परशुराम जयंती 2025: जानिए भगवान परशुराम की पूजा विधि, महत्व और जुड़ी पौराणिक कथाएं

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परशुराम जयंती 2025: जानिए भगवान परशुराम की पूजा विधि, महत्व और जुड़ी पौराणिक कथाएं

परशुराम जयंती हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान विष्णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से सत्य की विजय और अन्याय के विनाश का प्रतीक माना जाता है। परशुराम जयंती के दिन भक्त भगवान परशुराम की पूजा करके जीवन में साहस, न्यायप्रियता और दृढ़ संकल्प की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

परशुराम जयंती 2025 कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, परशुराम जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह दिन ही अक्षय तृतीया भी होता है, जिससे इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व और भी बढ़ जाता है।

  • तिथि: 30 अप्रैल 2025 (बुधवार)

  • तृतीया तिथि प्रारंभ: 29 अप्रैल 2025 को दोपहर 01:40 बजे से

  • तृतीया तिथि समाप्ति: 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 03:05 बजे तक

भगवान परशुराम क्यों माने जाते हैं पूजनीय?

भगवान परशुराम न केवल अद्भुत योद्धा थे, बल्कि वे धर्म की रक्षा के लिए क्रूर शक्तियों के विनाशक भी थे। वे विष्णु जी के ऐसे अवतार हैं, जिन्होंने ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय गुण अपनाकर अत्याचार के विरुद्ध युद्ध किया।

उनके पूजनीय होने के कुछ प्रमुख कारण हैं:

  • वे विष्णु जी के छठे अवतार हैं।

  • उन्होंने धरती से 21 बार अत्याचारी क्षत्रियों का संहार किया।

  • शिव भक्ति में रत रहकर उन्होंने फरसा (परशु) प्राप्त किया, जिससे उनका नाम ‘परशुराम’ पड़ा।

  • वे आज भी अमर माने जाते हैं और कल्कि अवतार को शस्त्रविद्या देंगे।

परशुराम जयंती पर भगवान परशुराम का पूजन कैसे करें?

इस विशेष दिन पर विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में न्याय, साहस और सफलता प्राप्त होती है। पूजा करने से पहले यह जान लें कि किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

परशुराम जयंती पर पूजा करने की विधि:

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को शुद्ध करें।

  • भगवान परशुराम की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक व धूप जलाएं।

  • यदि परशुराम की मूर्ति न हो तो विष्णु जी की प्रतिमा का पूजन करें।

  • विष्णु सहस्रनाम, परशुराम मंत्र और आरती का पाठ करें।

  • दूध, फल और सात्त्विक भोजन का भोग अर्पित करें।

  • इस दिन व्रत रखने वाले अन्न का सेवन न करें, केवल फलाहार करें।

परशुराम जयंती का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

परशुराम जयंती का पर्व आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह केवल भगवान परशुराम की स्मृति में नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और संकल्प की सिद्धि के लिए भी उपयुक्त दिन होता है।

इस दिन व्रत करने के लाभ:

  • व्रती को पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

  • संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ है।

  • यह दिन ग्रह दोषों की शांति के लिए भी प्रभावी माना जाता है।

भगवान परशुराम से जुड़ीं रोचक और प्रेरणादायक कथाएं

भगवान परशुराम का जीवन बलिदान, शौर्य और भक्ति से भरा हुआ है। उनसे जुड़ी कथाएं आज भी लोगों को प्रेरणा देती हैं।

जानिए भगवान परशुराम से जुड़ी कुछ प्रमुख कथाएं:

  • पितृभक्ति की परीक्षा: पिता के आदेश पर माता रेणुका का वध कर दिया, बाद में उन्हें पुनः जीवनदान दिलवाया।

  • शिवभक्ति और फरसा प्राप्ति: कठोर तप कर भगवान शिव से फरसा प्राप्त किया।

  • भीष्म, कर्ण को शस्त्रविद्या देना: उन्हें महान योद्धा बनाने वाले गुरु परशुराम ही थे।

  • अमरता का वरदान: ऐसी मान्यता है कि वे आज भी जीवित हैं और कल्कि अवतार को शस्त्रविद्या देंगे।

निष्कर्ष

परशुराम जयंती न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह सिखाता है कि अन्याय के खिलाफ खड़े होना, न्याय के लिए लड़ना और आत्मबल से युक्त होना ही सच्चा धर्म है। अगर आप भी अपने जीवन में निर्णय, धैर्य और शक्ति की कामना करते हैं, तो इस दिन भगवान परशुराम की पूजा करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

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