Purnima 2025: साल 2025 में इस दिन रख सकेंगे पूर्णिमा व्रत!

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Purnima 2025: साल 2025 में इस दिन रख सकेंगे पूर्णिमा व्रत!

Purnima 2025: हिंदू धर्म में दो विशेष तिथियों का बहुत महत्व होता है। इन तिथियों को पूर्णिमा और अमावस्या के नाम से जाना जाता है। पूर्णिमा तिथि को सबसे अधिक शुभ माना जाता है। पूर्णिमा तिथि का स्वामी चंद्रमा को माना जाता है। यह हर महीने शुक्ल पक्ष के 15वें दिन आती है। इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है और इसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा व्रत और पूजन धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर आप इस दिन व्रत का संकल्प लेते हैं और विधिपूर्वक पूजा करते हैं तो आपको को मानसिक शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। 

इस दिन किया जाने वाला स्नान, ध्यान और दान आपके लिए बहुत शुभ फल लेकर आता है। पूर्णिमा तिथि पर भगवान शिव और सत्यनारायण की पूजा का भी बहुत महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा निकलती है, जो शरीर और मन को शुद्ध कर सकती है। यही कारण है कि पूर्णिमा के दिन व्रत करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पूर्णिमा की तिथि कई प्रमुख हिंदू त्योहारों और धार्मिक अवसरों से भी जुड़ी होती है, जो इस दिन को अधिक शुभ बनाते हैं।

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जानें साल 2025 में पूर्णिमा की तिथियां (Purnima Tithi 2025)

प्रत्येक माह में एक बार पूर्णिमा की तिथि आती है। तो आइए जानते हैं साल 2025 में पूर्णिमा तिथि कब-कब है? 

जनवरी 13, 2025, सोमवार (पौष पूर्णिमा व्रत, पौष पूर्णिमा)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 13 जनवरी, सुबह 05:03 बजे से 

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 14 जनवरी, रात 03:56 बजे तक 

फरवरी 12, 2025, बुधवार (माघ पूर्णिमा व्रत, माघ पूर्णिमा)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 11 फरवरी, शाम 06:55 बजे से  

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 12 फरवरी, शाम 07:22 बजे तक  

मार्च 13, 2025, बृहस्पतिवार (फाल्गुन पूर्णिमा व्रत, फाल्गुन, शुक्ल पूर्णिमा)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 13 मार्च, सुबह 10:35 बजे से  

पूर्णिमा तिथि तिथि समाप्त - 14 मार्च, दोपहर 12:23 बजे तक  

मार्च 14, 2025, शुक्रवार (फाल्गुन पूर्णिमा, पूर्णिमा)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 13 मार्च, सुबह 10:35 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 14 मार्च, दोपहर 12:23 बजे तक

अप्रैल 12, 2025, शनिवार (चैत्र पूर्णिमा व्रत, चैत्र पूर्णिमा)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 12 अप्रैल, सुबह 03:21 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 13 अप्रैल, सुबह 05:51 बजे तक

मई 12, 2025, सोमवार (वैशाख पूर्णिमा व्रत, वैशाख पूर्णिमा)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 11 मई, रात 08:01 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 12 मई, रात 10:25 बजे तक

जून 10, 2025, मंगलवार (ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 10 जून, सुबह 11:35 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 11 जून, दोपहर 01:13 बजे तक

जून 11, 2025, बुधवार (ज्येष्ठ पूर्णिमा)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 10 जून, सुबह 11:35 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 11 जून, दोपहर 01:13 बजे तक

जुलाई 10, 2025, बृहस्पतिवार (आषाढ़ पूर्णिमा व्रत)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 10 जुलाई, रात 01:36 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 11 जुलाई, रात 02:06 बजे तक

अगस्त 9, 2025, शनिवार (श्रावण पूर्णिमा व्रत, श्रावण पूर्णिमा)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 08 अगस्त, दोपहर 02:12 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 09 अगस्त, दोपहर 01:24 बजे तक

सितम्बर 7, 2025, रविवार (भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, भाद्रपद पूर्णिमा)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 07 सितम्बर, रात 01:41 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 07 सितम्बर, रात 11:38 बजे तक

अक्टूबर 6, 2025, सोमवार (आश्विन पूर्णिमा व्रत)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 06 अक्टूबर, दोपहर 12:23 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 07 अक्टूबर, सुबह 09:16 बजे तक

अक्टूबर 7, 2025, मंगलवार (आश्विन पूर्णिमा)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 06 अक्टूबर, दोपहर 12:23 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 07 अक्टूबर, सुबह 09:16 बजे तक

