चार ग्रहों की वक्री चाल क्या होगा हाल?

Fri, Apr 07, 2017
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चार ग्रहों की वक्री चाल क्या होगा हाल?

ग्रहों का राशि परिवर्तन करना या वक्री होना ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक महत्वपूर्ण घटना है क्योंकि ग्रहों की चाल पर ही सभी 12 राशियों का हाल निर्भर करता है। राशि के अनुसार उसके जिस भाव में ग्रह परिवर्तित हो रहे हों, वक्री हो रहे हों या फिर उनमें मार्गी हो रहे हों तो उस भाव के अनुसार जातक के राशिफल को ग्रह प्रभावित करते हैं। समयानुसार ग्रह राशि परिवर्तन करते रहते हैं या फिर उनकी चाल उलटी भी हो जाती है लेकिन विशेष रूप से प्रभावी माने जाने वाले ग्रह यदि एक साथ वक्री हों या मार्गी हों या फिर राशि बदलें तो ज्योतिषियों के कथनानुसार इसके प्रभाव बड़े स्तर पर पड़ते हैं। हाल ही में एक ऐसी ही घटना हो रही है। 10 अप्रैल को बुध के वक्री होने के साथ ही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माने जाने वाले 9 ग्रहों में से चार ग्रहों की चाल उलटी हो जायेगी यानि चार ग्रह वक्री हो जायेंगें। इनमें बृहस्पति ग्रह फरवरी से ही कन्या राशि में वक्री चल रहे हैं तो शुक्र भी 4 मार्च से अपनी उच्च राशि मीन में वक्री चल रहे हैं। 6 अप्रैल को शनि धनु राशि में वक्री हुए हैं तो 10 अप्रैल बुध भी मेष राशि में वक्री हो रहे हैं। ऐसे में इतने ग्रहों का एक साथ वक्री होना ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत बड़ी घटना है, बहुत बड़ा संयोग है। एस्ट्रोयोगी ज्योतिषाचार्यों के कथनानुसार हम आपको बता रहे हैं राशिनुसार यह आपको कैसे प्रभावित करेंगें? और कैसे आप इन वक्री ग्रहों के कोप का भाजन बनने से बच सकते हैं?

मेष – मेष राशि में ही बुध ग्रह वक्री हो रहे हैं। जो कि आपकी राशिनुसार पराक्रम और छठे घर का स्वामित्व रखते हैं। वक्री बुध आपके पराक्रम में कमी ला सकते हैं। हो सकता है बहुत कौशिशों के बावजूद भी आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त न कर सकें। छठे घर के स्वामी होने के कारण भी वक्री बुध आपकी सेहत के लिये हानिकारक हो सकते हैं साथ ही छठा भाव शत्रु का स्थान भी माना जाता है ऐसे में शत्रु भी आपके कार्यों में बाधाएं उत्पन्न कर सकते हैं।

वहीं गुरु ग्रह बृहस्पति भी आपकी राशि से छठे भाव में वक्री हैं। आपकी राशि के अनुसार यह आपके भाग्य और व्यय घर के स्वामी भी हैं। बृहस्पति के वक्र होने से भाग्य विपरीत रहता है। बड़े-बुजूर्गों, अनुभवी व्यक्तियों की अच्छी सलाह भी आपको कड़वी लगती है। इनके वक्री प्रभाव से आप उनकी सलाह के विपरीत कार्य करते हैं। जिससे जीवन में धन व प्रतिष्ठा में हानि का सामना भी करना पड़ता है। रोग घर में वक्री होने के कारण उदर संबंधि रोगों के बढ़ने के भी आसार बनते हैं।

शुक्र जो कि आपकी राशि के अनुसार धन एवं दांपत्य भाव का प्रतिनिधित्व करते हैं अपनी उच्च राशि मीन में वक्री हैं। वक्री शुक्र भी आपके लिये धन हानि के संकेत कर रहे हैं। हो सकता है आप इस समय बिना विचार किये ही किसी कार्य योजना में निवेश करें जिसका आपको आगे जाकर खामियाज़ा उठाना पड़े। सप्तम भाव के स्वामी होने से शुक्र आपके दांपत्य जीवन को भी प्रभावित कर सकते हैं। इस समय आपके संबंधों में काफी उतार-चढ़ाव रहने के संकेत हैं।

