हिंदू धर्म में क्यों बांधा जाता है कलावा, क्या हैं इसके फायदे

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हिंदू धर्म में क्यों बांधा जाता है कलावा, क्या हैं इसके फायदे

वर्तमान में युवा वर्ग के भीतर हाथ में रंग बिरंगे धागे बांधने का मानो फैशन सा चल पड़ा है। लेकिन जिसे आप फैशन समझ रहे हैं वह दरअसल कलावा हैं। आपने आमतौर पर देखा होगा कि मंदिरों या धार्मिक स्थानों पर हाथ में धागा लिए पंडित खड़े रहते हैं या फिर घर पर किसी खास पूजा व अनुष्ठान के दौरान यह पुरोहित द्वारा बांधा जाता है। कलावा को मौली भी कहा जाता है। परंतु इस पतला धागे के गुण के बारे में बहुत कम लोग जानते है कि यह धारक के अंदर सकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है। यदि हाथ में ये धागा धारक अपनी समस्या या इष्ट देवता के अनुसार से धारण करें तो इसके कई अच्छे परिणाम धारक को प्राप्त होते हैं।

कलावा या मौली कैसे बनती है

कलावा कच्चे धागे से बनाया जाता है। इसमें मूलत: 3 रंग के धागे होते हैं- लाल, पीला और हरा, लेकिन कभी-कभी ये 5 धागों से भी बनता है। जिसमें नीला और सफेद भी शामिल होता है। 3 धागे का संबंध त्रिदेव से तो 5 का पंचदेव से हैं। हिन्दू धर्म में इसे नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षित रहने के लिए धारण किया जाता है। मान्यता है कि जो कोई भी विधिवत रक्षा सूत्र या कलावा धारण करता है, वह हर प्रकार के अनिष्टों से सुरक्षित रहता है। परंतु गलती से यह धागा बिना मतलब या अनुचित समय में बांधा गया तो ये हानिकार भी साबित हो सकता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में इसकी पूरी जानकारी उपलब्ध है और ज्योतिष में भी रक्षासूत्र का महत्व है। इसलिए यदि हाथ पर मौली बांध रहें है तो पूरी विधि-विधान के साथ ही इसे बांधें।

रक्षा सूत्र का महत्व

'मौली' का शाब्दिक अर्थ है 'सबसे ऊपर' यानि कि मौली का तात्पर्य सिर से है। मौली को कलाई में बांधे जाने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं तथा इसका वैदिक नाम उप मणिबंध है। भगवान शिव के सिर पर चन्द्र विराजमान हैं, इसीलिए इसे चंद्रमौली भी कहा जाता है। माना जाता है कि जब इंद्रदेव वृत्रासुर से युद्ध करने जा रहे थे तब इंद्राणी ने देवराज इंद्र की दाहिनी भुजा के कलाई पर रक्षा-कवच के रूप में कलावा बांधा था और इंद्र इस युद्ध में विजयी हुए। तब से रक्षा सूत्र बांधने की प्रथा आज तक चली आ रही है।

वैज्ञानिक कारण

कलावा बांधने का वैज्ञानिक करण यह है कि इससे वात, पित्त और कफ का संतुलन शरीर में बना रहता है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक और लकवा जैसे गंभीर रोगों से कलावा बचाने में सहायक है। आदिकाल वैद्य इसीलिए हाथ, कमर, गले व पैर के अंगूठे में इसे बंधवाते थे। शत्रु पक्ष से लगता है भय, मन रहता है अशांत, तो हो सकता है आपके कुंडली में चांडाल दोष, परामर्श के लिए देश के जाने–माने एस्ट्रोलॉजर से करें बात।

कैसे बांधे कलावा, जिससे मिले सही फल

मान्यता है कि जिस भी देव या ग्रह से शुभफल पाने के लिए कलावा धारण करना है, उसके लिए उस देव या ग्रह के दिन मंदिर जाएं। वैसे आप कलावा पहले से साथ लेकर जा सकते हैं। भगवान की पूजा करें, प्रसाद चढ़ाएं फिर उस मौली को भगवान के चरणों रख दें और फिर मंदिर के पंडित से कलावा को अपने सीधे हाथ में बंधवाएं। इसके लिए 11 या 21 रुपए पंडित को दक्षिणा के रूप में दें। इस तरह बांधा गया कलावा आपको काफी लाभ देगा और आपके लिए ये सुरक्षा का घेरा तैयार करेगा।

कलावा धारण करने की सावधानियां

ध्यान रखें कलावा सूत का बना हुआ हो और इसे मन्त्रों के साथ ही धारण करना चाहिए। कलावा को किसी भी दिन पूजा के बाद धारण किया जा सकता है। लाल पीला और सफ़ेद रंग के धारे से बना हुआ कलावा सर्वोत्तम माना जाता है। पुराने कलावे को वृक्ष के नीच रख देना चाहिए या जमीन में गाड़ देना चाहिए। 


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