Sawan Shivaratri 2024: सावन शिवरात्रि, जिसे श्रावण शिवरात्रि या मासिक शिवरात्रि भी कहा जाता है, श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और इससे आपके घर में कभी धन की कमी नहीं होती है।
हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि का खास महत्व है, और यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा अर्चना करने का खास विधान होता है। शिव पुराण के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव ने मां पार्वती से शादी की थी, इसलिए इस महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन महीने में भगवान शिव की पूजा करने से भक्त को मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, जबकि अविवाहित जातकों के शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। इस साल 2024 में इस शुभ तिथि पर भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। आइए, सावन शिवरात्रि की तिथि, शुभ मुहूर्त और योग के बारे में जानते हैं।
एस्ट्रोयोगी पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 02 अगस्त 2024 को दोपहर 03:26 मिनट पर शुरू होगी और इसके अगले दिन यानी 03 अगस्त 2024 को दोपहर 03:50 मिनट पर समाप्त होगी। चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा निशा काल में होती है। इसके लिए 02 अगस्त 2024 को सावन शिवरात्रि मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का समय देर रात 12:12 से 12:55 मिनट तक है। इस समय में भक्तजन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा कर सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं की मानें तो सावन शिवरात्रि पर दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 03:26 बजे से हो रहा है। वहीं, इस योग का समापन 03 अगस्त 2024 को देर रात 03:35 बजे होगा। इस शुभ मुहूर्त के दौरान भद्रा स्वर्ग में रहेंगी। भद्रा के स्वर्ग और पाताल में रहने से पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जीवों का कल्याण होता है। इस समय में भगवान शिव की पूजा करने से आपको अक्षय और दोगुना फल प्राप्त हो सकता है।
इस दिन के खास मुहूर्त
सूर्योदय: सुबह 05:58 बजे
सूर्यास्त: शाम 07:08 बजे
चन्द्रोदय: 03 अगस्त 2024, सुबह 04:36 बजे
चंद्रास्त: 03 अगस्त 2024, शाम 05:52 बजे
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:31 बजे से 05:15 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:45 बजे से 03:37 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:08 बजे से 08:13 बजे तक
निशिता मुहूर्त: रात 12:12 बजे से 12:55 बजे तक
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शिवरात्रि की पूजा सामग्री में दूध, जल, रोली, चन्दन, बेल पात्र, दूर्वा, घी का दीपक, दूप, मौसमी फल, फूल, मोली यानी कलावा, इत्र और चढ़ावा आदि शामिल होती हैं।
सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले पूजा कक्ष को साफ कर लें।
इस खास अवसर पर भगवान शिव की शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
इस दिन आप पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें।
अलग-अलग फूल, बेल पत्र, भांग और धतूरा चढ़ाएं।
पुरुष शिवलिंग पर जनेऊ चढ़ा सकते हैं, लेकिन महिलाओं को जनेऊ नहीं चढ़ाना चाहिए।
सफेद चंदन से शिव जी के माथे पर त्रिपुंड की आकृति बनाएं।
देसी घी का दीया जलाएं और भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं।
रुद्राक्ष की माला से "महामृत्युंजय मंत्र" का 108 बार जाप करें।
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सावन शिवरात्रि के दिन मांस, मदिरा आदि का सेवन बिल्कुल भी न करें।
शिवलिंग में केतकी, सिंदूर, रोली, कुमकुम आदि बिल्कुल भी न चढ़ाएं।
भोलेनाथ की पूजा करते समय उन्हें कभी भी तुलसी की पत्तियां अर्पित न करें।
इसके अलावा भगवान शिव को अक्षत, मीठा पान, मौसमी फल चढ़ाएं। सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए महिलाएं देवी पार्वती को शृंगार का सामान अर्पित करें। अंत में भगवान शिव की आरती करें।
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