6 अप्रैल से शनि भी वक्री हुए हैं जो कि आपकी राशि के अनुसार करियर व लाभ घर का स्वामित्व करते हैं। इस समय जो लोग करियर को लेकर संघर्ष कर रहे थे उनका संघर्ष और भी तेज होगा। जो जातक पहले से कार्यरत हैं उनके कामकाजी जीवन में भी उतार-चढ़ाव आने के संकेत वक्री शनि कर रहा है। हालांकि जून के बाद जब शनि मार्गी हो जायेंगें तो वह समय लाभप्रद रहने के आसार बनेंगें।

वृषभ – वृषभ राशि के स्वामी शुक्र स्वयं मीन राशि में वक्री हैं जो कि स्वराशि से ग्यारहवें घर में हैं। इसका सीधा प्रभाव आपकी आय पर पड़ने के आसार हैं। धन संबंधित क्षेत्रों में आपको संघर्ष करना पड़ सकता है। आपकी राशि में शुक्र छठे घर के स्वामी भी हैं इससे शुक्र आपके जीवन में प्रतिस्पर्धा को भी इस समय बढ़ा सकते हैं। इस समय आपके प्रतिद्वंदी आप पर हावी हो सकते हैं। वहीं शनि आपकी राशि से आठवें घर में वक्र हैं जो कि आपकी राशि के अनुसार भाग्य और कर्मक्षेत्र के स्वामी हैं। वक्री शनि आपके भाग्य को कमजोर कर सकते हैं। इस समय आपकी धर्म-कर्म के कार्यों में भी कम ही रूचि होगी। कार्यस्थल पर भी आपके काम को हो सकता है तवज्जो ना मिले जिससे आपको निराशा हो सकती है। आपके कार्यों में भी आपको बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। वाहन चलाते समय थोड़ी सावधानी बरते हैं क्योंकि दुर्घटना के योग भी आपके लिये बन रहे हैं।

बुध आपकी राशि से 12वें घर में वक्र हो रहे हैं। बुध आपकी राशि में धन व बुद्धि के स्वामी हैं। वक्री बुध के कारण भी आपको धन की कमी महसूस हो सकती है। 12वां बुध आपकी फिजूल खर्ची को भी बढ़ा सकता है। इससे आपकी बचत भी प्रभावित होने के आसार हैं। आपके प्रेम संबंधों में भी दूरी आ सकती है। पंचमेश के वक्र होने से आपकी बुद्धि हो सकता है सही निर्णय लेने में सक्षम न हो और आप गलत निर्णय ले सकते हैं। विद्यार्थी जातकों को विशेष रूप से अपना करियर चुनने में परेशानी हो सकती है।

बृहस्पति भी आपकी राशि से पंचम भाव में ही वक्र हैं जो कि आपकी परेशानियों को और भी बढ़ाता है। बृहस्पति आपकी राशि में अष्टम एवं लाभ भाव के कारक भी हैं। बृहस्पति की वक्र दृष्टि आपके लाभ घर में होने से बृहस्पति से भी आपके लाभ प्रभावित हो सकते हैं। उदर संबंधी रोग हो सकते हैं। लंबी दूरी की कोई यात्रा भी आपको करनी पड़ सकती है। यात्रा के दौरान अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें।

मिथुन – मिथुन के स्वामी बुध स्वयं मेष राशि में वक्री हैं जो कि आपकी राशि में लाभ घर होता है। इस कारण आपके लाभ प्रभावित होंगे। बुध पकी राशि में आपकी वाणी व शरीर को प्रभावित कर सकते हैं। वाणी में संयम रखें। दूसरा बुध आपकी राशि में सुख भाव का स्वामी भी है जो कि सुख-समृद्धि में कमी का संकेत करता है। माता के लिये यह समय कष्टप्रद रहने की संभावना भी है।

