
Kuber Ji Ki Aarti: क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर कुछ लोगों के घर में हमेशा समृद्धि क्यों बनी रहती है? इसका एक रहस्य भगवान कुबेर से जुड़ा है — जो देवताओं के खजांची और धन के स्वामी माने जाते हैं। कुबेर देव सिर्फ सोने-चांदी के प्रतीक नहीं, बल्कि स्थायी संपन्नता के रक्षक हैं।
भारत की धार्मिक परंपराओं में कुबेर जी का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोग इन्हें श्रद्धा से पूजते हैं ताकि जीवन में धन, सौभाग्य और सफलता का प्रवाह बना रहे। माना जाता है कि कुबेर देव की कृपा से घर में न केवल धन की वृद्धि होती है, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा भी दूर हो जाती है।
कुबेर आरती (kuber aarti) करना मात्र एक पूजा विधि नहीं, बल्कि यह आत्मिक संतुलन और सकारात्मक सोच का प्रतीक है। जब कोई व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ कुबेर जी की आराधना करता है, तो उसके जीवन में वैभव, शांति और उन्नति के नए द्वार खुल जाते हैं।
॥ आरती श्री कुबेर जी की ॥
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे,स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे॥
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े॥
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,सब जय जय कार करैं॥
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
गदा त्रिशूल हाथ में,शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करें॥
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
भाँति भाँति के व्यंजन बहुत बने,स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,साथ में उड़द चने॥
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
बल बुद्धि विद्या दाता,हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े
अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे॥
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
मुकुट मणी की शोभा,मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले॥
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे॥
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
॥ इति श्री कुबेर आरती ॥
''ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये, धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥''
कुबेर जी की आरती करना सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक ऊर्जात्मक साधना है। जब कोई भक्त श्रद्धा से आरती करता है, तो उसकी सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास बढ़ता है।
माना जाता है कि आरती करने से वातावरण में दिव्यता फैलती है और कुबेर जी की कृपा से घर में लक्ष्मी और संपन्नता का वास होता है। दीपक की लौ और मंत्रों की ध्वनि से ऊर्जा का ऐसा संचार होता है, जो नकारात्मकता को समाप्त कर देता है।
पुराणों के अनुसार कुबेर जी भगवान शिव के गणों में प्रमुख हैं और उन्हें धनाध्यक्ष यानी धन के संरक्षक के रूप में जाना जाता है। कुबेर जी का निवास अलकापुरी नामक स्वर्गीय नगरी में बताया गया है, जो स्वर्ण, रत्नों और खजानों से भरी हुई है।
मान्यता है कि जो व्यक्ति विधि-विधान से कुबेर देव की आराधना करता है, उसके जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहती। कुबेर जी की पूजा धनतेरस, दीपावली, और अक्षय तृतीया जैसे शुभ दिनों में विशेष रूप से की जाती है।
कुबेर जी की आरती करते समय मन, वाणी और कर्म तीनों की शुद्धता आवश्यक होती है। पूजा के दौरान इन बातों का ध्यान रखें —
कुबेर जी की आराधना सुबह ब्रह्म मुहूर्त या शाम को सूर्यास्त के बाद करना शुभ माना जाता है। पूजा स्थान साफ और पवित्र होना चाहिए। यदि घर में उत्तर दिशा में मंदिर है, तो वहीं पर आराधना करना सर्वोत्तम होता है क्योंकि उत्तर दिशा कुबेर जी की दिशा मानी जाती है।
कुबेर पूजा के लिए निम्न वस्तुएं तैयार रखें:
कुबेर जी की प्रतिमा या तस्वीर
पीला वस्त्र
धूप, दीप, कपूर
चावल, अक्षत, पुष्प
मिठाई या खीर का भोग
कलश या तांबे का लोटा जल से भरा हुआ
सबसे पहले स्थान और अपने मन को पवित्र करें।
कुबेर जी की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़कें और पीला वस्त्र चढ़ाएं।
धूप और दीप जलाएं।
पुष्प अर्पित करते हुए कहें — “ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये नमः।”
अब कुबेर जी की आरती करें और अंत में भोग अर्पित कर दीपक की लौ की परिक्रमा करें।
कुबेर देव की कृपा स्थायी बनाए रखने के लिए इन छोटे उपायों का पालन करें:
हर शुक्रवार या पूर्णिमा के दिन कुबेर जी की आरती अवश्य करें।
घर या दुकान की तिजोरी उत्तर दिशा में रखें और उसमें लाल कपड़ा बिछाएं।
हर दीपावली पर कुबेर जी और लक्ष्मी जी की संयुक्त पूजा करें।
धन का सदुपयोग करें और जरूरतमंदों की सहायता करें।
हमेशा सकारात्मक विचार और कर्म रखें।
कुबेर जी की आरती केवल धन प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि एक ऐसी आध्यात्मिक साधना है जो व्यक्ति को कर्म, संयम और सदाचार की दिशा में प्रेरित करती है।
जब कोई व्यक्ति सच्चे मन से आरती करता है, तो वह केवल भौतिक संपत्ति ही नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और समृद्ध जीवन दृष्टिकोण भी प्राप्त करता है।
इस दीपावली या किसी भी शुभ दिन पर जब आप कुबेर जी की आरती करें, तो सिर्फ धन की इच्छा न करें — बल्कि यह कामना करें कि आपका धन सही मार्ग में उपयोग हो और आपके जीवन में सदैव समृद्धि बनी रहे।