श्री गणेश चालीसा: बुधवार को पाठ करें और दूर करें जीवन की सभी परेशानियाँ

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श्री गणेश चालीसा: बुधवार को पाठ करें और दूर करें जीवन की सभी परेशानियाँ

Shree Ganesh Chalisha: हिंदू धर्म में बुधवार का दिन विशेष रूप से भगवान गणेश और बुध ग्रह को समर्पित माना गया है। इस दिन व्रत रखने, हरे रंग की वस्तुओं का दान करने और गाय को हरा चारा खिलाने की परंपरा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बुधवार को श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से जीवन में आ रही बाधाएं और कष्ट खुद-ब-खुद दूर होने लगते हैं? यह लेख आपको बताएगा कि गणेश चालीसा का पाठ करने का क्या महत्व है, इसे कैसे पढ़ा जाए, और यह आपके जीवन में किस तरह सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

बुधवार और गणपति बप्पा का कनेक्शन

बुधवार का दिन गणेश जी के पूजन का सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है। इस दिन बुध ग्रह की पूजा भी की जाती है, जो बुद्धि, संवाद और व्यापार का प्रतीक है। चूंकि गणपति जी को ‘बुद्धि का दाता’ माना गया है, इसलिए बुध ग्रह की शांति और मजबूती के लिए भी उनकी पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

गणेश जी का आह्वान करने से न केवल बुध दोष शांत होता है, बल्कि जीवन में आने वाली हर प्रकार की मानसिक, पारिवारिक और व्यवसायिक अड़चनें भी दूर होती हैं।

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गणेश चालीसा: एक आध्यात्मिक औषधि

गणेश चालीसा एक ऐसी स्तुति है, जिसमें भगवान गणेश के रूप, गुण, कार्य और महिमा का वर्णन किया गया है। यह चालीसा सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक औषधि है जो जीवन के हर क्षेत्र में चमत्कारी असर डालती है।

गणेश चालीसा में क्या है खास?

  • भगवान गणेश के रूप का सजीव चित्रण

  • उनके जन्म की पौराणिक कथा

  • बुध ग्रह के प्रभाव से मुक्ति

  • बाधाओं को हटाने का सामर्थ्य

  • शनि दोष से मुक्ति की कथा

बुधवार को गणेश चालीसा पाठ करने के फायदे

1. हर प्रकार की विघ्न बाधा दूर होती है

गणेश जी को 'विघ्नहर्ता' यानी बाधाओं को दूर करने वाला देवता कहा जाता है। बुधवार को गणेश चालीसा का पाठ करने से निजी, पारिवारिक, सामाजिक या व्यवसायिक जीवन में आ रही अड़चनें स्वतः समाप्त हो जाती हैं।

2. बुध ग्रह होता है मजबूत

अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है या बुध से जुड़ी कोई समस्या चल रही है, तो बुधवार को गणेश चालीसा पढ़ना अत्यंत लाभकारी होता है। यह बुध ग्रह की शक्ति को बढ़ाकर आपके विचार, संवाद कौशल और व्यापारिक निर्णय को बेहतर बनाता है।

3. पढ़ाई और परीक्षा में सफलता

विद्यार्थियों के लिए यह अत्यंत लाभकारी उपाय है। गणेश जी को विद्या और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। बुधवार को रोज़ाना गणेश चालीसा पढ़ने से परीक्षा में सफलता मिलती है और स्मरण शक्ति बेहतर होती है।

4. कानूनी और सरकारी कार्यों में सहायता

यदि आपके कोर्ट-कचहरी, दस्तावेज़ी, या सरकारी कार्यों में रुकावटें आ रही हैं, तो बुधवार को गणेश चालीसा का पाठ करना इन सभी क्षेत्रों में शुभ परिणाम देता है।

5. घर में सुख-शांति और समृद्धि

गणेश चालीसा का पाठ करते समय वातावरण में पॉजिटिव वाइब्स फैलती हैं। इससे घर में शांति, प्रेम और समृद्धि बनी रहती है।

गणेश चालीसा कैसे पढ़ें – संपूर्ण विधि

  1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें

  2. घर के मंदिर या शांत स्थान में बैठें

  3. भगवान गणेश की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं

  4. ताजे फूल और दुर्वा अर्पित करें

  5. प्रारंभ में गणेश जी का कोई बीज मंत्र बोलें – “ॐ गं गणपतये नमः”

  6. अब श्री गणेश चालीसा का पाठ करें

  7. हर चौपाई के बाद भगवान को दुर्वा या फूल अर्पित करें

  8. अंत में गणेश जी की आरती करें और प्रसाद बांटें

श्री गणेश चालीसा पाठ (Shri Ganesh Chalisa)

॥ दोहा ॥

जय गणपति सदगुण सदन,

कविवर बदन कृपाल ।

विघ्न हरण मंगल करण,

जय जय गिरिजालाल ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय गणपति गणराजू ।