नवम्बर 5, 2025, बुधवार (कार्तिक पूर्णिमा व्रत, कार्तिक पूर्णिमा)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 04 नवम्बर, रात 10:36 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 05 नवम्बर, शाम 06:48 बजे तक

दिसम्बर 4, 2025, बृहस्पतिवार (मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत, मार्गशीर्ष पूर्णिमा)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 04 दिसम्बर, सुबह 08:37 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 05 दिसम्बर, सुबह 04:43 बजे तक

यह भी पढ़ें: जानें साल 2025 का वार्षिक राशिफल

पूर्णिमा के पर्व 

पूर्णिमा तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। ऐसे कई धार्मिक पर्व हैं जो पूर्णिमा तिथि को मनाए जाते हैं। वैसे तो हर महीने की पूर्णिमा का अलग-अलग महत्व होता है, लेकिन कुछ विशेष त्योहार इस तिथि को अधिक शुभ बना देते हैं।

1. गुरु पूर्णिमा: गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन ऐसे लोगों का आभार प्रकट किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है, जिन्होंने आपके जीवन में गुरु की भूमिका निभाई है।

2. शरद पूर्णिमा: इस दिन उदय होने वाले चंद्रमा की किरणों को अमृत के सामान माना जाता है। शरद पूर्णिमा पर रात में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह खीर खाने से स्वास्थ्य बेहतरीन हो जाता है।

3. राखी का त्योहार: यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक होता है। रक्षाबन्धन का पावन त्यौहार श्रावण मॉस की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

4. बुद्ध पूर्णिमा: यह दिन भगवान बुद्ध से जुड़ा होता है। यह बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से बौद्ध धर्म के लोग भगवान बुद्ध की पूजा और ध्यान करते हैं।

5. होली: होली का पर्व फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

6. वट पूर्णिमा: यह पर्व विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा मनाया जाता है। इसमें वट वृक्ष की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना की जाती है। 

7. दत्तात्रेय जयंती: भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन  भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है।

पूर्णिमा व्रत पूजन विधि

पूर्णिमा व्रत को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है, और इसे पूरी श्रद्धा और विधि के अनुसार करना चाहिए। पूर्णिमा व्रत पूजा में भगवान शिव के साथ चंद्रमा की पूजा करना बहुत शुभ होता है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ और पवित्र वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद, शांत मन से व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव या चंद्रदेव की पूजा आरंभ करें। पूजा के लिए पवित्र स्थान पर भगवान की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और शुद्ध घी का दीपक जलाएं। पूजा में चंदन, पुष्प, धूप, फल, और मिठाई अर्पित करें। पूजा के दौरान पवित्र मंत्र "ओम सोम सोमाय नमः" का जाप करें। संध्या के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है। अर्घ्य देते समय जल में दूध, अक्षत (चावल), और फूल मिलाएं। चंद्रदेव के दर्शन करके व्रत का समापन करें और प्रसाद ग्रहण करें।

पूर्णिमा व्रत का महत्व

पूर्णिमा का दिन शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन कई धार्मिक कार्य किए जाते हैं और धार्मिक पर्व भी मनाए जाते हैं। हिंदू धर्म में, पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा का विशेष महत्व है। यह दिन भक्तों को जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करता है। पूर्णिमा व्रत रखने आप मानसिक शांति और आत्म-नियंत्रण बनाए रखने में सफल होते हैं। आपको जीवन में सुख-समृद्धि और धन-वैभव की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा व्रत रखने से शरीर भी स्वस्थ रहता है और आपका मन भी शुद्ध होता है।  

पूर्णिमा पर इन चीजों से जरूर बचें 

  1. पूर्णिमा के दिन आपको प्रयास करना चाहिए कि आप झूठ बोलने से बचें और किसी को अपशब्द न कहें।

  2. हल्का और सात्विक भोजन करें। मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन न करें।

  3. पूर्णिमा के दिन अपने मन में किसी भी प्रकार की कोई नकारात्मक सोच न आने दें और क्रोध को भी नियंत्रण में रखें।

  4. अपने व्यवहार में सौम्यता लाएं। छोटी-मोटी बातों पर किसी का दिल न दुखाएं और शांति बनाए रखें।

अगर आप पूर्णिमा तिथि पर कोई विशेष पूजा या अनुष्ठान करवाना चाहते हैं या कोई अन्य ज्योतिषीय जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर्स से संपर्क कर सकते हैं।

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