Raksha bandhan 2023: जीवन में हर रिश्ता अपना अलग महत्व रखता है चाहें वह मां-बाप का हो, भाई-बहन या पति-पत्नी का। हालांकि इन सब में सबसे अलग रिश्ता, भाई-बहन का होता है। इसमें सारे इमोशन शामिल होते हैं यह रिश्ता कभी खट्टा तो कभी मीठा होता है। इसमें कभी तकरार तो कभी बेशुमार प्यार देखने को मिलता है। इस रिश्ते कि सबसे मजेदार बात होती है कि वे आपस में कितना ही झगड़ा क्यों न करें लेकिन एक दूसरे के लिए हमेशा प्रोटेक्टिव रहते हैं।
भाई बहन के इसी अटूट रिश्ते को सेलिब्रेट करने के लिए राखी (Rakhi 2023) का त्योहार यानी रक्षाबंधन मनाया जाता है। यह सावन के महीने का सबसे बड़ा त्योहार होता है। यह शुभ दिन भाई-बहनों के बीच बंधन को मजबूत करता है और एक दूसरे के प्रति प्यार, देखभाल व सुरक्षा पर जोर देता है। आइए जानते हैं कि साल 2023 में रक्षाबंधन (Rakshabandhan 2023) कब है, इसकी सही पूजा विधि क्या है और रक्षा बंधन पर राखी बांधने का इतना महत्व क्यों है ?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। साल 2023 में रक्षाबंधन दो दिन मनाया जाएगा। इस साल पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त 2023 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी जो अगले दिन 31 अगस्त 2023 को सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगी।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अगस्त 30, 2023 सुबह 10:58 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अगस्त 31, 2023 सुबह 07:05 बजे तक
भद्रा काल की समाप्ति- 30 अगस्त 2023 को रात 09 बजकर 01 मिनट पर होगी।
भद्रा काल के कारण सभी बहनें अपने भाई को रात 09 बजकर 1 मिनट से लेकर अगले दिन 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 01 मिनट तक ही राखी बांध सकती हैं। राखी धागा बांधने और रक्षा बंधन पूजा करने का शुभ समय अपराहन के दौरान होता है, जो दोपहर के बाद का समय होता है। हालांकि अगर अपराह्न के दौरान भद्रा लगी हो तो इस शुभ काम को आप प्रदोष काल में या मुहूर्त के अनुसार भी कर सकते हैं।
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पूर्णिमा तिथि यानी 30 अगस्त से भद्रा भी शुरू हो जाएगी जो 30 अगस्त 2023 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर रात 09 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार, भद्राकाल को अच्छे और भाग्यशाली काम करने के लिए एक दुर्भाग्यपूर्ण समय माना जाता है।
यदि आप इस अवधि के दौरान कुछ सकारात्मक कार्य करते हैं, तो इसके प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं। एक विशिष्ट उदाहरण भद्रा के दौरान राखी बांधना है, जिसे बिलकुल भी शुभ नहीं माना जाता है। इसके पीछे की कहानी के अनुसार, रावण की बहन शूर्पणखा ने भद्रा काल में ही उसे राखी बांधी थी और उसी साल भगवान राम ने रावण को हराकर उसका वध किया था। जिसके फलस्वरूप रावण का पूरा कुल नष्ट हो गया। इसलिए, यह सोचा जाता है कि भद्रा में राखी बांधने से भाई का जीवन छोटा हो सकता है और उसे नकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
इसके अलावा यह भी माना जाता है कि भद्रा के दौरान, भगवान शिव तांडव करते हैं बहुत क्रोध में होते हैं। यदि कोई इस समय के दौरान कुछ भी सकारात्मक करने का प्रयास करता है, तो यह कहा जाता है कि उन्हें शिव के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है, जिससे अच्छे कर्म भी बुरे हो सकते हैं। इसलिए भद्रा के दौरान लोग कोई भी शुभ कार्य करने से बचते हैं।
रक्षा बंधन में अपने भाई को राखी बांधने के लिए एक उचित विधि का पालन किया जाता है। इस विधि के द्वारा राखी बांधने से भाई बहन का रिश्ता बहुत मजबूत बन जाता है और यह बहुत शुभ परिणाम भी देता है। आइए रक्षा बंधन पूजा विधि के आवश्यक नियमों के बारे में जानते हैं-