आपकी राशि में बृहस्पति चौथे घर में वक्र हैं जो कि आपकी राशि में दांपत्य क्षेत्र व कर्मक्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। सुख के संसाधनों में कमी हो सकती है। दांपत्य जीवन में भी उठापटक के दौर से गुजरना पड़ सकता है। कार्यक्षेत्र का स्वामी होने के कारण उच्च पदस्थ अधिकारियों के कोप का भाजन भी आपको बनना पड़ सकता है। आपका विनम्र स्वभाव व वाणी ही आपको इस परेशानी से बचा सकते हैं।

वहीं शुक्र आपकी राशि में दसवें घर में वक्र हैं। कार्य क्षेत्र में स्त्री पक्ष से सतर्क रहें। शुक्र आपकी राशि में बुद्धि व व्यय घर को भी दर्शाता है जो आपको मितव्ययी बनाता है। पारिवारिक खर्चों में भी आप कंजूसी कर सकते हैं जिससे परिजनों के बीच आपकी प्रतिष्ठा कम हो सकती है।

क्रूर माने जाने वाले शनिदेव आपकी राशि से सप्तम भाव में वक्र हैं। वक्री शनि स्त्री पक्ष के प्रति आपका ज्यादा झुकाव कर सकता है जो कि आपके लिये परेशानी का सबब भी बन सकता है। शनि आपकी राशि में अष्टम और नवम के स्वामी भी हैं। यह स्थिति आपको आलसी भी बना सकती है। इस समय भाग्य का साथ न मिलने से आप हतोत्साहित भी हो सकते हैं।

कर्क – आपकी राशि मे बुध ग्रह दशम घर में वक्र हैं। आपके कार्यों की गति कुछ समय के लिये मंद पड़ सकती है। साथ ही व्यय और पराक्रम घर का स्वामी होने के कारण आपकी पराक्रम क्षमता को भी प्रभावित करता है। अनपा शत प्रतिशत देने के बावजूद भी पूरा लाभ न मिल पाना बुध के प्भाव से ही होता है। अचानक से बड़े खर्चे उभर सकते हैं जो आपको आर्थिक बोझ तले दबा सकते हैं।

बृहस्पति आपकी राशि में पराक्रम भाव में वक्री हैं। इस समय आप अपने पराक्रम के लिये जो भी मेहनत करेंगें बृहस्पति के कारण भविष्य में आपको उसका लाभ मिलेगा। आपकी राशि के अनुसार बृहस्पति आपके भाग्य व रोग घर के स्वामी भी हैं। उनके वक्री होने के कारण आप हो सकता है आक्समिक रोग का शिकार हों, कुछ पुराने शत्रुओं से भी सामना हो सकता है। हालांकि साहस और धैर्य से आप उनका मुकाबला कर सकते हैं। वक्री गुरु के कारण भाग्य से आप ज्यादा उम्मीद न ही रखें तो बेहतर है इस समय कर्म करने पर ही जोर दें।

आपकी राशि में शुक्र ग्रह के वक्र होने से भाग्य औऱ मंद पड़ता है। शुक्र आपकी राशि में लाभ और सुख के क्षेत्र में कमी ला सकता है। किसी प्रिय व्यक्ति के लिये चिंतित रह सकते हैं। वहीं शनि आपकी राशि में छठे घर में वक्र हैं। वक्री शनि आपके लिये नाभि से नीचे रोगों की वृद्धि कर सकता है। आपकी राशि में शनि आपके दांपत्य जीवन और अष्टम भाव का स्वामी है। पारिवारिक जीवन में अस्थिरता आ सकती है। जीवनसाथी से मनमुटाव के संकेत हैं। वाहन आदि की चोरी का योग भी बन रहा है। आपकी सतर्कता ही इन परेशानियों से आपको बचा सकती है।

सिंह – सिंह राशि पर पहले से ही राहू का प्रभाव है जो कि जन्म से ही वक्र ग्रह होता है। यह आपके लिये मानसिक चिंताओं का कारण बनता है। आपकी राशि से भाग्य स्थान पर बुध वक्री है जिस कारण आपको भाग्य का सहयोग कम ही मिलने के आसार हैं। वहीं बुध आपके लाभ व धन भाव के स्वामी भी हैं जिससे आपके लाभ में कमी व खर्चों में बढ़ोतरी रहने के आसार भी बनेंगें। नेत्र व कान संबंधी रोगों से सावधान रहें जरा सी लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है।

