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Kundali Dosh aur Dasha: विवाह सिर्फ दो दिलों का संगम नहीं, बल्कि दो परिवारों की परंपराओं और संस्कृतियों का भी मेल होता है। लेकिन क्या हर रिश्ता सुखी और सफल होता है? क्या शादी से पहले कुंडली मिलाना ज़रूरी है? अगर ग्रहों की दशा प्रतिकूल हो, तो क्या विवाह में परेशानियां आ सकती हैं? हिंदू ज्योतिष के अनुसार, कुंडली मिलान न केवल वर-वधू के आपसी सामंजस्य को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि उनका दांपत्य जीवन कैसा रहेगा। वहीं, ग्रहों की स्थिति शादी के बाद आने वाले सुख-दुख को निर्धारित करती है। ऐसे में यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि आपकी कुंडली क्या कहती है और कौन-कौन से ग्रह आपके वैवाहिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। इस लेख में हम इन्हीं पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि आप अपने विवाह को खुशहाल और सफल बना सकें।
कुंडली मिलान को हिंदू विवाह में अनिवार्य माना जाता है। यह विवाह में सफलता, सुख-शांति, संतान सुख और आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है। कुंडली मिलान में मुख्य रूप से निम्नलिखित आठ पहलुओं का अध्ययन किया जाता है:
वर्ण मिलान – दंपत्ति के बीच आपसी सामंजस्य और रिश्ते की अनुकूलता को दर्शाता है।
वश्य मिलान – पति-पत्नी के बीच नियंत्रण और आपसी तालमेल को देखता है।
तारा मिलान – जीवनसाथी के स्वास्थ्य और दीर्घायु से संबंधित होता है।
योग मिलान – रिश्ते की स्थिरता और सामंजस्य को प्रभावित करता है।
ग्रह मैत्री – वैचारिक समानता और आपसी समझ दर्शाता है।
गण मिलान – मानसिकता और स्वभाव की संगति को जांचता है।
भकूट मिलान – विवाह के दौरान आने वाली संभावित समस्याओं का संकेत देता है।
नाड़ी मिलान – संतान प्राप्ति और शारीरिक अनुकूलता को प्रभावित करता है।
ग्रहों की दशा से यह निर्धारित किया जाता है कि विवाह सुखमय रहेगा या संघर्षपूर्ण। ग्रहों की शुभ स्थिति विवाह को सकारात्मक बनाती है, जबकि अशुभ दशा विवाह में समस्याएँ उत्पन्न कर सकती है।
शुक्र ग्रह – विवाह का कारक ग्रह है। इसकी शुभ स्थिति दांपत्य जीवन में प्रेम और सुख-संपन्नता लाती है, जबकि इसकी अशुभ स्थिति रिश्ते में तनाव उत्पन्न कर सकती है।
मंगल दोष – अगर मंगल दोष हो तो वैवाहिक जीवन में संघर्ष, मतभेद और कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
शनि ग्रह – यदि शनि विवाह भाव (सप्तम भाव) में हो तो विवाह में देरी और आपसी मतभेद होने की संभावना बढ़ जाती है।
राहु-केतु का प्रभाव – राहु-केतु की अशुभ दशा विवाह में धोखा, भ्रम और अविश्वास ला सकती है।
बृहस्पति ग्रह – विवाह में स्थायित्व और समृद्धि का कारक होता है। अगर यह कमजोर हो तो रिश्ते में अस्थिरता आ सकती है।
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1. मंगल दोष निवारण
विवाह से पहले मंगल दोष की शांति के लिए पूजा करें।
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें।
मंगलवार के दिन उपवास रखें।
2. शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय
सफेद वस्त्र धारण करें और इत्र का उपयोग करें।
देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
शुक्र मंत्र का जाप करें: “ॐ शुं शुक्राय नमः।”
3. शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के उपाय
शनिदेव की पूजा करें।
शनिवार को जरूरतमंद लोगों को तेल और काले तिल का दान दें।
पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करें।
4. राहु-केतु दोष निवारण
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
नारियल प्रवाहित करें।
शिवलिंग पर काले तिल अर्पित करें।
5. बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के उपाय
गुरुवार के दिन व्रत रखें।
पीले वस्त्र धारण करें।
भगवान विष्णु की आराधना करें।
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पति-पत्नी को नियमित रूप से भगवान शिव और पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए रोज हवन करें।
रिश्ते को मधुर बनाए रखने के लिए एक-दूसरे की कुंडली के अनुसार रत्न धारण करें।
घर में तुलसी का पौधा लगाएँ और उसकी देखभाल करें।
ग्रहों की दशा और जन्म कुंडली मिलान विवाह के सफल होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि विवाह में समस्याएँ आ रही हैं, तो ज्योतिषीय उपायों को अपनाकर स्थिति को सुधारा जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की दशा और सही समय पर विवाह करने से वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। विवाह की योजना बनाते समय कुंडली मिलान और ग्रहों की दशा का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। यदि किसी प्रकार की समस्या हो तो किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें।
अगर आप कोई ज्योतिषीय सलाह प्राप्त करना चाहते हैं या किसी समस्या का उपाय जानना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी के विशेषज्ञ ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते हैं। आपके लिए पहली कॉल या चैट बिलकुल मुफ्त है।