सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है इसलिए इस महीने में भगवान शिव की आराधना करने की हिंदू धर्म में परंपरा है। हर वर्ष सावन का ये महिना अपने साथ कई संयोग लेकर आता है। जिनके कारण कुछ दिन अति शुभ माने जाते हैं। इस चौथे सोमवार को भगवान भोलेनाथ के तीन स्वरूपों की पूजा कि जाती है जोकि बहुत विशेष मानी जाती है। तो चालिए जानते हैं कौन से हैं वो तीन स्वरूप और क्यों खास है ये चौथा सोमवार व्रत?
सावन का पूरा महीना भगवान शिव की आराधना का महीना होता है। इस महीने में शिव पूजा, जलाभिषेक करने से अत्यंत लाभदायक फल भक्तों को मिलता हैं। जिनका अपना-अपना महत्व होता है। तीनों लोकों के स्वामी भोलेनाथ की उपासना तीन स्वस्प में की जाती है, और इन तीनों स्वरूप की पूजा अर्चना के लिए श्रावण माह का यह चौथा व्रत बहुत महत्व रखता है। सावन मास में सोमवार के व्रत का बहुत महत्व है। श्रावण का माह सभी महीनों में पावन मना जाता है। पुराणों के अनुसार यह माह भगवान भोलेनाथ को अत्यधिक प्रिय है, इस माह में कि गई पूजा-अर्चना और व्रत करने से शिव के भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मान्यताओं अनुसार यही कारण है कि भगवान शिव के भक्तों को सालभर इस माह का बेसब्री से इंतजार रहता है। कुछ लोग लम्बी दूरी की यात्रा कर भोलेनाथ को कांवड से जल चढने जाते हैं। भक्त अपने अपने ढग से इस माह भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। वहीं सावन माह में पड़ने वाले सोमवार व्रत का भी विशेष महत्व होता है। तो चलिए जानते हैं श्रावण के चौथे सोमवार व्रत के बारे में, हिंदू पंचांग के अनुसार सावन में चार सोमवार व्रत ही पड़ रहे हैं। लेकिन कुछ लोग इस व्रत को संक्रांति के अनुसार भी रखते हैं तो उन्हें पांच सोमवार व्रत रखना चाहिए।
सावन माह का चौथा सोमवार व्रत 08 अगस्त को पड़ रहा है। यह श्रावण माह का आखिरी सोमवार होगा। क्योंकि इसके बाद 11 अगस्त को सावन खत्म हो जाएगा। सावन की आखिरी सोमवार का विशेष महत्व होता है। क्योंकि जो लोग सावन सोमवार के सभी उपवास को नहीं रख पाते हैं तो वे इस आखिरी व्रत को कर सकते हैं। इससे भी सभी सोमवार व्रत जैसे फल की प्राप्ति होती है। सावन के चौथा सोमवार एकादशी को वाले दिन ही पड रहा है, जिसे पवित्रा एकादशी के नाम से जानते हैं।
पौरणिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण माह में अभिषेक और श्रृंगार करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनवंछिफल देते हैं। सोमवार को भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाना अच्छा माना गया है। इस दिन शिव मंत्र, शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। और हो सके तो कोई भी चीज 108 जरूर भगवान को समर्पित करनी चाहिए।
सावन के चौथे सोमवार का व्रत को तीन किए गए सोमवार उपवास की तरह ही करना है। यह व्रत सूर्योदय से शुरू होकर संध्याकाल तक चलता है। व्रत पर सुबह स्नानादि करके हरे और सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। दिन भर क्रोध और ईर्ष्या से दूर रह कर भगवान शिव का स्मरण करें। व्रत वाले दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करें के बाद सोमवार की कथा सुने। ऐसा माना जाता है की सावन मास के सोमवार का व्रत करने से पूरे साल के सोमवारों के व्रत जितना फल मिलता है।
इस चौथे सोमवार करें भगवान शिव के इन तीन स्वरूपों की पूजा
पूजा शुरू करने से पहले इस मंत्र का जप करना चाहिए-
नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च ईशानः
सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ.
लघु मृत्युंजय मंत्र
ओम जूं स माम् पालय पालय स: जूं ओम
शिव गायत्री मंत्र
ओम तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।
शिव पंचाक्षर मंत्र
ओम नम: शिवाय
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✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी