लक्ष्मी जिन्हें धन, वैभव, सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी माना जाता है, जो विष्णुप्रिया हैं। मान्यता है कि हिंदू पंचांग के चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है व इन्हें प्रसन्न करने के लिये इस दिन पूजा के साथ-साथ दिन भर उपवास भी रखा जाता है। इसी कारण इस पंचमी को लक्ष्मी पंचमी व श्री पंचमी कहा जाता है। हालांकि श्री पंचमी मां सरस्वती की उपासना के दिन बसंत पंचमी को भी कहा जाता है लेकिन मां लक्ष्मी का भी एक नाम श्री माना जाता है इस कारण लक्ष्मी पंचमी को श्री पंचमी भी कहा जाता है। घर में सुख-समृद्धि व धन प्राप्ति की कामना के लिये मां लक्ष्मी की उपासना का यह पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण है। आइये जानते हैं लक्ष्मी पंचमी की व्रत कथा व व्रत पूजा विधि के बारे में।
पौराणिक ग्रंथों में जो कथा मिलती है उसके अनुसार मां लक्ष्मी एक बार देवताओं से रूठ गई और क्षीर सागर में जा मिली। मां लक्ष्मी के चले जाने से देवता मां लक्ष्मी यानि श्री विहीन हो गये। तब देवराज इंद्र ने मां लक्ष्मी को पुन: प्रसन्न करने के लिये कठोर तपस्या कि व विशेष विधि विधान से उपवास रखा। उनका अनुसरण करते हुए अन्य देवताओं ने भी मां लक्ष्मी का उपवास रखा, देवताओं की तरह असुरों ने भी मां लक्ष्मी की उपासना की। अपने भक्तों की पुकार मां ने सुनी और वे व्रत समाप्ति के पश्चात पुन: उत्पन्न हुई जिसके पश्चात भगवान श्री विष्णु से उनका विवाह हुआ और देवता फिर से श्री की कृपा पाकर धन्य हुए।
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मान्यता है कि यह तिथि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी। यही कारण था कि इस तिथि को लक्ष्मी पंचमी के व्रत के रूप में मनाया जाने लगा।
लक्ष्मी पंचमी का व्रत विशेष विधि से किया जाता है। मान्यता है कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को स्नानादि के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिये। तत्पश्चात रात्रि में दही व भात भोजन के तौर पर ग्रहण करने चाहिये। इसके पश्चात श्री पंचमी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करना चाहिये व सोने, तांबे या फिर चांदी से मां लक्ष्मी जी की कमल के फूल सहित पूजा करनी चाहिये। पूजा सामग्री में अनाज, हल्दी, गुड़, अदरक आदि मां को अर्पित करने चाहिये। सामर्थ्यनुसार कमल के फूल, घी, बेल के टुकड़े इत्यादि से हवन भी करवाया जाना चाहिये। यदि प्रतिमास मां लक्ष्मी का व्रत रखते हैं तो विधिनुसार व्रत का उद्यापन भी करना चाहिये।
मान्यता है कि दीपावली के पश्चात चैत्र शुक्ल पंचमी को मां लक्ष्मी की पूजा करने से व्रती व उसके परिवार पर मां की कृपा बनी रहती है। जो भी विधि-विधान से मां की पूजा अर्चना कर उनके लिये उपवास रखता है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वह अपने 21 कुलों के साथ मां लक्ष्मी के लोक में जगह पाता है। जो स्त्रियां इस व्रत को रखती हैं वह सौभाग्यवती होती हैं। उनकी संतान भी रूप, गुण व धन से संपन्न होती हैं।
वहीं चैत्र शुक्ल पंचमी की तिथि सात कल्पादि तिथियों में से भी एक मानी जाती है जिस कारण यह दिन और भी सौभाग्यशाली होता है। नवरात्रि का पांचवा दिन होने से भी यह मां की पूजा का ही दिन होता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से ही हिंदू नव वर्ष का आरंभ होता है इस प्रकार नव वर्ष के आरंभ में ही मां लक्ष्मी की पूजा करने से पूरे वर्ष मां लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं। अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार भी यह तिथि वित्तीय वर्ष के आगमन के आस-पास ही होती है इस लिहाज से धनदात्री देवी मां लक्ष्मी की उपासना अवश्य करनी चाहिये।
अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार वर्ष 2021 में श्री लक्ष्मी पंचमी व्रत 17 अप्रैल को है। इस दिन मां की पूजा करने व व्रत रखने से व्रती को मनोवांछित फल मिलता है। जीवन में धन की दिक्कत, नौकरी अथवा व्यवसाय में नाकामी हाथ लगती है तो मां लक्ष्मी की विशेष मंत्रोंच्चारण के साथ उपासना करें।
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