
Janmashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार सभी कृष्ण भक्तों में जोश और उमंग भर देता है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को समर्पित होता है। जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण जी के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा करने की परंपरा है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी देशभर में क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार, अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। इसमें सबसे खास जन्माष्टमी वृंदावन में मनाई जाती है। वृंदावन में जन्माष्टमी का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहां जन्माष्टमी का त्योहार, इसलिए भी अधिक विशेष होता है क्योंकि वृंदावन को श्रीकृष्ण भूमि माना जाता है। यह जगह कृष्ण जी के जन्मस्थान और बाल लीलाओं का प्रतीक है। यही कारण है कि यहां मनाए जाने वाली जन्माष्टमी एक अलग महत्व रखती है। वर्तमान में वृंदावन के कुछ ऐसे मंदिर हैं जहां कि जन्माष्टमी यादगार होती है और लोग भक्तिमय होकर कृष्ण की लीलाओं में खो जाते हैं। यह पल आपके लिए ऐसा आध्यात्मिक अनुभव होता है जो आपको सकारात्मकता से भर देता है।
कृष्ण जन्मोत्सव पर वृंदावन के इन मंदिरों में अद्भुत नज़ारा होता है। अगर आप भी इस जन्माष्टमी श्री कृष्ण की बाल लीलाओं को करीब से जानना चाहते हैं और अपनी भक्ति से उनको प्रसन्न करना चाहते हैं तो आप नीचे बताए गए मंदिरों में कृष्ण जन्मोत्सव का आनंद ले सकते हैं।
बांके बिहारी मंदिर
वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर कृष्ण भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर श्री कृष्ण के ही एक स्वरुप को समर्पित है। वैसे तो इस मंदिर में हमेशा ही भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। लेकिन कृष्ण जन्माष्टमी पर यहां नज़ारा अलग ही होता है। इसकी भव्यता और साज सज्जा देख लोगों अचंभित हो जाते हैं। हर ओर फूलों की सजावट और जगमगाती लाइटों से सजा मंदिर का प्रांगण आपको अभिभूत कर सकता है। जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर इस मंदिर में मंगला आरती भी होती है, जो साल में केवल एक बार ही होती है। इसलिए इसका धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। रात 12 बजे श्री कृष्ण का महाभिषेक किया जाता है। इस दौरान मंदिर में झांकी जैसे विभिन्न माध्यमों से कृष्ण की लीला को दिखाया जाता है। इसके साथ ही माखन, मिश्री और 56 भोग वाला प्रसाद भी भक्तों में बांटा जाता है।
इस्कॉन मंदिर
इस्कॉन मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है, जिसे देखने के लिए देश विदेश से भी लोग आते हैं। यहां आपको कृष्ण जी के जीवन पर आधारित नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने को मिलते हैं। साथ ही ठाकुर जी का विशेष स्नान और दूध, दही व घी से अभिषेक देखना, श्रद्धालुओं के लिए खास पल होता है। पूरी रात भजन और कीर्तन से मंदिर में एक अलग तरह की ऊर्जा का अनुभव होता है। सुन्दर सजावट और कृष्ण की बाल लीला के प्रतीकों से मंदिर की खूबसूरती दुगनी हो जाती है। यह पल श्री कृष्ण के चंचल और माधुर्य स्वभाव को महसूस करवाने वाला होता है। भक्तों को प्रसाद के रूप में शुद्ध शाकाहारी भोजन भी उपलब्ध करवाया जाता है। इसलिए जीवन में एक बार वृंदावन के इस्कॉन मंदिर की जन्माष्टमी जरूर देखनी चाहिए।
राधा रमन मंदिर
इस सूची में राधा रमण मंदिर का नाम भी शामिल है। इस मंदिर को वृंदावन के पुराने और अत्यंत महत्वपूर्ण कृष्ण मंदिरों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में कृष्ण जी की स्वयंभू मूर्ती मौजूद है, इसका मलतब है कि वो मूर्ती स्वयं भगवान के प्रतीक के रूप में प्रकट हुई है। यही कारण है कि राधा रमण अन्य मंदिरों से विशेष है। इस मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव भी बहुत विशेष ढंग से मनाया जाता है। इस मंदिर में कृष्ण जन्म के समय श्री राधा रमण जी का अभिषेक किया जाता है। मंदिर को दीप, फूल, और रंगोली से सजाया जाता है। इस समय वेद-मंत्रों और भजन-संगीत के साथ पूजा होती है, जिसमें श्रद्धालु पूरी रात भक्ति-भावना में लीन रहते हैं।
रंगजी मंदिर
वृंदावन के सबसे बड़े और भव्य मंदिरों में रंगजी मंदिर भी शामिल है। यह मंदिर अपनी आकर्षक वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यहां आपको दक्षिण भारतीय (द्रविड़) शैली की वास्तुकला देखने को मिलती है। जन्माष्टमी के दिन यहां भक्त भगवान श्री रंगनाथजी (भगवान विष्णु के अवतार) के जन्म का उत्सव मनाते हैं। इस मौके पर पारंपरिक नृत्य, संगीत, वैदिक मंत्रोच्चार और तमिल-तेलुगु भजन प्रस्तुत किए जाते हैं। इसके साथ ही कलाकारों द्वारा रामायण, भागवत और श्रीकृष्ण की लीलाओं पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए जाते हैं। जैसे-जैसे रात के 12 बजे का समय पास आता है, श्रीकृष्ण के दिव्य जन्म का उल्लासपूर्वक स्वागत होता है और एक विशेष आरती की जाती है, जिससे वातावरण भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है।
मधुबन (निधिवन)
मधुबन (निधिवन), वृंदावन में कोई मंदिर नहीं है, बल्कि यह एक पवित्र वन है जिसे भगवान श्रीकृष्ण की रास लीला की स्थली माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर हर रात श्री कृष्ण राधा रानी और गोपियों के साथ रास रचाने आते हैं। इसलिए जन्माष्टमी के अवसर पर इस जगह आने का बहुत महत्व होता है। इस पावन दिन पर यह स्थल भक्ति के रंग में रंग जाता है जहाँ भजन, कीर्तन और रास लीला की सुंदर प्रस्तुतियाँ होती हैं। यहाँ की आध्यात्मिक शांति और सांस्कृतिक समृद्धि मिलकर ऐसा अनुभव कराती है जो दिल को गहराई से छू जाता है।
जन्माष्टमी का पर्व आपको श्री कृष्ण के जीवन की लीलाओं को एक बार फिर अनुभव करने और उनकी सीखों को जीवन में उतारने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह केवल पूजा पाठ ही नहीं बल्कि ईश्वर के करीब आने का अवसर भी देता है।
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