ष माला की अन्य जानकारी की ओर बढ़ने से पहले आइये जानते हैं कि रुद्राक्ष क्या है-

शिवपुराण के अनुसार रुद्राक्ष का संबंध भगवान शिव के अश्रुकणों से है। मान्यता है कि सती वियोग के समय जब शिव का हृदय द्रवित हुआ, तो उनके नेत्रों से आंसू निकल आए जो अनेक स्थानों पर गिरे और इन्हीं से रुद्राक्ष वृक्ष की उत्पत्ति हुई। पद्म पुराण में कहा गया है कि सतयुग में त्रिपुर नामक दैत्य ब्रह्माजी के वरदान से प्रबल होकर संपूर्ण लोकों के विनाश का कुचक्र कर रहा था। तब देवताओंके अनुनय-विनय करने पर भगवान शिव ने अपनी दिव्य दृष्टि से देखते हुए उसे विकराल बाण से मार गिराया। इस कार्य में अत्यंत श्रम के कारण भगवान शिव के शरीर से पसीने की जो बूंदे पृथ्वी पर पड़ीं उनसे रुद्राक्ष वृक्ष प्रकट हो गए। श्रीमद् देवी भागवत् के अनुसार त्रिपुर राक्षस को मारने के लिए भगवान की आंखें सहस्र वर्षों तक खुली रहीं और थकान के कारण उनसे आंसू बह निकले, जिनसे रुद्राक्ष वृक्ष का जन्म हुआ। रुद्राक्ष की उत्पत्ति के संबंध में कथाएं चाहे कितनी भी हों, परंतु विभिन्न पौराणिक एवं धार्मिक ग्रंथ और शास्त्र निर्विवाद रूप से इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि रुद्राक्ष के जन्मदाता भगवान शिव हैं। इसी कारण सनातन धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव का स्वरूप कहा गया है।


सनातन धर्म में रुद्राक्ष के महत्त्व के बारें में बताते हुए लिखा गया है कि रुद्राक्ष में एक अनोखे तरह का स्पदंन होता है जो शरीर के लिए ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है,  इससे बाहरी ऊर्जाएं हमको परेशान नहीं कर पातीं। इसीलिए रुद्राक्ष ऐसे लोगों के लिए बेहद अच्छा है जिन्हें लगातार यात्रा में होने की वजह से अलग-अलग जगहों पर रहना पड़ता है। हमारे साधू संत अक्सर यात्रा में ही रहा करते थे इसलिए बार-बार ऊर्जा परिवर्तन और जंगलों में नकारात्मक शक्तियों से रुद्राक्ष इनका बचाव करता था।


क्यों होते हैं रुद्राक्ष माला में 108 रुद्राक्ष?

षट्शतानि दिवारात्रौ सहस्राण्येकं विशांति।
एतत् संख्यान्तितं मंत्रं जीवो जपति सर्वदा।।


अर्थात् पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति दिनभर में जितनी बार सांस लेता है उसी से माला के मोतियों की संख्या 108 का संबंध है। सामान्यत: 24 घंटे में एक व्यक्ति 21600 बार सांस लेता है। दिन के 24 घंटों में से 12 घंटे दैनिक कार्यों में व्यतीत हो जाते हैं और शेष 12 घंटों में व्यक्ति सांस लेता है 10800 बार। इसी समय में देवी-देवताओं का ध्यान करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को हर सांस पर यानी पूजन के लिए निर्धारित समय 12 घंटे में 10800 बार ईश्वर का ध्यान करना चाहिए लेकिन यह संभव नहीं हो पाता है।


इसीलिए 10800 बार सांस लेने की संख्या से अंतिम दो शून्य हटाकर जप के लिए 108 संख्या निर्धारित की गई है। इसी संख्या के आधार पर जप की माला में 108 मोती होते हैं।


रुद्राक्ष, भगवान का मनुष्यों को दिया गया एक कीमती तोहफा है किन्तु अपने अल्प ज्ञान की वजह से आज मनुष्य ने इसे भूला दिया है।


article tag
Hindu Astrology
Spirituality
Pooja Performance
article tag
Hindu Astrology
Spirituality
Pooja Performance
नये लेख

आपके पसंदीदा लेख

अपनी रुचि का अन्वेषण करें
आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
facebook whatsapp twitter
ट्रेंडिंग लेख

ट्रेंडिंग लेख

और देखें

यह भी देखें!