मेंहदीपुर बालाजी – यहां होती है प्रेतात्माओं की धुलाई

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मेंहदीपुर बालाजी – यहां होती है प्रेतात्माओं की धुलाई

मेंहदीपुर बाला जी का नाम तो आपने बहुत सुना होगा। हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली व उत्तरप्रदेश में तो बालाजी के भक्तों की बड़ी तादाद आपको मिल जायेगी। दरअसल बालाजी बंजरंग बली श्री हनुमान जी के मंदिरों में से ही एक है जो राजस्थान के दौसा जिले में मेंहदीपुर नामक स्थान पर स्थित है। इसलिये बालाजी के इस मंदिर को घाटा मेंहदीपुर बालाजी भी कहा जा सकता है। बालाजी का यह मंदिर इसलिये खास है क्योंकि यहां का नज़ारा आपको बाकि मंदिरों से बिल्कुल अलग मिलेगा। यहां के नियम कायदे भी बाकि मंदिरों से हटकर हैं। लेकिन यहां पर श्रद्धालुओं का जो कल्याण होता है वह अन्यत्र नहीं होता। आइये जानते हैं मेंहदीपुर बालाजी की महिमा व मंदिर के इतिहास के बारे में।

मेंहदीपुर के बालाजी की महिमा

मेंहदीपुर बालाजी के प्रति लगभग पूरे ऊत्तर भारत में हिंदू धर्म के अनुनायायियों में श्रद्धा व भक्ति देखी जा सकती है, लेकिन असली महिमा तो मेंहदीपुर के बालाजी धाम में जाने वाले ही जानते हैं। उनकी महिमा वही बता सकते हैं जिन्हें संकटों से मुक्ति मिली है। दरअसल मेंहदीपुर बालाजी भूत-प्रेत ओपरी हवा आदि कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला भगवान महावीर हनुमान जी का एक शक्तिशाली मंदिर माना जाता है। लोगों की यह मान्यता आपको यहां का नज़ारा देखकर भी पता चल सकती है। यहां प्रेतात्माओं से पीड़ितों को जंजीरों में जकड़े हुए देखा जा सकता है। कोई उल्टा लटका यहां मिलेगा तो कोई यहां कुछ न कुछ बड़बड़ाता हुआ मिलेगा। मंदिर में जब बालाजी की आरती होती है तो पीड़ितों की छटपटाहट आपको विचलित भी कर सकती है।

क्या है बाला जी की कहानी

मान्यता है कि मंदिर करीब एक हजार साल पुराना है। कहते हैं सालों पहले अरावली पर्वत पर संकटमोचक श्री हनुमान व प्रेतराज प्रकट हुए थे। धीरे-धीरे जब लोगों को यहां आकर संकटों से छुटकारा मिलने लगा तो लोगों की आस्था भी यहां बढ़ती चली गई।

मेंहदीपुर बालाजी के चमत्कार

कहा जाता है कि मुस्लिम शासकों के समय में एक बादशाह ने मूर्ति को नष्ट करने का प्रयास भी किया लेकिन जितना वे खुदवाते मूर्ति का छोर उतना ही गहरा होता चला जाता। जब स्वत: प्रकट हुई हनुमान जी की प्रतिमा का कोई ओर-छोर न मिला तो बादशाह को हार कर अपना यह प्रयास छोड़ना पड़ा।

एक बात ब्रिटिश शासन काल के दौरान की भी है बताया जाता है कि 1910 में बालाजी महाराज ने अपना सैंकड़ों वर्ष पुराना चोला स्वयं त्याग दिया। श्रद्धालु इस चोले को गंगा में विसृजित करने के लिये जा रहे थे। नजदीकी स्टेशन मंडावर पर जब पंहुचे तो स्टेशन मास्टर उसे सामान करार देकर उसका तोल करने लगा। लेकिन बालाजी का चमत्कार देखिये बताया जाता है कि चोला कभी एक मन अधिक हो जाये तो कभी उसका भार दो मन कम नज़र आये। स्टेशन मास्टर भी हैरत में पड़ गये और जब इस गुत्थी का कोई समाधान नहीं निकला तो उसे ससम्मान ले जाने दिया गया।

बालाजी के साथ मौजूद हैं प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान

मेंहदीपुर बालाजी के मंदिर में बालाजी महाराज के साथ प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान यानि भैरव बाबा की प्रतिमाएं भी हैं। प्रेतराज सरकार जहां भूत-प्रेतों को दंड देने वाले अधिकारी का काम करते हैं वहीं बाबा भैरव यहां के कोतवाल हैं। वे बाला जी महाराज की सेना के सेनापति भी माने जाते हैं। भक्तजन प्रसाद के रूप में बालाजी महाराज को लड्डू तो प्रेतराज सरकार को चावल चढ़ाते हैं वहीं कोतवाल कप्तान भैरव जी उड़द के प्रसाद से प्रसन्न होते हैं। हालांकि आमौतर पर श्रद्धालु तीनों देवों के लिये बूंदी के लड्डू भी प्रसाद स्वरूप चढ़ाते हैं।

बालाजी महाराज के धाम रखें ये सावधानियां

मान्यता है कि यहां पर अधिकतर श्रद्धालु प्रेतत्माओं से पीड़ितों को लेकर संकटों से मुक्तिपाने के लिये आते हैं ऐसे में बालाजी के धाम जाने वाले श्रद्धालुओं के लिये कुछ विशेष नियम भी बताये जाते हैं-

माना जाता है कि बालाजी धाम जाने वाले भक्त को सात दिन पहले से ही लहसुन, प्याज, मांस, शराब आदि का त्याग करने की सलाह दी जाती है।

बाला जी के धाम पंहुचने पर किसी को न तो अपना प्रसाद वितरित करें और न ही स्वयं किसी दूसरे से प्रसाद ग्रहण करें।

अक्सर लोग मंदिरों से प्रसाद घर लेकर आते हैं लेकिन यहां इसके विपरीत है प्रसाद तो दूर यदि आपने कोई सामान्य खाद्य पदार्थ भी यहां से लिया है तो वह भी आपको वहीं छोड़ना होता है बाला जी के धाम से आते समय अपने साथ खाने-पीने की वस्तु न लेकर चलने की सलाह दी जाती है।

ब्रह्मचर्य का पालन यहां बहुत अनिवार्य है। यदि आपकी नियत में जरा भी खोट आता है तो इसके परिणाम अच्छे नहीं बताये जाते।

एक और अहम बात जो बालाजी जाने वाले श्रद्धालुओं को गांठ बांध लेनी चाहिये वह यह कि आपकी विपत्तियों को, आपके दुखों को, कष्टों को, संकटों को हरने वाले स्वयं बालाजी हैं। इसलिये किसी भी स्थानीय पोंगा पंडित, ओझा या व्यक्ति विशेष के झांसे में न फंसे जो आपको संकटों से मुक्ति दिलाने के दावे करता हो। आप बालाजी महाराज में सच्ची श्रद्धा रखें वे अपने आप आपकी विपदाओं का हरण करेंगे।

बोलो बालाजी महाराज की जय।

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