देव गुरु ग्रह बृहस्पति आपकी राशि में दूसरे घर में वक्री हैं जो आपकी बचत को प्रभावित कर रहे हैं। यह आपके स्वभाव में भी कठोरता लाये हैं। आपकी राशि के अनुसार बुद्धि व आठवें घर के स्वामी होने के कारण बृहस्पति आपको भविष्य का मार्ग अवश्य प्रदर्शित कर सकते हैं। कुल मिलाकर बृहस्पति को आपकी राशि में लाभप्रद कहा जा सकता है।

वहीं शुक्र आपकी राशि में अष्टम भाव में वक्री हैं। यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करते हैं। आप स्वास्थ्य में थोड़ी कमजोरी महसूस करते हैं। आपकी राशि में शुक्र कर्म व पराक्रम भाव के स्वामी भी हैं। उनके वक्री रहने से आपके लिये दोनों ही क्षेत्र प्रभावित रहेंगें। इस समय आपको कोई पुराना प्रेम संबंध विचलित कर सकता है। भावनाओं में न बहकर बुद्धिमता से काम लेकर ही इस समस्या से आप उभर सकते हैं।

शनि आपकी राशि में पंचम स्थान में वक्री हैं। वक्री शनि संतान संबंधी आपकी चिंताएं बढ़ा सकते हैं। जो अविवाहित जातक अभी किसी के साथ प्रेम संबंध मे लिप्त नहीं हैं। उनके लिये वक्री शनि कुछ रास्ते खोल सकता है। अपने प्यार का इज़हार करने के लिये यह समय आपके लिये शुभ कहा जा सकता है। शनि आपके शत्रुघर व दांपत्य जीवन को भी प्रदर्शित करते हैं। इस समय आप अपने प्रतिस्पर्धियों से आपको अचानक कड़ी चुनौतियां मिल सकती हैं। वक्री शनि की नज़र आपके स्वास्थ्य को भी लग सकती है। अपनी सेहत का ध्यान रखें। जीवन साथी के साथ आपका प्यार परवान चढ़ेगा यानि एक सुखद दांपत्य जीवन का आनंद आप अपने रिश्ते में महसूस कर सकते हैं।

कन्या – कन्या राशि का स्वामी बुध आपकी राशि से अष्टम भाव में वक्र है जो कि व्यर्थ की यात्राओं की ओर संकेत कर रहा है। राशि स्वामी के वक्र होने सामाजिक या पारिवारिक संबंधों में मनमुटाव भी होने के आसार आपके लिये बन सकते हैं। वहीं बृहस्पति आपकी ही राशि में वक्री हैं जो कि आपकी शारीरिक व्याधियों को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। बृहस्पति आपकी राशि में सुख व दांपत्य जीवन के स्वामी हैं। दोनों ही क्षेत्रों में वक्री गुरु आपको प्रभावित कर सकते हैं। माता-पिता के स्वास्थ्य के प्रति भी इस समय सचेत रहें। अपनी शारीरिक ऊर्जा को बनाये रखने के लिये अपने सुख-साधनों का उचित रूप से इस्तेमाल करें। अपने जीवनसाथी की बातों को महत्व दें उन्हें नज़रंदाज करना आपके दांपत्य जीवन में मनमुटाव ला सकता है। कार्यक्षेत्र में भी अचानक कोई बड़ी जिम्मेवारी आपको मिल सकती है। धैर्य और बुद्धिमता से इसका निर्वाह करें भविष्य में भी यह आपके लिये लाभप्रद हो सकती है।