मंगल भरण करण शुभः काजू ॥

जै गजबदन सदन सुखदाता ।

विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।

तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥

राजत मणि मुक्तन उर माला ।

स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।

मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।

चरण पादुका मुनि मन राजित ॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।

गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥

ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।

मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।

अति शुची पावन मंगलकारी ॥

एक समय गिरिराज कुमारी ।

पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।

तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥

अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।

बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।

मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।

बिना गर्भ धारण यहि काला ॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।

पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥

अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।

पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।

लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।

नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।

सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा ।

देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।

बालक, देखन चाहत नाहीं ॥

गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।

उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।

का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।

शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।

बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।

सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।

शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।

काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो ।

प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।

प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।

पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥

चले षडानन, भरमि भुलाई ।

रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।

तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।

नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।

शेष सहसमुख सके न गाई ॥

मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।

करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।

जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥

अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।

अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥

॥ दोहा ॥

श्री गणेश यह चालीसा,

पाठ करै कर ध्यान ।

नित नव मंगल गृह बसै,

लहे जगत सन्मान ॥

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,

ऋषि पंचमी दिनेश ।

पूरण चालीसा भयो,

मंगल मूर्ती गणेश ॥

यह भी जानें: हर मंगलवार जाप करें पंचमुखी हनुमान के ये मंत्र, बुरी नजर से लेकर डर तक सब होगा खत्म

शनि दोष से मुक्ति दिलाता है गणेश चालीसा

गणेश चालीसा में एक प्रसंग शनि देव से जुड़ा हुआ है। कथा के अनुसार, एक बार शनि देव गणेश जी को देखने कैलाश पहुंचे लेकिन उन्होंने दर्शन करने से मना कर दिया क्योंकि उनकी दृष्टि से हानि हो सकती थी। माता पार्वती के आग्रह पर शनि ने जैसे ही गणेश जी को देखा, उनका सिर कट गया।

यह प्रसंग बताता है कि शनि की दृष्टि कितनी प्रभावशाली है। लेकिन अंततः विष्णु जी ने हाथी का सिर लाकर गणेश जी को पुनर्जीवित किया और उन्हें 'गणाध्यक्ष' बना दिया।

इस चालीसा को पढ़ने से शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या जैसी समस्याओं से भी राहत मिलती है।

बुध ग्रह के दोष दूर करने के लिए बुधवार को करें यह उपाय

  1. हरे वस्त्र पहनें

  2. हरी मूंग, हरा धनिया, हरे फल-फूल का दान करें

  3. गौ माता को हरा चारा खिलाएं

  4. गणेश चालीसा का विधिपूर्वक पाठ करें

  5. गणपति को दूर्वा, मोदक और सिंदूर चढ़ाएं

  6. व्रत रखें और नमक न खाएं

बुधवार को गणेश चालीसा का पाठ करने से केवल मानसिक और आत्मिक शांति नहीं मिलती बल्कि कुंडली के दोष भी शांत हो जाते हैं। यह पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी होता है जिनका बुध कमजोर हो या जीवन में बार-बार विघ्न आ रहे हों।

वे बताते हैं कि:

  • सुबह सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के समय पाठ करना श्रेष्ठ होता है।

  • चालीसा पढ़ते समय पूरी श्रद्धा और एकाग्रता होनी चाहिए।

  • पाठ के बाद मौन ध्यान करें और मन में गणपति का आह्वान करें।

बुधवार के दिन श्री गणेश चालीसा का पाठ कौन-कौन कर सकता है?

यह चालीसा हर उम्र, हर वर्ग और हर जाति के लोग पढ़ सकते हैं। चाहे आप विद्यार्थी हों, व्यवसायी, गृहिणी, नौकरीपेशा या वरिष्ठ नागरिक – यह चालीसा सभी के लिए लाभकारी है।

नियमित पाठ से आने वाले बदलाव

यदि आप लगातार 21 बुधवार तक श्री गणेश चालीसा का पाठ करते हैं, तो आपको निम्नलिखित बदलाव अनुभव हो सकते हैं:

  • मानसिक तनाव में कमी

  • आत्मविश्वास में वृद्धि

  • कार्यों में सफलता

  • बिगड़े रिश्तों में सुधार

  • पारिवारिक जीवन में सुख

गणपति से जुड़े अन्य मंत्रों का जप

अगर आप गणेश चालीसा के साथ-साथ कुछ विशेष मंत्रों का जाप भी करना चाहते हैं, तो ये मंत्र भी अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं:

  • ॐ गण गणपतये नमः

  • ॐ विघ्ननाशाय नमः

  • ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गौं गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानाय स्वाहा।

इन मंत्रों का जाप 108 बार करें।

श्री गणेश चालीसा सिर्फ एक स्तुति नहीं, बल्कि एक दिव्य ऊर्जा है जो जीवन की तमाम बाधाओं को हटाकर समृद्धि, बुद्धि और सुख-शांति प्रदान करती है। बुधवार को इसका पाठ करने से बुध ग्रह की कृपा तो मिलती ही है, साथ ही भगवान गणेश का आशीर्वाद भी जीवन में स्थायित्व लाता है।

अगर आप भी जीवन में लगातार अड़चनों, असफलताओं या मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, तो इस बुधवार से श्री गणेश चालीसा का पाठ शुरू करें और देखें कैसे आपके जीवन में धीरे-धीरे बदलाव आता है।

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