
Krishnaya Vasudevaya Mantra: जब भी हम जीवन में किसी भी बात को लेकर कष्ट में होते हैं तो सबसे पहले भगवान का स्मरण करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब आप अपने स्तर पर प्रयास करके कामयाब नहीं हो पाते तो अंतिम सहारा ईश्वर का ही होता है। भगवान का स्मरण न सिर्फ आपको कष्टों से मुक्ति का माध्यम देता बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मकता भी प्रदान करता है। इसलिए ईश्वर को याद करने और अपने कष्टों से मुक्ति पाने के लिए कुछ मंत्रों का जाप करना प्रभावी माना जाता है।
यहां आज हम आपको श्री कृष्ण को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक ऐसे ही चमत्कारी मंत्र ‘कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने’ (krishnaya vasudevaya mantra) के बारे में बताने जा रहे हैं। यह मंत्र न केवल आपके मन को सुकून देता है, बल्कि आपको ईश्वर के और भी करीब ले आता है। जब भी आपको चिंता, भय और परेशानियां घेरें तो इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। विशेष रूप से जन्माष्टमी 2025 पर आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः॥
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः अर्थ:“हे श्रीकृष्ण, वासुदेव के पुत्र, दुखों का हरने वाले, परमात्मा और गोविंद! मैं आपको बार-बार नमन करता हूँ। कृपया मेरे सारे क्लेश दूर करें।”
इस श्लोक का उच्चारण करते ही मन में एक अलग ही ऊर्जा का संचार होता है। यह न सिर्फ भक्ति का भाव जगाता है, बल्कि हमें उस परम सत्य से जोड़ता है जिसे हम भगवान श्रीकृष्ण के रूप में जानते हैं।
इस मंत्र में श्रीकृष्ण को ‘वासुदेव’ (वासुदेव के पुत्र), ‘हरि’ (जो दुख हर लेता है), ‘परमात्मा’ (सर्वोच्च आत्मा) और ‘गोविंद’ (गोपियों और गायों के रक्षक) के रूप में स्मरण किया गया है। इसमें हम भगवान को बार-बार प्रणाम करते हैं और उनसे अपने कष्टों के नाश की प्रार्थना करते हैं।
यह श्लोक केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि जीवन के हर संघर्ष में एक सहारा है। श्रीकृष्ण को ‘क्लेशनाशक’ कहा गया है यानी जो जीवन के दुख, भय और असफलताओं को हर लेते हैं। महाभारत में जब अर्जुन पूरी तरह से टूट गया था, तब श्रीकृष्ण ही थे जिन्होंने उसे संभाला, समझाया और फिर जीवन का उद्देश्य दिखाया।
आज के समय में, जब मन विचलित होता है, आत्मविश्वास डगमगाता है, या जब कोई समाधान नहीं सूझता तब इस श्लोक का जप आपको अंदर से शांत और मजबूत बनाता है।
मानसिक तनाव और बेचैनी से राहत: से जब इस श्लोक को श्रद्धा से जपते हैं, तो एक गहरी शांति का अनुभव होता है। मन में चल रही नकारात्मकता, चिंता और बेचैनी धीरे-धीरे दूर होने लगती है।
परमात्मा से निकटता: यह श्लोक आत्मा को परमात्मा की ओर ले जाने का मार्ग है। ध्यान और जप की साधना में यह मंत्र अत्यंत सहायक होता है।
चिंता और भय से मुक्ति: अगर जीवन में किसी बड़े डर, चिंता, या संकट से गुजर रहे हैं, तो यह मंत्र आशा और हिम्मत दोनों देता है।
प्रेम और श्रद्धा की अनुभूति: श्रीकृष्ण के चरणों में बार-बार नमन करने से मन में प्रेम, श्रद्धा और विश्वास की भावना गहराने लगती है।
भक्ति में विधि से अधिक भावना जरूरी है, लेकिन कुछ बातें ध्यान में रखी जाएं तो मंत्र का प्रभाव और भी गहरा होता है-
समय: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या शाम को शांत वातावरण में जप करना सबसे उत्तम माना जाता है।
माला: तुलसी या रुद्राक्ष की माला से 108 बार जप करें, या कम से कम 11, 21, या 51 बार नियमित रूप से करें।
स्थान और आसन: शांत, स्वच्छ जगह पर ध्यानपूर्वक बैठें। कम से कम 5 मिनट मन को स्थिर करने का प्रयास करें।
संकल्प: मंत्र शुरू करने से पहले मन में भगवान से एक संकल्प करें कि आप यह जप श्रद्धा से कर रहे हैं और उनकी शरण में हैं।
मन, वाणी और शरीर की पवित्रता बनाए रखें।
जप करते समय सिर्फ शब्दों पर नहीं, अर्थ पर ध्यान दें।
आज के युग में, जब हर कोई तेज़ी से भाग रहा है, मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर चुनौती बन गया है। बच्चे हों या युवा, हर उम्र का व्यक्ति किसी न किसी तनाव से जूझ रहा है। ऐसे में यह श्लोक एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली उपाय है, बिना किसी खर्च के, बिना किसी जटिलता के।
यह श्लोक न केवल वयस्कों बल्कि बच्चों और युवाओं के लिए भी बहुत उपयोगी है, क्योंकि यह उन्हें मानसिक स्थिरता और भावनात्मक संतुलन देता है।
"कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने" केवल एक श्लोक नहीं, बल्कि जीवन में आशा, शक्ति और भक्ति का स्रोत है। इसे रोज़ाना जपने से आप आंतरिक रूप से खुद को पहचान पाएंगे और ईश्वर के अधिक करीब आएंगे। तो आइए, श्रीकृष्ण को याद करें, और उनके नाम से अपने जीवन को रोशन करें।
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