आपकी राशि से शुक्र सप्तम घर में वक्री हैं जो कि आपको अपने जीवनसाथी को सम्मान देने के लिये प्रेरित कर रहा है। यह समय आपके लिये परीक्षा की घड़ी भी लेकर आ सकता है जिसमें सफल होने पर आपको अपने साथी का प्यार तो मिलता ही है साथ ही आप पूर्ण रूप से उनके विश्वासपात्र भी बन जाते हैं। शुक्र आपकी राशि में भाग्य व धन के स्वामी भी हैं। इस समय आपको अपने भाग्य से ज्यादा कर्म पर विश्वास रखना चाहिये। पैतृक संपत्ति का उपयोग करना इस समय उचित नहीं रहेगा। बचत किये धन का उपयोग भी ऐसे कार्यों में न करें जिनके कारण भविष्य में आपको पछताना पड़े।

आपकी राशि से शनि चौथे घर में वक्री हो रहे हैं। वक्री शनि सप्तम दृष्टि से पिता के साथ आपके मनमुटाव के योग बना रहे हैं। माता के लिये भी यह समय उचित नहीं है। शनि आपकी राशि में बुद्धि व रोग घर के स्वामी भी हैं। इस समय अपनी संगति का ध्यान रखें वक्री शनि के कारण गलत संगत में आप पड़ सकते हैं। इस समय आपके शत्रु भी सक्रिय हो सकते हैं इसलिये बेहतर होगा अपने शत्रुओं की पहचान कर उनसे चौकन्ने रहें।

तुला – तुला राशि का स्वामी शुक्र आपकी राशि में छठे घर में वक्री है जो कि आपके बनते कामों को बिगाड़ने का योग भी बनाते हैं। सुक्र आपकी राशि में लग्न और अष्टम भाव का स्वामी है। लग्न स्वामी होने से आपकी लंबे समय से चली आ रही स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और बढ़ सकती हैं। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।

आपकी राशि के लिये वक्री शनि के संकेत भी कुछ शुभ नज़र नहीं आ रहे क्योंकि शनि आपके पराक्रम भाव में बैठा हुआ है। यह कार्यों में आपके लिये नई चुनौतियों को लेकर आ सकता है। शनि आपकी राशि में सुख भाव व बुद्धि के स्वामी हैं। जो कि आपकी खुशियों में कमी का संकेत भी देते हैं। वक्री शनि के कारण ही आगे चलकर आपकी परेशानियां और भी बढ़ सकती हैं। बुद्धि घर का स्वामी होने से मानसिक चिंताएं, फिजूल के झगड़े एवं आपके व्यवहार में रूखापन भी शनि ला सकते हैं। संतान व प्रेम संबंध के मामले में भी आपकी चिंताएं बढ़ सकती हैं।

आपकी राशि के अनुसार बुध सप्तम घर में वक्री हैं जिसका साफ संकेत है कि आपके दांपत्य सुख में कमी आ सकती है। वहीं भाग्य और व्यय घर का स्वामी होने के कारण हो सकता है किस्मत आपका साथ न दे। अचानक खर्च बढ़ने से आपका बजट भी बिगड़ सकता है। पैसा सोच-समझकर व अत्यावश्यक वस्तुओं पर ही खर्च करें।

वक्री बृहस्पति आपकी राशि में धन भाव को ही ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं। लंबे समय से पैतृक संपति का कोई विवाद यदि चल रहा है तो इस समय यह मामला आपके हाथ से निकल सकता है। पराक्रम एवं छठे घर का स्वामी होने के कारण भी बृहस्पति आपकी स्वयं की मेहनत से कमाई पूंजी को भी खर्च करवा सकते हैं। शत्रु पक्ष से सावधान रहें इस समय आप पर हावि रह सकते हैं।

