
Maa Gayatri Chalisa Path: हिन्दू शास्त्रों में माँ गायत्री देवी के लिए गायत्री चालीसा को समर्पित बताया गया है। माता गायत्री को वेदों की माता के रूप में वर्णित किया गया है। वेदों के अनुसार अगर आप गायत्री चालीसा का पाठ पुरे विधि विधान से करते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। आइए इस लेख में गायत्री चालीसा के बारें में विस्तार से जानते हैं।
हिंदू आध्यात्मिकता के विशाल ताने-बाने में, देवी गायत्री ज्ञान और पवित्रता की एक किरण के रूप में चमकती हैं। वेदों की माता के रूप में पूजनीय, वे ज्ञान और आत्मज्ञान का सार हैं। अपने पाँच मुखों के साथ पाँच तत्वों का प्रतीक, वे ब्रह्मांड के गहन सत्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। माना जाता है कि देवी गायत्री की पूजा करने से न केवल ज्ञान मिलता है, बल्कि उनके भक्तों को समृद्धि और मुक्ति (मोक्ष) भी मिलती है।
ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचण्ड।
शान्ति कान्ति जागृति प्रगति रचना शक्ति अखण्ड॥
जगत जननी मंगल करनि गायत्री सुखधाम।
प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम॥
भूर्भुवः स्वः ऊं युत जननी।
गायत्री नित कलिमल दहनी॥
अक्षर चौबीस परम पुनीता।
इनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता॥
शाश्वत सतोगुणी सत रूपा।
सत्य सनातन सुधा अनूपा॥
हंसा रूढ़ सितंबर धारी।
स्वर्ण कान्ति शुचि गगन बिहारी॥
पुस्तक पुष्प कमण्डलु माला।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला॥
ध्यान धरत पुलकित हिय होई।
सुख उपजत दुख दुर्मति खोई॥
कामधेनु तुम सुर तरु छाया।
निराकार की अद्भुत माया॥
तुम्हरी शरण गहै जो कोई।
तरै सकल संकट सोई॥
सरस्वती लक्ष्मी तुम काली।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली॥
तुम्हरी महिमा पार न पावैं।
जो शारद शत मुख गुन गावैं॥
चार वेद की मात पुनीता।
तुम ब्रह्माणी गौरी सीता॥
महामंत्र जितने जग माहीं।
कोऊ गायत्री सम नाहीं॥
सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै।
आलस पाप अविद्या नासै॥
सृष्टि बीज जग जननि भवानी।
कालरात्रि वरदा कल्याणी॥
ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते।
तुम सों पावें सुरता तेते॥
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे॥
महिमा अपरम्पार तुम्हारी।
जय जय जय त्रिपदा भय हारी॥
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना।
तुम सम अधिक न जग में आना॥
तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा।
तुमहिं पाय कछु रहै न कलेसा॥
जानत तुमहिं तुमहिं है जाई।
पारस परसि कुधातु सुहाई॥
तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई।
माता तुम सब ठौर समाई॥
ग्रह नक्षत्र ब्रह्माण्ड घनेरे।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे॥
सकल सृष्टि की प्राण विधाता।
पालक पोषक नाशक त्राता॥
मातेश्वरी दया व्रत धारी।
तुम सन तरे पातकी भारी॥
जापर कृपा तुम्हारी होई।
तापर कृपा करें सब कोई॥
मंद बुद्धि ते बुधि बल पावें।
रोगी रोग रहित हो जावें॥
दरिद्र मिटै कटै सब पीरा।
नाशै दुख हरै भव भीरा॥
गृह कलेश चित चिंता भारी।
नासै गायत्री भय हारी॥
संतति हीन सुसंतति पावें।
सुख सम्पत्ति युत मोद मनावें॥
भूत पिशाच सबै भय खावें।
यम के दूत निकट नहिं आवें॥
जो सधवा सुमिरें चित लाई।
अछत सुहाग सदा सुखदाई॥
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी॥
जयति जयति जगदम्ब भवानी।
तुम सम और दयालु न दानी॥
जो सतगुरु सो दीक्षा पावें।
सो साधन को सफल बनावें॥
सुमिरन करै सुरूचि बड़भागी।
लहै मनोरथ गृही विरागी॥
अष्ट सिद्धि नव निधि की दाता।
सब समर्थ गायत्री माता॥
ऋषि मुनि यती तपस्वी योगी।
