Khatu Shyam ji mandir: खाटू श्याम मंदिर भारत के राजस्थान के सीकर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यह भगवान कृष्ण के भक्तों के बीच बहुत महत्व रखता है, जिन्हें यहां खाटू श्याम के रूप में पूजा जाता है। यहां भगवान श्री कृष्ण अपने कलयुगी रूप में विराजित हैं। मंदिर अपने समृद्ध इतिहास, जीवंत दर्शन और दिव्य अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है।
खाटू श्याम मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित एक मंदिर (khatu shyam temple rajasthan) है और खाटू शहर में स्थित है, जो जयपुर शहर से लगभग 80 किमी दूर है। माना जाता है कि यह मंदिर 18 वीं शताब्दी का है और राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि बाबा खाटू श्याम जी अपने भक्तों को सभी मुसीबतों से बाहर निकालते हैं। जो भी भक्त पूरे मन से उनकी प्रार्थना करता है और भक्तिभाव से उन्हें याद करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
इस लेख में, हम खाटू श्याम मंदिर के बारे में जानेंगे और आपको खाटूश्याम जी की पूजा करने की सही विधि के बारे बताएंगे।
बाबा खाटू श्याम जी भीम के पुत्र घटोत्कच्छ और अहिलावती के पुत्र बर्बरीक को कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत के समय जब युद्ध की तैयारियां जोरों पर थीं तो बर्बरीक ने यह संकल्प लिया था कि वो युद्ध में हारने वाले पक्ष के साथ मिलकर लड़ेंगे। श्री कृष्ण युद्ध के आने परिणामों के बारे में पहले से जानते थे। इसलिए उन्होंने बर्बरीक को युद्ध में लड़ने जाने से पहले रोक कर कुछ सवाल जवाब किये। बर्बरीक के जवाब से वे सोच में पड़ गए, क्योंकि वे जानते थे कि बर्बरीक में युद्ध के परिणामों को बदलने की क्षमता है। इसलिए उन्होंने बर्बरीक से उसका शीश दान में मांग लिया। भगवान की ये बात सुन कर बर्बरीक ने तुरंत अपना शीश श्री कृष्ण को समर्पित कर दिया लेकिन उन्होंने भगवान से पूरा युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की। तब श्री कृष्ण ने उनके कटे हुए शीश को एक ऐसे स्थान पर रख दिया, जहाँ से वे पूरा युद्ध देख सकें।
ऐसा माना जाता है कि पांडवों की जीत में सबसे महत्वपूर्ण योगदान बर्बरीक का रहा है। अगर बर्बरीक भगवान कृष्ण के कहने पर अपना शीश दान में न देते तो पांडव विजयी नहीं हो पाते। बर्बरीक के इस बलिदान से खुश होकर श्री कृष्ण ने उन्हें अपने नाम से पूजे जाने और हारे के सहारा बनने का वरदान दिया। इसके बाद से बर्बरीक को बाबा खाटू श्याम के नाम से पूजा जाने लगा।
खाटू श्याम जाने का सही समय
भगवान के मंदिर जाने का कोई भी समय कभी गलत नहीं होता। हालांकि कुछ अवसर ऐसे होते हैं जिन पर मंदिर जाना या भगवान के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है। वैसे तो आप कभी भी खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए जा सकते हैं, लेकिन फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर यहां लक्खी मेला आयोजित किया जाता है। इसी दिन बर्बरीक ने अपना शीश काटकर भगवान कृष्ण को दान में दिया था। इस मेले में उत्तर भारत के अलग-अलग राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, और मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। इसके अलावा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को बाबा खाटू श्याम के दर्शन करना भी बहुत विशेष माना जाता है। यह अवधि बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। इस खास अवसर पर आप यहां लगने वाले खाटू श्याम मेले का आनंद ले सकते हैं।
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अगर आप घर पर रहकर बाबा खाटूश्याम की पूजा करना चाहते हैं तो आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना पड़ेगा। नीचे दिए गए जरुरी नियमों का पालन करके आप घर बैठे बाबा खाटुश्याम की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
खाटूश्याम जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए, सबसे पहले किसी साफ स्थान पर एक चौकी रख लें।
उस चौकी पर साफ़ वस्त्र बिछाएं और उस पर खाटू श्याम जी की मूर्ति को स्थापित कर लें।
चौकी पर धूप, फूल, अगरबत्ती, दीपक, प्रसाद, घी और पंचामृत रख लें।
इसके बाद, पंचामृत से बाबा खाटू श्याम जी की प्रतिमा को स्नान करवाएं। पंचामृत से स्नान करवाने के बाद बाबा की मूर्ती को एक बार फिर साफ पानी से स्नान करवाएं। यहां स्नान से मतलब हैं पंचामृत का भोग लगाए।
स्नान के बाद मूर्ति को मुलायम कपड़े से धीरे-धीरे पोंछ लें। साफ़ करने के बाद मूर्ति को चौकी पर स्थापित कर लें।
बाबा की मूर्ति पर फूल और फूल माला चढ़ाएं और मूर्ती के सामने घी का दीपक व अगरबत्ती जलाएं। एक बार जब आप फूल और अन्य सामान चढ़ा देते हैं, तो आप कच्चा दूध चढ़ाएं और प्रसाद के रूप में पेड़ा, हलवा या लड्डू अर्पित करें।
ध्यान रखें कि सारे अनुष्ठान करते समय अपने मन में शान्ति रखें और कुछ भी नकारात्मक न सोचें। केवल सकारात्मक विचार रखें।
इसके बाद खाटूश्याम जी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें और आरती गाएं। खाटूश्याम जी को चढ़ाए गए प्रसाद में से स्वयं भी ग्रहण करें और दूसरों के साथ भी साझा करें।
अगर आप बाबा खाटूश्याम जी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो रोज़ सुबह स्नान के बाद इस विधि का पालन करना न भूलें। इस तरह आप खाटूश्याम जी को प्रसन्न कर सकते हैं और सुख-समृद्धि से भरा जीवन प्राप्त कर सकते हैं।
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
रतन जड़ित सिंहासन,सिर पर चंवर ढुरे।
तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे।
खेवत धूप अग्नि पर, दीपक ज्योति जले।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे।
भक्त आरती गावे, जय-जयकार करे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम-श्याम उचरे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत भक्त-जन, मनवांछित फल पावे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे।
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
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