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Shankh Bajane Ke Fayde: धार्मिक मान्यताओं में जितना पवित्र भगवान और उनके पवित्र स्थान को माना जाता है उतना ही पूजनीय पूजा से जुड़ी वस्तुओं को भी माना जाता है। इसमें शंख भी शामिल होता है। हिन्दू धर्म में शंख का महत्व बहुत ज्यादा है। इसे पूजा में और घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि शंख की पवित्र ध्वनि से घर में मौजूद वास्तु दोष दूर हो जाता है। शंख को बजाना शुभता और समृद्धि का भी प्रतीक है। इससे आपके घर का वातावरण शुद्ध और आनंदमय बनता है। शंख समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी जी के बाद उत्पन्न हुआ था, इस वजह से यह भगवान विष्णु को भी बहुत प्रिय है। इसलिए इसे घर में रखना और बजाना दोनों ही बहुत शुभ माना जाता है। दरअसल मुख्य रूप से शंख के दो प्रकार होते हैं एक दक्षिणावर्ती शंख और दूसरा वामावर्ती शंख। इन दोनों ही शंखों के अपने अलग-अलग नियम और लाभ होते हैं। तो आइए जानते हैं शंख रखने का सही तरीका क्या है और शंख बजाने के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं।
दक्षिणावर्ती शंख का मुख दाईं ओर खुलता है, और इसे मां लक्ष्मी का प्रिय माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह शंख धन और समृद्धि का प्रतीक है। इसे पूजा घर में रखने से घर में धन की वृद्धि होती है और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। दक्षिणावर्ती शंख दो प्रकार के होते हैं इसमें एक नर और दूसरा मादा दक्षिणावर्ती शंख शामिल होता है।
दक्षिणावर्ती शंख को धन की देवी लक्ष्मी जी का निवास स्थान माना जाता है। यदि इसे पूजा घर में सही तरीके से स्थापित किया जाए, तो यह घर में धन की बरकत को बढ़ाता है। इस शंख की उपस्थिति घर के वातावरण को शुद्ध करती है। जब आप इसे बजाते हैं, तो इसकी ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और घर में सकारात्मकता का प्रवाह करती है। वास्तु शास्त्र में दक्षिणावर्ती शंख का विशेष महत्व है। इसे घर में रखने से वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है। यह शंख घर में संतुलन और शांति बनाए रखने में सहायक होता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, दक्षिणावर्ती शंख में भरे गए जल को पीने या उसका छिड़काव करने से स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह रोगों से बचाव में मदद करता है और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
दक्षिणावर्ती शंख को रखने और पूजने के लिए कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करने से इसके लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं।
इसे पूजा घर की उत्तर या पूर्व दिशा में स्थापित करें।
रोजाना इसे साफ पानी या गंगाजल से धोएं।
पूजा के दौरान इसमें गंगाजल भरें और पूरे घर में इसका छिड़काव करें।
इसे हमेशा साफ कपड़े में लपेटकर रखें और किसी अशुद्ध स्थान पर न रखें।
ध्यान रखें कि इस शंख का उपयोग केवल पूजा और शुभ कार्यों के लिए करें।
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वामावर्ती शंख की बात करें तो इसका मुख बाईं ओर खुलता है। यह शंख भगवान शिव और विष्णु की पूजा में प्रमुखता से उपयोग किया जाता है। इसे ध्यान और साधना के लिए उत्तम माना जाता है। वामावर्ती शंख घर में शांति, शक्ति और अध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है।
इस शंख को पूजा में शामिल करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक तनाव कम होता है। इसके उपयोग से आप बेहतरीन ढंग से ध्यान कर सकते हैं। वामावर्ती शंख को घर में रखने से बुरी शक्तियों और शत्रु बाधाओं से रक्षा होती है। यह नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है और घर के वातावरण को सुरक्षित बनाता है। इस शंख में भरा गया जल स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। इसे पीने से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और बीमारियों से बचाव होता है। वामावर्ती शंख ध्यान और साधना के लिए आदर्श है। यह व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायता करता है और आत्मिक शांति प्रदान करता है।
इसे पूजा स्थल में दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें।
पूजा के बाद इसे गंगाजल या शुद्ध पानी से धोकर साफ करें।
इस शंख को नियमित रूप से मंत्रोच्चार के साथ पूजित करें।
वामावर्ती शंख को खंडित अवस्था में न रखें। यदि यह टूट जाए, तो इसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें।
इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखें और इसे केवल पूजा-अर्चना के लिए उपयोग करें।
शंख बजाने की प्रक्रिया अक्सर किसी धार्मिक अनुष्ठान या शुभ कार्य में की जाती है। हालांकि कई लोग अपनी रोज़ की पूजा में भी शंख बजाते हैं और अपनी पूजा को संपन्न करते हैं। सुबह-शाम की पूजा में शंख बजाना भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हालांकि ध्यान रखें, शंख को बिना किसी कारण के बजाना अच्छा नहीं होता है। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो पूजा के दौरान जब आप शंख बजाएं तो भगवान विष्णु का ध्यान जरूर करें। इसके बाद शंख को कुल तीन बार बजाएं।
शंख रखने का सही तरीका जानने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए।
सबसे पहले, शंख को हमेशा साफ और पवित्र रखना आवश्यक है। इसे गंदे या अशुद्ध स्थानों पर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे इसके लाभ कम हो सकते हैं।
पूजा के समय शंख का सही दिशा में उपयोग करना चाहिए, ताकि इसके लाभ पूरी तरह से प्राप्त हो सकें।
शंख को कभी भी अशुद्ध जल से नहीं भरना चाहिए, बल्कि शुद्ध गंगाजल का ही उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, शंख को नियमित रूप से साफ करना चाहिए और उसकी पूजा करनी चाहिए, ताकि यह हमेशा पवित्र और शुभ बना रहे।
शंख को संभालते समय भी कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। इसे हमेशा एक साफ कपड़े या प्लेट पर रखना चाहिए, ताकि यह किसी प्रकार की अशुद्धता से बचा रहे।
शंख को कभी भी किसी अशुभ कार्य में नहीं उपयोग करना चाहिए, क्योंकि इससे इसके पवित्र गुण प्रभावित हो सकते हैं।
इसके अलावा, शंख को किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थों या धूल-मिट्टी से नहीं धोना चाहिए, क्योंकि इससे इसका पवित्रता प्रभावित होती है। शंख को हमेशा एक शांत और स्वच्छ स्थान पर रखना चाहिए, जहां यह अपने पूर्ण लाभ प्रदान कर सके।
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