आरत अर्थी चिंतित भोगी॥
जो जो शरण तुम्हारी आवें।
सो सो मन वांछित फल पावें॥
बल बुधि विद्या शील स्वभाऊ।
धन वैभव यश तेज उछाहू॥
सकल बढ़ें उपजें सुख नाना।
जे यह पाठ करै धरि ध्याना॥
दोहा
यह चालीसा भक्ति युत पाठ करे जो कोई।
तापर कृपा प्रसन्नता गायत्री की होई॥
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देवी गायत्री से जुड़ने का सबसे शक्तिशाली तरीका गायत्री चालीसा है। यह पवित्र भजन केवल छंदों का संग्रह नहीं है; यह दिव्य आशीर्वाद का मार्ग है। गायत्री चालीसा का प्रतिदिन पाठ करना व्यक्ति की इच्छाओं को पूरा करने में सहायक माना जाता है। कई भक्तों ने इस अभ्यास को अपने जीवन में शामिल करने के बाद परिवर्तनकारी अनुभव साझा किए हैं। कल्पना करें कि आप अपना दिन गायत्री मंत्र की दिव्य ऊर्जा से भरकर शुरू कर रहे हैं, और सकारात्मकता और स्पष्टता की लहर महसूस कर रहे हैं।
स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पाठ से पहले शरीर और मन की शुद्धता जरूरी है।
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
यह पूर्व या उत्तर दिशा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
गायत्री माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
एक स्वच्छ स्थान पर दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
एकाग्र होकर प्रार्थना करें।
हाथ जोड़कर गायत्री माता से प्रार्थना करें कि वह आपका मार्गदर्शन करें।
गायत्री मंत्र से शुरुआत करें:
"ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥"
इसके बाद गायत्री चालीसा का पाठ करें।
श्रद्धा और ध्यान के साथ पूरा चालीसा पढ़ें।
पाठ के बाद माँ गायत्री की आरती करें।
अगर संभव हो तो घी का दीपक जलाकर आरती करें।
प्रसाद चढ़ाकर सभी को वितरित करें।
घर के वातावरण को सकारात्मक बनाए रखने के लिए।
पाठ के बाद कुछ समय ध्यान या मौन साधना करें।
इससे ऊर्जा और आशीर्वाद को आत्मसात करने में मदद मिलती है।
टिप: रोजाना सुबह या शाम एक निश्चित समय पर पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
गायत्री चालीसा एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जो नियमित जप के गहन लाभों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यहाँ कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: नियमित जप से बुद्धि तेज होती है और समझ बढ़ती है।
आध्यात्मिक विकास: यह ईश्वर के साथ गहरा संबंध बनाता है, आंतरिक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देता है।
इच्छाओं की पूर्ति: कई लोगों का मानना है कि जप करते समय की गई सच्ची प्रार्थना व्यक्ति की आकांक्षाओं की पूर्ति कर सकती है।
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ऐतिहासिक रूप से, गायत्री चालीसा को इसके आध्यात्मिक महत्व के लिए सम्मानित किया जाता रहा है। यह प्राचीन परंपराओं में निहित है और पीढ़ियों से चली आ रही है, जो हमारे पूर्वजों के सामूहिक ज्ञान को दर्शाती है। छंद उन लोगों के बीच समुदाय और साझा उद्देश्य की भावना का आह्वान करते हैं जो एक साथ जप करते हैं।
यदि आपके दिल के करीब कोई इच्छा है, तो प्रतिदिन गायत्री चालीसा का पाठ करने के बारे में सोचें। यह केवल एक अनुष्ठान नहीं है; यह आपकी आध्यात्मिक यात्रा के लिए एक प्रतिबद्धता है। आज से शुरू करें और अपने जीवन में आने वाले गहन परिवर्तनों को देखें।
क्या आप गायत्री चालीसा की शक्ति को अपनाने के लिए तैयार हैं? भक्तों के समुदाय में शामिल हों और अपना दैनिक अभ्यास शुरू करें। देवी गायत्री के प्रकाश को ज्ञान, समृद्धि और आध्यात्मिक पूर्णता के लिए अपने मार्ग को रोशन करने दें!
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