हिंदू पंचांग मास में कार्तिक माह का विशेष महत्व होता है। कृष्ण पक्ष में जहां धनतेरस से लेकर दीपावली जैसे महापर्व आते हैं तो शुक्ल पक्ष में भी गोवर्धन पूजा, भैया दूज लेकर छठ पूजा, गोपाष्टमी व देवोउठनी एकादशी इसी माह में पड़ती हैं। ऐसे में कार्तिक माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि भी बहुत ही शुभ मानी जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान, त्रिपुरी पूर्णिमा आदि कई नामों से जाना जाता है। कार्तिक माह को स्नान के लिये भी जाना जाता है। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा को भी स्नान-दान करना विशेष रूप से पुण्य फलदायी माना जाता है। पंडितजी का कहना है कि मान्यता के अनुसार पूरे साल गंगा में स्नान करने से जो पुण्य मिलता है उतना ही पुण्य केवल कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने से मिल जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस साल कार्तिक पूर्णिमा 12 नवंबर को है।
साल 2022 में कार्तिक पूर्णिमा तिथि 08 नवंबर को पड़ रही है।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत – 08 नवंबर 2022, मंगलवार।
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 07 नवंबर 2022 की दोहपर 16 बजकर 15 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 08 नवंबर 2022 को दोपहर 16 बजकर 31 मिनट तक
कार्तिक पूर्णिमा सिर्फ स्नान व दान के लिये ही नहीं बल्कि पौराणिक इतिहास के लिहाज से भी बहुत महत्व रखती है। पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि इस दिन भगवान महादेव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का वध किया था। इसी कारण इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं।
आचार्यजी का कहना है कि क और पौराणिक उल्लेख के अनुसार बताया जाता है कि भगवान श्री हरि ने महाप्रलय के पूर्व एक मछली का अवतार लिया। उन्होंने अपने भक्त सत्यव्रत मनु को सूचित किया कि ठीक सात दिन बात महाप्रलय होने वाली है इसलिये वह समस्त महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों, बीजों, पशु-पक्षियों व सप्तऋषियों को इकट्ठा कर श्री हरि द्वारा भेजी नाव पर लेकर आये। इसी समय भगवान ब्रह्मा वेदों का ज्ञा दे रहे थे जिसे हयग्रीव ने चुरा लिया था। श्री मत्स्य नारायण ने ही हयग्रीव का उद्धार करते हुए वेदों के ज्ञान को वापस सुरक्षित रूप से ब्रह्मा जी को सौंप दिया। यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर कुशा स्नान व स्नान के बाद दान करने का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि स्नान के समय हाथ में कुशा रखनी चाहिए। जिन जातकों के लिये गंगा में स्नान करना संभव नहीं हो पा रहा हो वह स्वच्छ जल में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। स्नान के पश्चात विष्णु भगवान की पूजा करें। गरीब व जरुरतमंद लोगों की मदद करें, दान दें, मौसमी फल, उड़द की काली दाल, चावल आदि भी दान किये जा सकते हैं। किसी भूखे को भोजन करवाना भी इस दिन श्रेष्ठ रहता है। चंद्रमा चूंकि इस दिन अपने पूर्ण रूप में होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचरण करता है इसलिये चंद्रमा को अर्घ्य भी जरूर देना चाहिए। एस्ट्रोयोगी कहते हैं कि भविष्य पुराण में भी वैशाख, माघ व कार्तिक पूर्णिमा की तिथियां स्नान व दान के लिहाज से सर्वोत्तम मानी गई हैं।