Lohri 2024: नई फसल के आगमन का पर्व, खुशियों और आनंद से भरा त्योहार लोहड़ी का समय आ गया है। यह साल का पहला त्योहार है जिसे बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी पड़ोसी और रिश्तेदार मिलजुलकर खुशियां मनाते हैं और पारंपरिक तरीके से त्योहार का मजा लेते हैं। सभी सालों से लोहड़ी का त्योहार मनाते आ रहें हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस शब्द का अर्थ क्या है और इस त्योहार को लोहड़ी क्यों कहते हैं? इसका जवाब बहुत ही कम लोग जानते हैं। आज हम आपको इस त्योहार से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां साझा करने वाले हैं। तो आइए जानते हैं लोहड़ी शब्द का अर्थ और इस त्योहार के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।
यह त्योहार पंजाब और उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी का पर्व फसल और मौसम से जुड़ा होता है। इस समय रबी की फसल कटकर घर आती है और नई फसल की तैयारी होने लगती है। लोहड़ी का पर्व संक्रांति से एक दिन पहले मनाई जाता है। साल 2024 में यह पर्व 13 जनवरी की जगह 14 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा। क्योंकि इस साल तिथि के अनुसार, मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ रही है।
लोहड़ी का अर्थ क्या है?
लोहड़ी का शाब्दिक अर्थ ‘ल’ से लकड़ी, ‘ओह’ से उपले और ‘ड़ी’ से रेवड़ी होता है। लोहड़ी के त्योहार में इन तीनों चीज़ों का बहुत ज्यादा महत्व होता है। लोहड़ी के कुछ दिन पहले से ही लोग चौक या गली मोहल्लों में इस पर्व की तैयारी शुरू करते हुए सामग्री जुटाने लगते हैं। लोग रोज़ाना लकड़ी और गोबर के उपले एकत्रित करने लगते हैं ताकि लोहड़ी वाले दिन शाम के समय उन्हें जलाकर इस पर्व का जश्न मनाया जा सके। लोहड़ी की आग में प्रसाद के रूप में मूंगफली और रेवड़ियों के साथ-साथ गोबर के उपलों की माला भी चढ़ाई जाती है।
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लोहड़ी के पर्व में अलाव यानी आग जलाने की परंपरा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह अंधेरे के अंत और प्रकाश के आगमन का प्रतिनिधित्व करता है। सभी लोग अलाव के चारों ओर घूमकर प्रार्थनाएं करते हैं और समृद्धि व सौभाग्य प्राप्त करते हैं। करीबी लोग एक साथ आग के आस-पास समय बिताते हैं, रोमांचक कहानियां सुनते-सुनाते हैं, हंसी-ठिठोली करते हैं और पारंपरिक स्नैक्स भी साझा करते हैं। यह संबंधों को मजबूत और बेहतर करने का समय होता है, क्योंकि हर कोई खुशी के अवसर का जश्न मनाने के लिए एक साथ आता है।
लोहड़ी मुख्य रूप से एक फसल से जुड़ा त्योहार है, जो सर्दियों की लहलाती हुई फसलों का जश्न मनाता है। यह एक ऐसा समय है जब किसान भरपूर और अच्छी फसल के लिए ईश्वर के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं और भविष्य की समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। यह त्योहार किसानों के जीवन में बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह फसल के एक मेहनती समय के अंत और विकास के एक नए समय की शुरुआत का प्रतीक है। यह प्रकृति के आशीर्वाद के महत्व और पर्यावरण के संरक्षण और सम्मान की आवश्यकता की याद दिलाता है।
पारंपरिक व्यंजनों के बिना कोई भी त्योहार पूरा नहीं होता है। लोहड़ी के त्योहार में भी ऐसे कई पकवान और स्नैक्स खाए जाते हैं, जिनके बारे में सुनते ही लोगों को ठंडी-ठंडी सर्दियों में भी उत्साह से भर देती है। इसमें गुड़ और तिल से बनी "रेवड़ी", मूंगफली और गुड़ के साथ बनाई जाने वाली "गजक" का बहुत महत्व है। इसके अलावा पंजाब में इस दिन "मक्की दी रोटी" और "सरसों दा साग" भी बहुत शौक से खाया जाता है। खाने की यह सभी चीज़ें बहुत ही प्यार से तैयार की जाती हैं और परिवार व दोस्तों के बीच साझा की जाती हैं।
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इस वर्ष आप भी अपने करीबियों के साथ इस त्योहार का आनंद लें और अपनों के साथ खुशियां बांटे। आप सभी को एक बार फिर से नव वर्ष और लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाएं !
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