पहले टेस्ट ट्यूब बेबी थे द्रोणाचार्य, युधिष्ठिर ने क्यों दिया था कुंती को शाप? जानिए

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पहले टेस्ट ट्यूब बेबी थे द्रोणाचार्य, युधिष्ठिर ने क्यों दिया था कुंती को शाप? जानिए

हिंदू धर्म के महाकाव्यों में से एक है महाकाव्य है महाभारत, जिसकी रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। इसको 3 चरण में लिखा गया था। महाभारत के पहले चरण में 8800 श्लोक, दूसरे चरण में 24 हजार और तीसरे चरण में 1 लाख श्लोक हैं। महाभारत के बारे में आपने कई कहानियां सुन रखी होंगी और टेलीविजन पर आने वाले महाभारत सीरियल को भी देखा होगा लेकिन कुछ ऐसी भी कथाएं हैं जो आजतक अनसुनी हैं, जिसके बारे में आपको शायद ही पता होगा। तो चलिए आज हम आपको 11 ऐसी महाभारत की रोचक अनसुनी कथाओं के बारे में बताएंगे जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।

 

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1. भीष्म पितामह का 5 तीर

पौराणिक कथानुसार, महाभारत युद्ध के दौरान जब कौरवों की सेना पांडवों से हार रही थी तो दुर्योधन भीष्म पितामह के पास गया और कहने लगा कि पितामह आप यह युद्ध अच्छे नहीं लड़ रहे हैं। तभी पितामह को यह बात सुनकर गुस्सा आ गई और उन्होंने 5 सोने के तीर निकाले और मंत्र पढ़ें। मंत्र पढ़ने के बाद उन्होंने दुर्योधन से कहा कि कल के युद्ध में वह इन 5 तीरों से पांडवों का नाश करेंगे। लेकिन दुर्योधन को पितामहर पर विश्वास नहीं था तो उसने उनसे 5 तीर मांग लिए और लेकर चला गया। लेकिन इन तीरों के बारे में श्रीकृष्ण को पता चल गया उन्होंने अर्जुन से कहा कि तुम जाकर दुर्योधन से वो 5 सोने के तीर ले आओ। अर्जुन ने कृष्ण की बात मानी और तीर लेने चले गए और दुर्योधन ने अर्जुन को वो 5 सोने के तीर दे भी दिए, क्योंकि एक बार गंधर्व से अर्जुन ने दुर्योधन की जान बचाई थी और दुर्योधन ने वचन दिया था कि जीवन में के बार जो भी चीज मांगोंगे वो दे दूंगा। बस इसलिए दुर्योधन ने क्षत्रिय धर्म निभाते हुए अर्जुन को स्वेच्छा से 5 सोने के तीर दे दिए।

 

2. पहले टेस्ट ट्यूब बेबी थे द्रोणाचार्य

गुरु द्रोणाचार्य के जन्म की कथा भी काफी रोचक है। दरअसल उनके पिता महर्षि भारद्वाज थे और उनकी माता एक अप्सरा थी। एक दिन भरद्वाज गंगा नदी में नहाने गए हुए थे वहीं पर घृताची नाम की एक अप्सरा भी स्नान कर रही थी। जिसकी सुंदरता को देखकर महर्षि मंत्रमुग्ध हो गए और उनके शरीर से वीर्य स्खलित होने लगा। उन्होंने अपने वीर्य को द्रोण नाम के एक यज्ञपात्र में रख दिया और उसी से हुआ द्रोणाचार्य का जन्म। द्रोणाचार्य का विवाह शरद्वान की पुत्री कृपी से हुआ था और कृपी ने महाबली अश्वत्थामा को जन्म दिया था। 

 

3. सहदेव भूत, वर्तमान और भविष्य देख सकते थे

कहा जाता है कि जब पांडवों के पिता पांडु मरने वाले थे तो उन्होंने अपने पुत्रों से कहा था कि वह उनका मस्तिष्क खा लें ताकि वे असीम ज्ञान ग्रहण कर सकें। लेकिन पांचों पांडवों में से केवल सहदेव ने उनका मस्तिष्क खाया था, जिसके बाद सहदेव को भूतकाल, वर्तमान और भविष्य में घटने वाली सभी घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता था। लेकिन सहदेव ने कभी भी यह राज किसी को नहीं बताया क्योंकि उन्हे श्राप था कि अगर वह भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में बताएंगे तो उनकी मृत्यु हो जाएगी।

 

4. एकलव्य ही बने थे द्रोणाचार्य की मृत्यु का कारण

कहा जाता है कि दक्षिणा स्वरूप एक अंगूठा देने वाले एकलव्य देवाश्रवा का पुत्र था। वह जंगल में खो गया था और उसने एक निषद हिरण्यधनु को बचाया था। जब कृष्ण का विवाह रुक्मणी से हुआ था तो एकलव्य अपने पिता की जान बचाते हुए मारा गया था। परंतु श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर उसको वरदान दिया था कि महाभारत में वहीं द्रोणाचार्य की मृत्यु का कारण बनेगा और एकलव्य का जन्म द्रौपदी के भाई धृष्टधुम्न के तौर पर हुआ था। जिसने द्रोणाचार्य का  वध किया था।

