कुंडली में कब बनते हैं तलाक के योग?

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कुंडली में कब बनते हैं तलाक के योग?

हम इस लेख में तलाक के योग कुंडली में कब बनते हैं, यह योग किन ग्रहों के कारण बनता है, तथा इस योग से कैसे बचा जा सकता है इस बारे में जानकारी दी जा रही है। तो आइए जानते हैं ज्योतिषियों का इस योग के संबंध में क्या कहना है।

तलाक शब्द समाज के लिए एक अभिशाप के समान है। यह शब्द केवल एक जोड़े को ही नहीं अलग करता अपितु दो परिवारों को एक दूसरे से दूर कर देता है। हिंदू धर्म में तलाक को गृहस्थ तथा संसारिक जीवन के लिए शाप के समान माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में तलाक योग है जो किसी भी जोड़े के गृहस्थ जीवन में बन सकता है। इस योग के बनने के पीछे का कारण ज्योतिष ग्रहों की स्थिति तथा ग्रहों की युति को मानते हैं। इसके अलावा कुंडली में कुछ दोष हैं जिनके होने से भी तलाक का योग बनता है।

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वर्तमान में तलाक की दरों में भारी इजाफा दर्ज किया गया है। जो समाज के लिए घातक बनता जा रहा है। इसका कारण छोटी-छोटी बातों को लेकर मन मुटाव के साथ ही ग्रहों की बिगड़ी दशा है। लेकिन लोग इस पर ध्यान नहीं देते। वैवाहिक जीवन को चलाने के जिस चीज की सबसे ज्यादा आवश्यकता है लोगों में वह चीज बहुत कम के पास है। किसी भी रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए लोगों में समर्पण का भाव होना जरूरी है जो बहुत ही कम है। आज के दौर में लोग कम मैनेज करने से बेहतर अलग होना ठीक समझते हैं। असल में ये ऐसा करना नहीं चाहते लेकिन समय व ग्रह दशा के चलते ऐसा कर बैठते हैं।

कुंडली में तलाक योग कैसे बनता है?

आपके वैवाहिक जीवन में उछल-पुथल मची है तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपकी कुंडली में प्रेम कारक ग्रह तथा वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने वाले ग्रह की दशा बिगड़ रही है। यदि समय रहते इस ध्यान न दिया जाए तो परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं। जैसे की- जोड़े एक दूसरे से अगल हो जाएं या तलाक की बात करें। ऐसे में उन्हें योग्य ज्योतिषाचार्य से सलाह लेकर अपने वैवाहिक जीवन को बचाने की कोशिश करना चाहिए। तो आइए जानते हैं कुंडली में कैसे बनता है तलाक योग?

कुंडली में तलाक योग

किसा भी कुंडली में लग्नेश, सप्तमेश तथा चंद्रमा विपरीत स्थिति में हो तो पत्रिका के अंदर तलाक की स्थिति उत्पन्न होती है। सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव या बारहवें भाव में विराजमान है तो पति-पत्नी के बीच में अलग होने की स्थिति बनती है जो तलाक करवाता है। सूर्य, राहु व शनि सातवें भाव में हो और इन पर शुक्र का प्रभाव पड़ रहा हो या शुक्र की दृष्टि बारहवें भाव पर पड़ रही हो तो भी तलाक के योग बनते हैं। इसके अलावा सप्तमेश व बारहवें भाव का स्वामी आपस में राशि संबंध बनाते हैं तो कुंडली में तलाक योग का निर्माण होता है। तलाक योग चतुर्थ भाव के स्वामी या सप्तम भाव के स्वामी का छठे, आठवें और बारहवें भाव में विराजमान होने पर भी बनता है। इसके अतिरीक्त चतुर्थ भाव पर पाप ग्रह की दृष्टि पड़ना या पाप ग्रह का विराजमान होना भी वैवाहिक जीवन का अंत करने वाला योग बनाता है। जातक के जन्म कुंडली में शुक्र के साथ छठे, आठवें व बारहवें स्थान में पाप ग्रह विद्धमान है तो यह योग संबंध को तोड़ने का काम करता है। इसके इतर सप्तमेश, लग्नेश व अष्टमेश तथा बारहवें घर में विराजमान हैं तो भी तलाक की स्थिति बनती है। यदि पत्रिका में प्रेम के कारक ग्रह शुक्र नीच राशि का या वक्र राशि का होकर के छठे, आठवें तथा बारहवें घर में स्थित है तो यह अलगाव का योग बनाता है।

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