कालाष्टमी 2025: काल भैरव की कृपा से मिलेगी हर बुरी बाधा से मुक्ति!

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कालाष्टमी 2025: काल भैरव की कृपा से मिलेगी हर बुरी बाधा से मुक्ति!

कालाष्टमी का दिन भगवान शिव के रौद्र और न्यायकारी रूप भगवान काल भैरव को समर्पित एक विशेष तिथि होती है. हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी कहा जाता है, इस दिन आप काल भैरव की पूजा करते हैं. काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए और तंत्र-साधनाओं की दृष्टि से भी इस तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसके साथ ही यह श्रद्धालुओं के लिए बुराई, भय और दुर्भाग्य से मुक्ति का विशेष अवसर होता है. श्रावण मास की कालाष्टमी और भी अधिक महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए बहुत खास माना जाता है. ऐसे में इस दौरान कालाष्टमी तिथि पर काल भैरव की उपासना और भी अधिक लाभकारी होती है. तो आइए जानते हैं कि सावन मास में कालाष्टमी व्रत कब है? साथ ही जानते हैं कि काल भैरव पूजा विधि, लाभ और काल भैरव स्तुति के बारे में. 

कौन हैं भगवान काल भैरव?

भगवान काल भैरव, भगवान शिव के एक उग्र और तामसिक स्वरूप माने जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब ब्रह्माजी ने अहंकार में शिव की निंदा की, तो शिव ने काल भैरव रूप धारण कर उन्हें अनुशासन में लाया। तभी से काल भैरव को धर्म का रक्षक और समय का नियंत्रक माना गया है। वे न्याय के देवता हैं जो अधर्मियों को दंड देते हैं और अपने सच्चे भक्तों की रक्षा करते हैं।

कालाष्टमी जुलाई 2025 तिथि (Kalashtami July 2025 date and time)

कालाष्टमी 17 जुलाई, गुरुवार को मनाई जाएगी। यह तिथि श्रावण मास में पड़ रही है, जो कि शिव भक्ति का पवित्र महीना है। इस दिन की अष्टमी तिथि की शुरुआत शाम 7:08 बजे होगी और इसका समापन अगले दिन 18 जुलाई, शुक्रवार को शाम 5:01 बजे होगा।

इसलिए काल भैरव की पूजा का मुख्य समय रात्रि रहेगा। आप चाहें तो रात को पूजा कर सकते हैं या फिर अगले दिन सुबह सूर्योदय से पहले तक पूजा संपन्न कर सकते हैं।

कालाष्टमी का महत्व 

कालाष्टमी को विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा, भय, बुरी नजर, शत्रु बाधा और काला जादू जैसे प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति की आत्मा को शक्ति मिलती है और वह आध्यात्मिक रूप से मजबूत होता है।

श्रद्धालु इस दिन उपवास रखते हैं, रात्रि में जागरण करते हैं और काल भैरव मंदिर जाकर दीप प्रज्वलित करते हैं। विशेषकर रात का समय काल भैरव साधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि वे रात्रि के स्वामी हैं।

काल भैरव पूजा विधि (Kalashtami 2025 puja vidhi)

  • कालाष्टमी के दिन पूजा का आरंभ ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर शुद्ध होकर किया जाता है। 

  • घर में पूजा स्थान को अच्छे से साफ किया जाता है और वहां भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है।

  • पूजन की शुरुआत एक सरल आसन या लकड़ी की चौकी पर भैरव जी की स्थापना से होती है। 

  • सामने दीपक जलाकर, अगरबत्ती लगाकर, उन्हें सरसों के तेल का दीप, फूल, काले तिल, उड़द की दाल, नारियल, और पंचामृत अर्पित किए जाते हैं। भोग में मालपुआ, हलवा, सूखे मेवे, और फल अर्पित करना शुभ माना जाता है।

  • इसके बाद श्रद्धालु ‘काल भैरव स्तुति’, भैरव चालीसा या अन्य मंत्रों का पाठ करते हैं और आरती करते हैं। 

  • यदि संभव हो तो पास के किसी काल भैरव मंदिर जाकर दर्शन करें और वहां दीप प्रज्वलित कर प्रार्थना करें।

कालाष्टमी व्रत का नियम

इस दिन उपवास रखना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। कुछ लोग फलाहार करते हैं तो कुछ निर्जल व्रत रखते हैं। पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत समाप्त किया जाता है। व्रत के दौरान दिनभर भगवान काल भैरव के मंत्रों का जाप और ध्यान किया जाता है।

काल भैरव पूजा के लाभ

कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा करने से अनेक आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ मिलते हैं:

  • मन से भय और अनिश्चितता दूर होती है

  • शत्रु बाधा एवं बुरी नजर से सुरक्षा मिलती है

  • जीवन में अनुशासन, समय प्रबंधन और आत्मविश्वास बढ़ता है

  • साधकों को सिद्धि प्राप्ति में सहायक

  • मानसिक शांति एवं आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है

जानें रात में क्यों होती है काल भैरव की पूजा?

