Maa Kali Chalisa: कब करें माँ काली चालीसा का पाठ?

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Maa Kali Chalisa: कब करें माँ काली चालीसा का पाठ?

Maa Kali Chalisa: क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे जीवन में नकारात्मक ऊर्जा और भय को दूर करने वाला कौन है? भारतीय संस्कृति में देवी उपासना का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। माँ दुर्गा, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती की तरह ही माँ काली को भी शक्ति और संहार का सर्वोच्च रूप माना जाता है। वे न केवल बुराई के अंत की प्रतीक हैं, बल्कि अपने भक्तों की हर विपत्ति और संकट से रक्षा करने वाली “संहार और सृजन” की देवी भी हैं।

माँ काली चालीसा भक्तों के लिए एक ऐसा मंत्रमुग्ध साधन है, जो उनकी भक्ति और विश्वास को मजबूत करता है। इसे पढ़ने या सुनने से मानसिक शांति, आत्मविश्वास और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। आज हम इस लेख में माँ काली चालीसा की महत्ता, इसका महत्व और इसे पढ़ने की विधि को विस्तार से समझेंगे।

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माँ काली चालीसा (Maa Kali Chalisa)

॥ दोहा ॥

जय काली जगदम्ब जय,हरनि ओघ अघ पुंज।

वास करहु निज दास के,निशदिन हृदय निकुंज॥

जयति कपाली कालिका,कंकाली सुख दानि।

कृपा करहु वरदायिनी,निज सेवक अनुमानि॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय काली कंकाली।जय कपालिनी, जयति कराली॥

