क्या आपने कभी इस बात पर गौर फरमाया है कि जिस सुखद जीवन का आप अपने साथी के साथ लुत्फ़ उठा रहे हैं। यह कब तक ऐसा रहने वाला है या चलने वाला है? कब तक जीवन के इस सफर आपके साथ आपका हम सफर रहेगा या आपका रिश्ता कब तक चलेगा? इसकी कभी कल्पना की है? परंतु यह कल्पना करना आसान नहीं। कोई नहीं है जो अपने प्रिय के बिना एक पल भी जीवन में आगे बढ़ना चाहेगा। लेकिन फिर भी हम आप से पूछना चाहते हैं कि क्या आप अपने प्रिय के बिना जीवन का बचा सफर तय करना चाहेंगे? हमे नहीं लगता की आपका जवाब हां में होगा।
आप माने या न माने परंतु हमारे जीवन के प्रत्येक पहलु से ज्योतिष जुड़ा हुआ है। यदि आप जरा सा भी ज्योतिषीय ज्ञान रखते हैं तो आपको पता होगा कि ग्रह उनकी दशा व स्थिति का हम पर कैसा प्रभाव पड़ता है। यह आपको बताने की जरूरत नहीं है। परंतु यदि आप ज्योतिष काज भी नहीं जानते हैं तो हम आपको बता दें कि ग्रहों का हम पर हमारे कार्य से लेकर व्यवहार तक पर सीधा असर पड़ता है। यदि हमारे ग्रहों की दशा बिगड़ जाए तो हमारा भविष्य गलत दिशा में निकल जाता है। इसलिए ग्रहों की महत्ता को ज्योतिष में दर्शाया गया है। इसी तरह ज्योतिष का आपके प्रेम संबंध व वैवाहिक जीवन से सीधा संबंध है।
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आपकी कुंडली में बैठे ग्रह दशा यदि स्थिति में न हो तो आपको अच्छे परिणाम नहीं दे पाते हैं। सातवें व पांचवे घर को प्रेम व परिवार का भाव माना जाता है। प्रेम के कारक ग्रह शुक्र यदि आपने भाव में सही स्थिति में हो तो यह आपके रिश्ते में मजबूती लाते लेकिन गलत जगह हो तो ये रिश्तों को खत्म करने का भी काम कर सकते हैं। परंतु प्रेम के कारक ग्रह आपकी कुंडली के अनुसार अगल हो सकते हैं। ऐसे में आपको अपनी कुंडली का आकलन एक अनुभवी व योग्य ज्योतिषाचार्य से करवाकर अपने प्रेम संबंध के बारे में पता लगाना चाहिए। यदि आप अपने प्रेम संबंध के बारे में जानना चाहते हैं तो अभी बात करें देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से।
वैदिक ज्योतिष में पांचवा प्रेम व सातवां भाव परिवार के लिए माना गया है। इस घर के स्वामी व भाव में विद्धमान ग्रहों के योग व प्रभाव की गणना कर ज्योतिष प्रेम व वैवाहिक जीवन के बारे में पता लगाते हैं। ज्योतिषियों कहना है कि यही वो भाव हैं जिनसे यह ज्ञात किया जा सकता है कि जीवन के सफर में कहां तक हमसफ़र का साथ रहेगा। ज्योतिषीयों की माने तो उनका कहना है कि हमारे या आपके जीवन में संगनी व संगी का साथ कब तक बना रहेगा यह तो ग्रह की स्थितियों पर निर्भर करता है। यदि ग्रह की स्थिति अच्छी है तो यह आपके संबंधों को और भी प्रगाढ़ करता है परंतु यदि कोई नीच या क्रूर ग्रह इन स्थानों में विद्धामान हो तो यह कष्ट कारी बन जाते हैं।
ज्योतिषों कहना है कि यह स्थिति इतनी बिगड़ सकती है कि साथी के साथ विवाद हो जाए। यहां तक कि दोनों को एक दूसरे से अलग करने का कारक बन जाता है। पंचम भाव में क्रूर ग्रह या पाप ग्रह का बैठना आपके प्रेम प्रसंग पर पूर्ण विराम लगा सकता है तो वहीं सातवें भाव में कोई अनिष्ट ग्रह का विराजमान होना आपके वैवाहिक जीवन में तांडव मचा सकता है। इसलिए आपको सतर्क रहने की आवश्यकता है। जिस तरह से ज्योतिष आपके रिश्ते का भविष्य बताता है उसी तरह इसे सवारने का मार्ग भी दिखाता है। इसलिए आपको देर किए बिना अपने संबंध के भविष्य को जानना चाहिए। क्योंकि कहीं आपके खुशहाल जीवन में कोई पाप ग्रह ग्रहण लगाने की योजना तो नहीं बना रहा है? यदि बना रहा है तो आप ज्योतिषीय परामर्श से इसे बचा सकते हैं। यदि आप अपने जीवन के सफर में हमसफ़र का साथ जीवन भर चाहते हैं तो अभी परामर्श करें देश के जाने माने एस्ट्रोलॉजर से।