वृश्चिक – आपकी राशि में बुध वक्री होकर छठे घर में विराजमान होंगे जो कि आपकी यात्राओं के लिये आपको चिंतित कर सकते हैं। यात्रा के दौरान धन व्यर्थ की चीज़ों में भी खर्च हो सकता है। बुध आपकी राशि में अष्टम भाव व लाभ घर के स्वामी हैं जो कि आपके लाभ के क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं। यह आपके गुप्त रोगों में भी वृद्धि कर सकते हैं। बुध इस समय आपके राशि स्वामी के साथ ही विराजमान होंगे। बुध के कुप्रभाव से बचने के लिये राशि स्वामी की पूजा करना आपके लिये बेहतर रहेगा। वहीं बृहस्पति आपकी राशि में लाभ घर में ही वक्र हैं। काफी समय से दूसरों के हाथ में फंसा पैसा मिलने के आसार बन सकते हैं। बृहस्पति आपकी राशि में धन व बुद्धि के स्वामी भी हैं। बृहस्पति के वक्री होने से धन के मामले में आप कृपण बन सकते हैं जो इस समय परिस्थितियों को देखते हुए आपके लिये उचित भी रहेगा। किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को करने अथवा निर्णयों को लेने में अपनी बुद्धि पर अतिविश्वास करने से बचें और बड़े-बुजूर्गों अनुभवी व्यक्तियों की सलाह लेकर ही आगे बढ़ें।

आपकी राशि में शुक्र बुद्धि स्थान पर ही वक्री हैं। इस समय भावनात्मक रूप से कोई भी निर्णय न लें। शुक्र आपकी राशि में व्यय घर व दांपत्य जीवन के स्वामी हैं। इस समय अपने साथी के साथ भी सावधानी से चलें। कोई ऐसी बात न कहें जिनसे उनकी भावनाएं आहत हों। इस समय आपके दांपत्य जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं। वहीं शनि आपकी राशि में दूसरे भाव में वक्र हैं जो कि आपकी जमा पूंजी को खर्च करवा सकते हैं। सिर व नेत्र संबंधी विकार बढ़ सकते हैं। शनि आपकी राशि में आपके पराक्रम और सुख भाव के स्वामी हैं। आपको अथक प्रयास करने के बाद कार्यों में सफलता मिल सकती है। यह समय ही कड़ी मेहनत करने का है जो कि आपके सफल भविष्य की नींव रख सकता है। लंबी दूरी की यात्राएं भी आपको करनी पड़ सकती हैं। व्यर्थ की भागदौड़ से बचें। सुख साधनों में कमी भी वक्री शनि ला सकते हैं।

धनु – धनु राशि का स्वामी बृहस्पति कन्या राशि में वक्री है जो कि आपके कर्मक्षेत्र को देखते हैं। वक्री गुरु के कारण आपको कार्यक्षेत्र में उच्च पदस्थ लोगों के कोप का भाजन बनना पड़ सकता है। उनके निर्देशानुसार ही कार्य करें। बृहस्पति आपकी राशि और चौथे घर का स्वामी है इस कारण आपकी स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को भी यह बढ़ा सकता है जिससे आपके सुख में कमी भी आपको महसूस होगी। माता-पिता सहित बड़े बुजूर्गों का सम्मान कर बृहस्पति के कोप भाजन बनने से थोड़ी राहत पा सकते हैं।

आपकी राशि में शुक्र चौथे घर में वक्री हैं। जो कि आपके शुभ का घर होता है। परिवार से दूर रहने वाले जातकों को इस समय अपने परिवार की कमी खल सकती है। शुक्र आपकी राशि में लाभ व शत्रु घर के स्वामी भी हैं जो कि शत्रुओं से आपकी आक्समिक चिंताओं को बढ़ा सकते हैं। यह आपके लाभ क्षेत्र को प्रभावित करने का काम भी कर सकते हैं। किसी भी अंजान व्यक्ति पर भरोसा न जतायें धन के मामले में तो किसी पर भी नहीं। इस समय किसी को धन न देना ही आपके लिये बेहतर रहेगा।

वहीं शनि आपकी ही राशि में वक्री हुए हैं। इससे आपके स्वास्थ्य को हानि पंहुच सकती है। इस समय आप किसी रोग से घिर सकते हैं। शनि आपकी राशि में धन व पराक्रम के स्वामी हैं। अचानक धन खर्च का योग बनता है। पराक्रम में भी आपको अधिक प्रयास करने होंगे। इस समय आलस्य से जितना हो सके बचने का प्रयास करें।