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भगवान कृष्ण और द्रौपदी की कहानी: प्राचीन भारतीय महाकाव्य, महाभारत के अनुसार, भगवान कृष्ण और पांडवों की पत्नी द्रौपदी के बीच बहुत अच्छी दोस्ती हुआ करती थी। एक बार जब कृष्ण पतंग उड़ा रहे थे तभी गलती से नुकीली डोर से उनकी उंगली कट गई। यह देखते ही पास में मौजूद द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़ा और रक्त को रोकने के लिए कृष्ण की उंगली के चारों ओर उसे बांध दिया। उनकी दयालुता के बदले में, भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की जरूरत के समय उसकी रक्षा करने और उसके साथ खड़े होने का वादा किया।
कई साल बाद, जब कौरव दरबार में द्रौपदी को अपमानित किया गया और उसने भगवान कृष्ण से मदद के लिए प्रार्थना की। उस क्षण, जब द्रौपदी संकट में थी और निर्वस्त्र हो रही थी, तब कृष्ण ने चमत्कारिक रूप से उसकी साड़ी बड़ी कर दी, जिससे यह अंतहीन हो गई ताकि उसके सम्मान पर आंच न आए। इस घटना को एक भाई और बहन के बीच बंधन के उदाहरण के रूप में देखा जाता है, जहां भाई मुसीबत के समय अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है।
इस कहानी का महत्व रक्षा बंधन के त्योहार में निहित है, जहां बहनें अपने प्यार और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में अपने भाइयों की कलाई के चारों ओर एक पवित्र धागा (राखी) बांधती हैं। बदले में, भाई उपहार देते हैं और अपनी बहनों को किसी भी नुकसान या कठिनाई से बचाने का वादा करते हैं।
रक्षा बंधन केवल इस कहानी तक ही सीमित नहीं है, और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में त्योहार से जुड़ी अन्य विविधताएं और स्थानीय किंवदंतियां हैं। फिर भी, सार वही रहता है, भाई-बहन के बंधन के महत्व और एक-दूसरे की रक्षा और समर्थन करने की प्रतिबद्धता पर जोर देता है।
पिछले कुछ वर्षों में, रक्षा बंधन के पारंपरिक त्योहार में बदलाव आया है, अब पहले से चले आ रहे पारंपरिक रीति-रिवाजों में आधुनिकता भी जोड़ दी गई है। आज, बहनें अपने भाइयों के लिए सही राखी चुनने में काफी प्रयास करती हैं, जिसमें बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के डिजाइन और सामग्री होती है। पारंपरिक धागे से लेकर ब्रेसलेट और पर्सनलाइज़्ड राखियों तक, इसके कई ऑप्शंस मार्केट में मौजूद हैं। इसके अलावा आप ज्योतिष या राशी के आधार पर भी अपने भाई के लिए सही राखी चुन सकते हैं।
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राखी पर भाई उत्सुकता से अपनी बहनों को सरप्राइज़ देने के लिए उनके लिए एक अच्छा सा गिफ्ट चुनते हैं, जिसमें गहने और कपड़ों से लेकर गैजेट्स व नॉवेल्स तक शामिल हैं। गिफ्ट्स देने की ये परंपरा उत्सव के दौरान खुशी और उत्साह को बढ़ावा देती है, जिससे रक्षा बंधन एक प्रिय और कभी न भूलने वाला अवसर बन जाता है। बहन के लिए रक्षाबंधन उपहार चुनने के लिए हमेशा थोड़ा विशेष ध्यान दें ताकि आपके प्रयास उनके इस दिन को खास बना दें।
रक्षा बंधन 2023 एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एक साथ और करीब लाता है। राखी के पवित्र धागे के माध्यम से, भाई-बहन एक-दूसरे की रक्षा के लिए अपना प्यार, आभार और प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं। इस रक्षा बंधन, आइए हम न केवल भाई-बहनों के बीच के बंधन का जश्न मनाएं, बल्कि मानवता के बंधन को भी मजबूत करें जो हम सभी को एकजुट करता है।
आप सभी को एस्ट्रोयोगी परिवार की ओर से रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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