शंकर प्रिया, अपर्णा, अम्बा।जय कपर्दिनी, जय जगदम्बा॥

आर्या, हला, अम्बिका, माया।कात्यायनी उमा जगजाया॥

गिरिजा गौरी दुर्गा चण्डी।दाक्षाणायिनी शाम्भवी प्रचंडी॥

पार्वती मंगला भवानी।विश्वकारिणी सती मृडानी॥

सर्वमंगला शैल नन्दिनी।हेमवती तुम जगत वन्दिनी॥

ब्रह्मचारिणी कालरात्रि जय।महारात्रि जय मोहरात्रि जय॥

तुम त्रिमूर्ति रोहिणी कालिका।कूष्माण्डा कार्तिका चण्डिका॥

तारा भुवनेश्वरी अनन्या।तुम्हीं छिन्नमस्ता शुचिधन्या॥

धूमावती षोडशी माता।बगला मातंगी विख्याता॥

तुम भैरवी मातु तुम कमला।रक्तदन्तिका कीरति अमला॥

शाकम्भरी कौशिकी भीमा।महातमा अग जग की सीमा॥

चन्द्रघण्टिका तुम सावित्री।ब्रह्मवादिनी मां गायत्री॥

रूद्राणी तुम कृष्ण पिंगला।अग्निज्वाला तुम सर्वमंगला॥

मेघस्वना तपस्विनि योगिनी।सहस्राक्षि तुम अगजग भोगिनी॥

जलोदरी सरस्वती डाकिनी।त्रिदशेश्वरी अजेय लाकिनी॥

पुष्टि तुष्टि धृति स्मृति शिव दूती।कामाक्षी लज्जा आहूती॥

महोदरी कामाक्षि हारिणी।विनायकी श्रुति महा शाकिनी॥

अजा कर्ममोही ब्रह्माणी।धात्री वाराही शर्वाणी॥

स्कन्द मातु तुम सिंह वाहिनी।मातु सुभद्रा रहहु दाहिनी॥

नाम रूप गुण अमित तुम्हारे।शेष शारदा बरणत हारे॥

तनु छवि श्यामवर्ण तव माता।नाम कालिका जग विख्याता॥

अष्टादश तब भुजा मनोहर।तिनमहँ अस्त्र विराजत सुन्दर॥

शंख चक्र अरू गदा सुहावन।परिघ भुशण्डी घण्टा पावन॥

शूल बज्र धनुबाण उठाए।निशिचर कुल सब मारि गिराए॥

शुंभ निशुंभ दैत्य संहारे।रक्तबीज के प्राण निकारे॥

चौंसठ योगिनी नाचत संगा।मद्यपान कीन्हैउ रण गंगा॥

कटि किंकिणी मधुर नूपुर धुनि।दैत्यवंश कांपत जेहि सुनि-सुनि॥

कर खप्पर त्रिशूल भयकारी।अहै सदा सन्तन सुखकारी॥

शव आरूढ़ नृत्य तुम साजा।बजत मृदंग भेरी के बाजा॥

रक्त पान अरिदल को कीन्हा।प्राण तजेउ जो तुम्हिं न चीन्हा॥

लपलपाति जिव्हा तव माता।भक्तन सुख दुष्टन दुःख दाता॥

लसत भाल सेंदुर को टीको।बिखरे केश रूप अति नीको॥

मुंडमाल गल अतिशय सोहत।भुजामल किंकण मनमोहन॥

प्रलय नृत्य तुम करहु भवानी।जगदम्बा कहि वेद बखानी॥

तुम मशान वासिनी कराला।भजत तुरत काटहु भवजाला॥

बावन शक्ति पीठ तव सुन्दर।जहाँ बिराजत विविध रूप धर॥

विन्धवासिनी कहूँ बड़ाई।कहँ कालिका रूप सुहाई॥

शाकम्भरी बनी कहँ ज्वाला।महिषासुर मर्दिनी कराला॥

कामाख्या तव नाम मनोहर।पुजवहिं मनोकामना द्रुततर॥

चंड मुंड वध छिन महं करेउ।देवन के उर आनन्द भरेउ॥

सर्व व्यापिनी तुम माँ तारा।अरिदल दलन लेहु अवतारा॥

खलबल मचत सुनत हुँकारी।अगजग व्यापक देह तुम्हारी॥

तुम विराट रूपा गुणखानी।विश्व स्वरूपा तुम महारानी॥

उत्पत्ति स्थिति लय तुम्हरे कारण।करहु दास के दोष निवारण॥

माँ उर वास करहू तुम अंबा।सदा दीन जन की अवलंबा॥

तुम्हारो ध्यान धरै जो कोई।ता कहँ भीति कतहुँ नहिं होई॥

विश्वरूप तुम आदि भवानी।महिमा वेद पुराण बखानी॥

अति अपार तव नाम प्रभावा।जपत न रहन रंच दुःख दावा॥

महाकालिका जय कल्याणी।जयति सदा सेवक सुखदानी॥

तुम अनन्त औदार्य विभूषण।कीजिए कृपा क्षमिये सब दूषण॥

दास जानि निज दया दिखावहु।सुत अनुमानित सहित अपनावहु॥

जननी तुम सेवक प्रति पाली।करहु कृपा सब विधि माँ काली॥

पाठ करै चालीसा जोई।तापर कृपा तुम्हारी होई॥

॥ दोहा ॥

जय तारा, जय दक्षिणा,कलावती सुखमूल।

शरणागत 'भक्त' है,रहहु सदा अनुकूल॥

माँ काली चालीसा का महत्व

काली चालीसा माँ काली की स्तुति में 40 छंदों में लिखी गई है। इसे पढ़ने और सुनने से अनेक आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ होते हैं:

  1. संकटों से सुरक्षा: माँ काली अपने भक्तों की हर विपत्ति और भय से रक्षा करती हैं।

  2. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: चालीसा के पाठ से घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

  3. आत्मविश्वास और साहस: जो व्यक्ति नियमित रूप से इसे पढ़ता है, उसका मानसिक बल और साहस बढ़ता है।

  4. धन और समृद्धि: माँ काली की भक्ति से जीवन में सुख, शांति और आर्थिक स्थिरता आती है।

  5. अभय और मानसिक शांति: पाठ से मनोविकार, तनाव और भय दूर होते हैं।

भक्तों का विश्वास है कि माँ काली चालीसा को नियमित पढ़ने से जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है और भगवान की कृपा बनी रहती है।

माँ काली चालीसा का पाठ करने का समय और स्थान

भक्तों के लिए उचित समय और स्थान का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि चालीसा का प्रभाव पूर्ण रूप से महसूस हो सके।

  • सर्वश्रेष्ठ समय: प्रातःकाल या संध्याकाल, जब वातावरण शांत और पवित्र होता है।

  • स्थान: घर के पूजा स्थान या मंदिर में साफ-सुथरी जगह।

  • साधन: दीपक, धूप, अगरबत्ती और फूल।

  • संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले मन को शुद्ध और एकाग्र रखें।

यह भी माना जाता है कि मंगलवार और शनिवार माँ काली की विशेष पूजा के लिए उत्तम दिन हैं। इन दिन विशेष रूप से चालीसा का पाठ करने से लाभ दोगुना होता है।

माँ काली चालीसा का पाठ की विधि

माँ काली चालीसा पढ़ने की विधि सरल है, परंतु इसे ध्यान और श्रद्धा के साथ करना आवश्यक है।

  1. संकल्प लें: मन में यह संकल्प करें कि आप माँ काली की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।

  2. साधन तैयार करें: दीपक, धूप और फूल रखें।

  3. प्रणाम और मंत्र उच्चारण: काली माता के सामने प्रणाम करें और प्रारंभिक मंत्र पढ़ें।

  4. चालीसा का पाठ: प्रत्येक छंद ध्यान और श्रद्धा के साथ पढ़ें।

  5. आरती और प्रार्थना: पाठ समाप्त होने पर माँ काली की आरती और प्रार्थना करें।

भक्तों का अनुभव है कि नियमित रूप से काली चालीसा का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति बनी रहती है।

माँ काली चालीसा के लाभ

माँ काली चालीसा केवल एक भक्ति ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक साधना का एक माध्यम भी है। इसके लाभ इस प्रकार हैं:

  • संकटमोचन: जीवन के हर प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

  • भय और भय से मुक्ति: मानसिक भय, डर और तनाव दूर होते हैं।

  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार: घर और कार्यस्थल में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

  • धैर्य और साहस में वृद्धि: व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी संयम और साहस बनाए रखता है।

  • साधना और ध्यान का माध्यम: चालीसा के पाठ से मानसिक ध्यान और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

भक्तों का मानना है कि काली चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में हर प्रकार की बाधा और नकारात्मकता दूर हो जाती है।

माँ काली चालीसा हर भक्त के लिए शक्ति, साहस और सुरक्षा का एक माध्यम है। नियमित पाठ और भक्ति से जीवन में नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और आत्मविश्वास, मानसिक शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

यदि आप जीवन में भय, संकट और मानसिक तनाव से छुटकारा चाहते हैं, तो माँ काली चालीसा को अपने दैनिक जीवन में शामिल करना अत्यंत लाभकारी है। यह न केवल आपकी आध्यात्मिक यात्रा को सशक्त बनाता है, बल्कि आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार भी करता है।

इसलिए आज ही अपने घर में माँ काली की चालीसा का पाठ शुरू करें और उनके आशीर्वाद से जीवन को खुशियों, समृद्धि और शक्ति से भर दें।

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