बुध ग्रह आपकी राशि में पंचम भाव में वक्र हैं जो कि आपकी बुद्धि व वाणी को प्रभावित कर सकते हैं। अपनी वाणी में जितना हो सके मधुरता लायें। बुध आपकी राशि में आपके दांपत्य जीवन और कर्मभाव के स्वामी हैं। अपने जीवनसाथी या साथी से मनमुटाव रहने के आसार हैं। कार्यक्षेत्र में सफलता पाने के लिये आपको अत्यधिक प्रयास करने की आवश्यकता होगी।

मकर – मकर राशि के स्वामी शनि आपकी राशि से 12वें घर में वक्र हैं जो कि आपके धन को व्यर्थ व्यय करवा सकते हैं। शनि आपकी राशि में लग्न और द्वितीय भाव के स्वामी हैं। नेत्र एवं मूत्र जनित रोगों के पनपने के आसार हैं। धन भाव का स्वामी होने के कारण भी वक्री शनि आपके संचित धन का व्यय करवा सकते हैं। इस समय ऋण न लें। आपकी राशि में बुध आपके चौथे घर में वक्र हैं। जो कि आपकी सुख-सुविधाओं में कमी ला सकते हैं। यह वक्र दृष्टि से आपके कार्यक्षेत्र को भी प्रभावित कर सकते हैं। बुध आपकी राशि में भाग्य और छठे घर के स्वामी हैं। जिससे शत्रु बाधाएं तो बढ़ेंगी ही साथ ही रोग वृद्धि के संकेत भी आपके लिये मिल रहे हैं। भाग्य का स्वामी होने के कारण कुछ समय के लिये भाग्य का साथ मिलना भी मुश्किल रहेगा।

वहीं आपकी राशि में बृहस्पति भाग्य स्थान में वक्री होकर बैठे हैं। जो कि आपके भाग्य को प्रभावित करते हैं। बृहस्पति आपीक राशि में आपके पराक्रम औऱ व्यय घर का स्वामी है। यह आपके आक्समिक खर्च तो बढ़ायेगा लेकिन भविष्य की योजना बनाने के लिये भी आपको प्रेरित करेगा। पराक्रम क्षेत्र का स्वामी होने के कारण इस समय आपके कार्य पर संदेह किया जा सकता है। दूसरों पर भरोसा न करें अपना काम स्वयं करें और पूरी सतर्कता के साथ करें। आपकी राशि में शुक्र तृतीय घर में वक्र हैं जो कि आपके पराक्रम को प्रभावित करेगा। बुद्धिमता से काम लेना ही आपके लिये फायदेमंद हो सकता है। चालाकी से दूर रहें। शुक्र आपकी राशि में आपके करियर औऱ बुद्ध का स्वामी भी है। बुद्धि के स्वामी के वक्र होने से बुद्धि विपरीत होती है। ज्ञानी व्यक्तियों का परामर्श लेकर ही कोई कार्य करें। कार्यक्षेत्र में कुछ समय के लिये बिना कोई अधिक लाभ देखे कार्य करते रहें। जो कि भविष्य के लिये आपके सफलतादायक हो सकता है।

कुंभ – कुंभ राशि के स्वामी शनि आपकी राशि में लाभ घर में वक्री हैं। आपके वर्तमान समय में चल रहे कार्य कुछ समय और ले सकते हैं। लाभ क्षेत्र को शनि बाधित कर सकते हैं। वहीं शनि आपके लग्न और द्वादश भाव के स्वामी हैं। इस समय यह आपके स्वास्थ्य संबंधी खर्च बढ़ा सकते हैं। आपकी राशि में बुध पराक्रम भाव में वक्री हैं जो कि निश्चित तौर पर आपके पराक्रम को प्रभावित कर सकते हैं। बुध आपकी राशि के अनुसार पंचम और अष्टम भाव के स्वामी हैं। खुद के द्वारा लिये गये निर्णय भविष्य में हानिकारक हो सकते हैं। स्त्री पक्ष से संबंधित कोई भी फैसला बड़े लोगों की सलाह पर लें। लंबी दूरी की यात्राएं भी आपको करनी पड़ सकती हैं हालांकि यह यात्राएं वर्तमान की बजाय भविष्य में आपके लिये लाभकारी सिद्ध हो सकती हैं।

