Jesus Christ:जानें कैसे हुआ था ईसा मसीह का जन्म

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Jesus Christ:जानें कैसे हुआ था ईसा मसीह का जन्म

माना जाता है कि 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म हुआ था। यही कारण है कि यह दिन ईसाई धर्म में सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। समय के साथ यह पर्व केवल ईसाइयों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आज लगभग हर धर्म और संस्कृति के लोग इसे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

क्रिसमस केवल उत्सव नहीं, बल्कि यह मानवता को क्षमा और प्रेम का मार्ग दिखाने वाले ईसा मसीह के जीवन और आदर्शों को याद करने का दिन है।

कैसे हुआ था ईसा मसीह का जन्म

ईसाई धर्मग्रंथ बाइबिल के अनुसार, ईसा मसीह का जन्म माता मरियम की कोख से हुआ था। कहा जाता है कि मरियम उस समय अविवाहित थीं और उनका विवाह दाऊद वंश के यूसुफ़ से तय हुआ था।

स्वर्गदूत का संदेश

बाइबिल के अनुसार, एक दिन स्वर्गदूत मरियम के पास आए और उन्होंने कहा कि वह ईश्वर की इच्छा से एक विशेष संतान को जन्म देंगी, जो पूरी मानवता को कष्टों से मुक्ति का मार्ग दिखाएगी।
मरियम ने आश्चर्य से पूछा कि अविवाहित होते हुए यह कैसे संभव है। तब स्वर्गदूत ने उत्तर दिया—

“ईश्वर की इच्छा से सब कुछ संभव है।”

कुछ समय बाद मरियम और यूसुफ़ विवाह के बंधन में बंधे और यहूदी राज्य के बेथलेहेम नगर में रहने लगे।

अस्तबल में जन्म

मान्यता है कि एक रात बेथलेहेम में जगह न मिलने के कारण मरियम ने एक अस्तबल (गोशाला) में ईसा मसीह को जन्म दिया। यही कारण है कि ईसा मसीह का जन्म सादगी, विनम्रता और त्याग का प्रतीक माना जाता है।

ईसा मसीह ने दुनिया को क्या सिखाया

ईसा मसीह केवल उपदेशक नहीं थे, बल्कि उन्होंने अपने जीवन से अपनी शिक्षाओं को प्रमाणित किया।

प्रेम और क्षमा का संदेश

ईसा मसीह का सबसे बड़ा संदेश था—

  • पाप से घृणा करो, पापी से नहीं

  • अपने शत्रुओं से भी प्रेम करो

  • क्षमा में ही सच्ची शक्ति है

यह विचार हमें महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं से भी मिलता-जुलता प्रतीत होता है।

व्यवहार में उतारी गई शिक्षाएं

ईसा मसीह ने जो कहा, वही जिया। यहां तक कि जब उन्हें सलीब पर चढ़ाया गया, तब भी उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की—

“हे पिता, इन्हें क्षमा करना, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।”

यह उदाहरण आज भी मानवता को करुणा और सहनशीलता की सीख देता है।

मानव सेवा और कल्याण

ईसा मसीह का पूरा जीवन गरीबों, दुखियों और असहाय लोगों की सेवा को समर्पित रहा। यही कारण है कि आज भी दुनिया भर में ईसाई मिशनरियां शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं।

क्रिसमस कैसे मनाएं – पर्व का आध्यात्मिक अर्थ

क्रिसमस केवल सजावट, उपहार और रोशनी का पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और क्षमा का अवसर भी है।

क्रिसमस मनाने के सार्थक तरीके

  • अपने पापों के लिए ईश्वर से क्षमा मांगें

  • दूसरों की गलतियों को माफ करें

  • जरूरतमंदों की सहायता करें

  • प्रेम और भाईचारे को अपनाएं

आज क्रिसमस दुनिया के लगभग हर धर्म के लोग मनाते हैं, क्योंकि इसके मूल में छिपा संदेश सार्वभौमिक है।

क्रिसमस और धर्मों की समानता

यदि गहराई से देखा जाए तो लगभग सभी धर्म—

  • प्रेम

  • दया

  • सेवा

  • क्षमा

जैसे मूल्यों पर ही आधारित हैं। धर्मों के बीच जो अंतर दिखाई देता है, वह अधिकतर पहचान का होता है, मूल सिद्धांतों का नहीं। यही कारण है कि क्रिसमस आज वैश्विक मानवता का पर्व बन चुका है।

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