काल भैरव को रात्रि का रक्षक माना जाता है। वे रात्रि के देवता हैं और अंधकार के भीतर छिपे भय, भ्रम और दुर्भावनाओं को नष्ट करते हैं। इसलिए कालाष्टमी की रात्रि को जागरण करना और साधना करना विशेष फलदायक माना गया है।

श्रावण मास की कालाष्टमी एक ऐसा दिव्य अवसर है जब आप भगवान काल भैरव की आराधना कर अपने जीवन से डर, दुर्भाग्य और नकारात्मकता को दूर कर सकते हैं। अगर आप किसी संकट, बाधा या अनजानी भय की स्थिति से जूझ रहे हैं, तो इस कालाष्टमी पर पूरे श्रद्धा और विधि-विधान से काल भैरव की पूजा जरूर करें।

मान्यताओं के अनुसार, एक बार अगर काल भैरव की कृपा मिल जाए, तो जीवन में कोई संकट टिका नहीं रह सकता।

काल भैरव स्तुति

यं यं यं यक्षरूपं दशदिशिविदितं भूमिकम्पायमानं।

सं सं संहारमूर्तिं शिरमुकुटजटाशेखरं चन्द्रबिम्बम्।।

दं दं दं दीर्घकायं विकृतनखमुखं चोर्ध्वरोमं करालं।

पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

रं रं रं रक्तवर्णं कटिकटिततनुं तीक्ष्णदंष्ट्राकरालं।

घं घं घं घोषघोषं घ घ घ घ घटितं घर्घरं घोरनादम्।।

कं कं कं कालपाशं धृकधृकधृकितं ज्वालितं कामदेहं।

तं तं तं दिव्यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

लं लं लं लं वदन्तं ल ल ल ल ललितं दीर्घजिह्वाकरालं।

धुं धुं धुं धूम्रवर्णं स्फुटविकटमुखं भास्करं भीमरूपम्।।

रुं रुं रुं रुण्डमालं रवितमनियतं ताम्रनेत्रं करालं।

नं नं नं नग्नभूषं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

वं वं वं वायुवेगं नतजनसदयं ब्रह्मपारं परं तं।

खं खं खं खड्गहस्तं त्रिभुवननिलयं भास्करं भीमरूपम्।।

चं चं चं चं चलित्वा चलचलचलितं चालितं भूमिचक्रं।

मं मं मं मायिरूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

शं शं शं शङ्खहस्तं शशिकरधवलं मोक्षसंपूर्णतेजं।

मं मं मं मं महान्तं कुलमकुलकुलं मन्त्रगुप्तं सुनित्यम्।।

यं यं यं भूतनाथं किलिकिलिकिलितं बालकेलिप्रधानं।

अं अं अं अन्तरिक्षं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

खं खं खं खड्गभेदं विषममृतमयं कालकालं करालं।

क्षं क्षं क्षं क्षिप्रवेगं दहदहदहनं तप्तसन्दीप्यमानम्।।

हौं हौं हौंकारनादं प्रकटितगहनं गर्जितैर्भूमिकम्पं।

बं बं बं बाललीलं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

सं सं सं सिद्धियोगं सकलगुणमखं देवदेवं प्रसन्नं।

पं पं पं पद्मनाभं हरिहरमयनं चन्द्रसूर्याग्निनेत्रम्।।

ऐं ऐं ऐश्वर्यनाथं सततभयहरं पूर्वदेवस्वरूपं।

रौं रौं रौं रौद्ररूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

हं हं हं हंसयानं हपितकलहकं मुक्तयोगाट्टहासं।

धं धं धं नेत्ररूपं शिरमुकुटजटाबन्धबन्धाग्रहस्तम्।।

टं टं टं टङ्कारनादं त्रिदशलटलटं कामवर्गापहारं।

भृं भृं भृं भूतनाथं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।

इत्येवं कामयुक्तं प्रपठति नियतं भैरवस्याष्टकं यो।

निर्विघ्नं दुःखनाशं सुरभयहरणं डाकिनीशाकिनीनाम्।।

नश्येद्धिव्याघ्रसर्पौ हुतवहसलिले राज्यशंसस्य शून्यं।

सर्वा नश्यन्ति दूरं विपद इति भृशं चिन्तनात्सर्वसिद्धिम् ।।

भैरवस्याष्टकमिदं षण्मासं यः पठेन्नरः।।

स याति परमं स्थानं यत्र देवो महेश्वरः ।।

अगर आप भी अपने जीवन में शक्ति, सुरक्षा और आध्यात्मिक संतुलन चाहते हैं, तो आप इस कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव को प्रसन्न कर सकते हैं। इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप एस्ट्रोयोगी के विशेषज्ञ ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते हैं। आपके लिए पहली कॉल या चैट बिलकुल मुफ्त है।  

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