कब है नाग पंचमी 2024? जानें कैसे करें पूजा

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कब है नाग पंचमी 2024? जानें कैसे करें पूजा

नाग पंचमी 2024: नाग पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, नाग पंचमी 9 अगस्त, 2024 को है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और उनकी आराधना की जाती है। नागों का हिंदू धर्म में खास स्थान दिया गया है, और उन्हें देवता मानकर पूजा जाता है। नागों को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में नागों का उल्लेख अक्सर मिलता है, और वे कई धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण हैं।

नाग पंचमी का त्योहार नागों की महिमा और उनकी पूजा का प्रतीक है। नागों को धन, सुख, समृद्धि और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देने वाला माना जाता है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इस दिन सांपों का ध्यान रखने और उन्हें नुकसान न पहुंचाने का भी विशेष महत्व है।

नाग पंचमी की तिथि

नाग पंचमी: 9 अगस्त 2024, शुक्रवार

नाग पंचमी पूजा मुहूर्त: सुबह 05:47 बजे से सुबह 08:27 बजे तक

नाग पंचमी पूजा अवधि: 02 घंटे 40 मिनट

गुजरात में नाग पंचम तिथि: शनिवार, 24 अगस्त 2024

पंचमी तिथि प्रारंभ: 08 अगस्त 2024 को रात 12:36 से

पंचमी तिथि समाप्त: 09 अगस्त 2024 को 3:14 बजे तक।

नाग पंचमी की पूजा विधि

नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पूजा की तैयारी करें। एक थाली में नाग देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इसके बाद उन्हें दूध, जल, पुष्प, चावल, रोली, चंदन आदि अर्पित करें। नाग देवता के मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती गाएं। इस दिन सांपों को दूध पिलाने की भी परंपरा है, हालांकि यह कार्य सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।

नाग पंचमी की पूजा की विस्तृत विधि:

स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शुद्धिकरण के बाद पूजा स्थान को गंगाजल या पवित्र जल से शुद्ध करें।

पूजा सामग्री की तैयारी: पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:

नाग देवता की प्रतिमा या चित्र, दूध, जल, पुष्प (विशेषकर सफेद और पीले फूल), चावल, रोली (कुंकुम), चंदन, दीपक, अगरबत्ती, मिठाई या नैवेद्य

नाग देवता की स्थापना: पूजा स्थान पर नाग देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

अभिषेक: नाग देवता को दूध और जल से अभिषेक करें। अभिषेक करते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:
ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा

सजावट और अर्पण: नाग देवता को पुष्प, चावल, रोली, और चंदन अर्पित करें। उनके समक्ष दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।

मंत्र जाप और आरती: नाग देवता के निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
ऊँ नागराजाय नम:

ऊँ अनन्ताय नम:

ऊँ वासुकये नम:

मंत्र जाप के बाद नाग देवता की आरती गाएं।

भोग अर्पण: नाग देवता को मिठाई या नैवेद्य का भोग लगाएं।

प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें।

नाग पंचमी की कथा

नाग पंचमी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। इनमें से एक कथा के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों की रक्षा के लिए कालिया नाग का वध किया था। इस घटना के बाद से नाग पंचमी मनाई जाने लगी। कालिया नाग ने यमुना नदी में विष फैलाया था, जिससे वहाँ के जलचर और आस-पास के लोग प्रभावित हो रहे थे। भगवान कृष्ण ने कालिया नाग को परास्त करके यमुना को पुनः स्वच्छ किया और कालिया नाग को जीवनदान दिया। इस घटना के बाद से नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है और नागों की पूजा की जाती है।

दूसरी कथा महाभारत से जुड़ी है, जिसमें जनमेजय के नाग यज्ञ का वर्णन है। जनमेजय ने नागों को नष्ट करने के लिए यज्ञ किया था, लेकिन आस्तिक मुनि के आग्रह पर उन्होंने यज्ञ को रोक दिया और नागों को जीवनदान दिया। इस घटना के उपलक्ष्य में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है।

नागों का महत्व और पौराणिक कथाएँ

नागों का हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान है। उन्हें अनेकों देवताओं के साथ जोड़ा गया है। जैसे भगवान शिव के गले में सर्प है, और भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन करते हैं। इसके अलावा, नागों का उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में भी मिलता है।

शेषनाग

भगवान विष्णु का शयन शेषनाग पर होता है। शेषनाग को अनंत, अदिशेष और वासुकि के नाम से भी जाना जाता है। वे सर्पों के राजा माने जाते हैं और उनके हजार सिर हैं। शेषनाग को भगवान विष्णु का परम भक्त माना जाता है और उनके साथ हमेशा जुड़े रहते हैं।

वासुकि

वासुकि नागदेवता का वर्णन समुद्र मंथन किया गया था। वासुकि को भगवान शिव का भी भक्त माना जाता है। समुद्र मंथन के समय देवताओं और दानवों ने वासुकि नाग को रस्सी की तरह प्रयोग किया था। इस कथा से वासुकि की महिमा का वर्णन होता है।

अनंत

अनंत नाग को भी शेषनाग का एक रूप माना जाता है। अनंत चतुर्दशी का पर्व भी अनंत नाग की पूजा के लिए मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत देव की पूजा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि और दुखों से मुक्ति मिलती है।

नागों की पूजा के वैज्ञानिक और सांस्कृतिक पहलू

नागों की पूजा केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। सांप प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। सांप कृषि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे चूहों और अन्य कीटों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। नाग पंचमी के अवसर पर सांपों की पूजा और उनके संरक्षण का संदेश दिया जाता है।

नाग पंचमी 2024 के अवसर पर हमें नागों के प्रति संवेदनशीलता और उनके संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए। यह त्योहार हमें नाग देवता की पूजा करने और उनके आशीर्वाद से जीवन को समृद्ध बनाने का अवसर देता है। साथ ही, हमें सांपों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने और उनके प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने की दिशा में भी कदम उठाने चाहिए।

नाग पंचमी से जुडी किसी भी व्यक्तिगत जानकारी के लिए अभी सम्पर्क करें एस्ट्रोयोगी के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर से।

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