 

5. अर्जुन की जीत के लिए पुत्र ने दी थी बलि

पौराणिक कथानुसार महाभारत युद्ध में अपने पिता अर्जुन की जीत के लिए उनके पुत्र इरावन ने अपनी बलि दी थी। इरावन की अंतिम इच्छा थी कि वह विवाह करना चाहते थे लेकिन कोई भी लड़की उनसे शादी करने को तैयार नहीं थी क्योंकि वह विवाह के बाद विधवा हो जाती। इसलिए कृष्ण ने मोहिनी रूप धारण किया था और इरावन से विवाह रचाया था। इसके बाद इरावन की मृत्यु पर वह रोए भी थे।

 

6. महाभारत में बच गया था एक कौरव

कहा जाता है कि धृतराष्ट्र के 100 पुत्र थे जो महाभारत के युद्ध में मारे गए। लेकिन आपको बता दें कि उनमें से एक पुत्र बच गया था जो धृतराष्ट्र का ही था लेकिन उसे गांधारी ने जन्म नहीं दिया था। दरअसल धृतराष्ट्र के संबंध एक दासी से भी थे जिसके गर्भ से युयत्सु नामक पुत्र का जन्म हुआ था। युयत्सु ने महाभारत युद्ध में कौरवों की जगह पांडवों का साथ दिया था।

 

7. महाभारत युद्ध के दौरान कभी कम नहीं पड़ा भोजन

दरअसल 18 दिन के युद्ध में श्रीकृष्ण की 1 अक्षौहिणी नारायणी सेना मिलाकर कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना थी और पांडवों के पास 7 अक्षौहिणी सेना थी। कुल मिलाकर महाभारत के युद्ध में 45 लाख से ज्यादा लोग थे और इन 45 लाख लोगों के भोजन की व्यवस्था जिम्मेदारी उडुपी के राजा ने ले रखी थी। कहा जाता है कि वह भोजन पकाने से पहले कृष्ण के पास जाते थे और कृष्ण रोज उबली हुई मूंगफली खाते थे। जिस दिन वह जितनी मूंगफली के दाने खा जाते थे उससे उडुपी के राजा अनुमान लगा लेते थे कि आज इतने हजार सैनिक मारे जाएंगे। इस दिन हर दिन सैनिकों को पूरा भोजन मिल जाता था और महाभारत युद्ध के दौरान कभी भोजना कम नहीं पड़ा।

 

8. युधिष्ठिर का हाथ जलाना चाहते थे भीम

किंदवंती अनुसार, जब युधिष्ठिर ने चौपड़ में द्रौपदी को दांव पर लगा दिया था तो उनके इस फैसले से भीम बहुत क्रोधित हुए थे। और भीम ने कहा था कि द्रौपदी आपकी वजह से भरी सभा में अपमानित हो रही है। इसलिए मैं आपके दोनों हाथ जला देना चाहता हूं जिससे आपने द्रौपदी को जुए में हारा है। हालांकि सहदेव आग लेकर आते हैं और भीम जलाने ही जा रहे होते हैं तभी अर्जुन उनको रोकते हुए समझाते हैं कि युधिष्ठिर ने क्षत्रिय धर्म के अनुसार ही जुआ खेला है। इसमें इनका कोई दोष नहीं हैं।

 

9. द्रौपदी का पहला प्यार कर्ण थे

कहा जाता है कि पांच पांडवों की पत्नी द्रौपदी अर्जुन से नहीं बल्कि कर्ण से प्रेम करती थी। लेकिन दोनों ने विवाह नहीं किया था क्योंकि द्रौपदी के पिता राजा द्रुपद ने उनसे भीष्म से बदला लेने के बारे में बहुत पहले ही बता दिया था। द्रौपदी जानती थी कि कर्ण एख सूतपुत्र हैं और वह अगर विवाह करती हैं तो हमेशा एक दास की पत्नी के रूप में जानी जाएंगी। इसके अलावा दूसरी कथा है कि पांचाली द्रौपदी पिछले जन्म में इंद्रसेना नाम के ऋषि की पत्नी थी। उनके पति का देहांत जल्दी हो गया था जिसके बाद उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की और शिवजी प्रकट हो गए। भगवान शिव को देखकर द्रौपदी घबरा गईं और उन्होंने 5 बार पति का वर मांग लिया इसलिए महाभारत काल में उनका विवाह 5 पांडवों से हुआ। 


10. युधिष्ठिर ने दिया माता कुंती को श्राप

कहा जाता है कि जब महादानी कर्ण की मृत्यु हो गयी तो कुंती उसके शव के पास जाकर विलाप करने लगी थी। यह देखकर पांडवों ने विलाप की वजह से पूछी तो कुंती ने बताया कि कर्ण उनका बड़ा भाई था। यह बात जानकर पांडव बड़े दुखी हुए लेकिन युधिष्ठिर को गुस्सा आ गई। उन्होंने कुंती को श्राप दिया कि आपने इतने वर्षों तक यह बात छिपाए रखी इस वजह से मैं श्राप देता हूं कि अब से किसी भी महिला के पेट में कोई भी बात नहीं पचेगी, वो किसी ना किसी को अवश्य बता दिया करेगी।

 

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