आपकी राशि में बृहस्पति अष्टम भाव में वक्र हैं जो कि उदर संबंधी परेशानियों को बढ़ा सकते हैं। आपकी सोच का स्तर भी कम कर सकते हैं जिससे आपको निर्णय लेने में भी दिक्कत हो सकती है। धन व लाभ घर के स्वामी होने के कारण यह आपके धन व लाभ को प्रभावित कर सकते हैं। पैतृक संपत्ति का विभाजन होने के संकेत हैं। वहीं शुक्र आपकी राशि में द्वीतीय भाव में वक्री हैं। सर की वेदनाओं से पीड़ित रहने के योग भी आपके लिये बन रहे हैं। शुक्र आपकी राशि में सुख और भाग्य के स्वामी भी हैं। आपके कार्य क्षेत्र औऱ घर के सुख साधनों में कमी आ सकती है। भाग्य का साथ न मिल पाने के कारण सफलताएं हाथ से फिसल सकती हैं।

मीन – मीन राशि का स्वामी बृहस्पति कन्या राशि में वक्र है जो कि आपकी राशि में सातवां घर होता है। जीवन साथी का समाज के प्रति झुकाव हो सकता है जो कि आपके लिये चिंतनीय विषय रह सकता है। धार्मिक कार्यों में भी इस समय आपकी रूचि बढ़ सकती है। इस समय अपने जीवनसाथी का भरपूर सहयोग करें इससे आपको अपने कार्यों में भी सफलता मिल सकती है। बृहस्पति आपकी राशि में लग्न और कर्मभाव के स्वामी हैं। थोड़ा स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत रहें। कार्यक्षेत्र में तो विशेष रूप से सतर्कता बरतें। व्यवासायी जातकों के लिये वक्री बृहस्पति कष्टदायक हो सकते हैं। धैर्य से ही इस समय आपको सफलता मिल सकती है।

आपकी राशि में शुक्र लग्न में ही वक्र हैं जो कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। सुक्र आपकी राशि में पराक्रम और अष्टम भाव के स्वामी हैं। पराक्रम के क्षेत्र में आपको कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। वहीं कार्य के लिये परिवार से दूर रहने की नौबत भी आ सकती है। आपकी राशि में शनि आपके कर्म भाव में वक्र हैं जो कि आपके कार्यों की गति धीमा कर सकते हैं और पिता के साथ संबंधों में कड़वाहट पैदा कर सकते हैं। शनि आपकी राशि में लाभ और व्यय के स्वामी हैं। परिस्थितियों के अनुसार ही धन व्यय करें। अनावश्यक खर्च आपकी धन संबंधी चिंताओं को बढ़ा सकते हैं। लाभ के क्षेत्र भी आपके लिये कुछ समय तक धीमे ही रहेंगें जिससे कार्य में भी उत्साह की कमी रह सकती है।

आपकी राशि में बुध धन भाव में वक्री हैं। जो कि कभी-कभी गुप्त धन मिलने का संकेत भी देते हैं। लंबे समय से अटका हुआ धन आने की संभावना भी बनती है। बुध आपकी राशि में सुख और दांपत्य जीवन के स्वामी हैं। यांत्रिक सुखों की कमी को भी दर्शाता है। साथ ही दांपत्य जीवन में भी काफी उतार चढाव ला सकता है। दोनों ही क्षेत्रों में धैर्य और संयम का परिचय देने पर सफलता मिल सकती है।

बुध गुरु शुक्र व शनि के वक्री होने से अपनी राशि के अनुसार पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में आपने पढ़ा लेकिन ज्योतिषशास्त्र में इन दुष्प्रभावों से बचने के उपाय भी हैं। यदि आप इन वक्री ग्रहों के कुप्रभावों से बचने के सरल ज्योतिषीय उपाय जानना चाहते हैं तो एस्ट्रोयोगी पर देश भर के विद्वान ज्योतिषाचार्यों से परामर्श करें। अभी परामर्श करने के लिये यहां क्लिक करें।

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