
Shree suktam: वर्तमान समय में लोग सुख-समृद्धि की तलाश में अलग-अलग उपायों की मदद लेते हैं ताकि माता लक्ष्मी सभी पर अपना आशीर्वाद बनाएं रखें। सनातन धर्म में देवी लक्ष्मी को सुख-समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त मां लक्ष्मी की पूजा करता है, उन पर माता की विशेष कृपा होती है। कभी भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए मन्त्र जाप करते हैं तो कभी चालीसा का पाठ करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सभी उपायों में से सबसे ज्यादा प्रभावी श्री सूक्त के पाठ को माना जाता है। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए श्री सूक्तम का पाठ करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका पाठ करने से आपके जीवन में धन संबंधी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और आपको धन लाभ के अवसर मिलते हैं। तो चलिए जानते हैं कि श्री सूक्त क्या है और इसके क्या-क्या लाभ हो सकते हैं। साथ ही जानेंगे श्री सूक्तम की सही विधि और महत्व के बारे में।
श्री सूक्तम् को ‘लक्ष्मी सूक्त’ भी कहा जाता है। यह ऋग्वेद के पंचम मंडल में संकलित एक बहुत शक्तिशाली मंत्रों का समूह है, जिसमें कुल 15 श्लोक हैं, और 16वां श्लोक इसके फलश्रुति (पाठ करने के लाभ) के बारे में बताता है।
शास्त्रों के अनुसार, संस्कृत में देवी लक्ष्मी को 'श्री' कहा जाता है, जिसका अर्थ शुभता, ऐश्वर्य और समृद्धि होता है। इसलिए, इस सूक्त का पाठ करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में खुशहाली आती है।
ओम हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्ण-रजत-स्त्रजाम्,
चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आवह।।
तां म आवह जात वेदो, लक्ष्मीमनप-गामिनीम्,
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम्।।
अश्वपूर्वां रथ-मध्यां, हस्ति-नाद-प्रमोदिनीम्,
श्रियं देवीमुपह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम्।।
कांसोऽस्मि तां हिरण्य-प्राकारामार्द्रा ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीं,
पद्मे स्थितां पद्म-वर्णां तामिहोपह्वये श्रियम्।।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देव-जुष्टामुदाराम्,
तां पद्म-नेमिं शरणमहं प्रपद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणोमि।।
आदित्य वर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः,
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः।।
उपैतु मां दैव सखः, कीर्तिश्च मणिना सह,
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिं वृद्धिं ददातु मे।।
क्षुत्-पिपासाऽमला ज्येष्ठा, अलक्ष्मीर्नाशयाम्यहम्,
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वान् निर्णुद मे गृहात्।।
गन्ध-द्वारां दुराधर्षां, नित्य-पुष्टां करीषिणीम्,
ईश्वरीं सर्व-भूतानां, तामिहोपह्वये श्रियम्।।
मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि,
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः।।
कर्दमेन प्रजा-भूता, मयि सम्भ्रम-कर्दम,
श्रियं वासय मे कुले, मातरं पद्म-मालिनीम।।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि, चिक्लीत वस मे गृहे,
निच देवी मातरं श्रियं वासय मे कुले।।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं, सुवर्णां हेम-मालिनीम्,
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो ममावह।।
आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं, पिंगलां पद्म-मालिनीम्,
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो ममावह।।
तां म आवह जात-वेदो लक्ष्मीमनप-गामिनीम्,
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरूषानहम्।।
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा, जुहुयादाज्यमन्वहम्,
श्रियः पंच-दशर्चं च, श्री-कामः सततं जपेत्।।
श्री सूक्तम् के नियमित पाठ से आपको कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। यह न केवल आर्थिक स्तर पर सुधार करता है, बल्कि जीवन के अन्य कई क्षेत्रों में भी सुधार लाता है। आइए जानते हैं इसके प्रमुख लाभ-
आर्थिक तंगी दूर होगी: जो लोग आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं, उनके लिए श्री सूक्तम् का पाठ एक अत्यंत प्रभावशाली उपाय है। यह धन के स्थायी प्रवाह को सुनिश्चित करता है और गरीबी को दूर करता है।
करियर में मिलेगी तरक्की: व्यापारियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए श्री सूक्तम् का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है। इससे व्यवसाय में उन्नति होती है और नौकरी में तरक्की के अवसर बढ़ते हैं।
सौभाग्य की प्राप्ति होगी: यदि किसी व्यक्ति का भाग्य उसका साथ नहीं दे रहा और उसे बार-बार असफलता मिल रही है, तो श्री सूक्तम् का पाठ करने से उसके भाग्य में सुधार आता है।
पारिवारिक कलह की समाप्ति: श्री सूक्तम् का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे पारिवारिक कलह समाप्त होती है और घर के सभी सदस्यों के बीच प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
स्वास्थ्य में सुधार: इस पाठ के प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है। यह चिंता, तनाव और अवसाद को दूर करने में सहायक होता है।
वास्तु दोष और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: श्री सूक्तम् का पाठ करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती और वास्तु दोष भी दूर हो जाता है। यह बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
श्री सूक्तम् का पाठ करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।
पूजन स्थल की शुद्धि करने के लिए सबसे पहले अपने घर के मंदिर को साफ करें और वहां मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
आसन के लिए लाल या गुलाबी कपड़ा बिछाएं, क्योंकि यह रंग मां लक्ष्मी को प्रिय है।
मां लक्ष्मी के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। धूप और अगरबत्ती से वातावरण को सुगंधित करें।
पाठ के समय उचित वस्त्र पहनें। पाठ करने के दौरान सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनना शुभ होता है।
पुष्प और सुगंधित सामग्री अर्पित करें। श्री सूक्तम् पाठ के समय माता लक्ष्मी को कमल का फूल चढ़ाएँ। यदि कमल का फूल उपलब्ध न हो, तो अन्य सुगंधित फूल अर्पित कर सकते हैं।
श्री सूक्तम् का पाठ श्रद्धा और भक्ति भाव से करें। यदि प्रतिदिन पाठ करना संभव न हो, तो शुक्रवार, पूर्णिमा या अमावस्या के दिन अवश्य करें।
श्री सूक्तम् के पाठ के बाद माँ लक्ष्मी की आरती करें। प्रसाद वितरण करें और सभी को माता लक्ष्मी का आशीर्वाद दें।
भगवान विष्णु की पूजा करें। माँ लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। जब भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, तभी माँ लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
शाम का समय श्री सूक्तम् का पाठ करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है। आपको बता दें कि सुबह के समय पाठ करने से पहले स्नान करना आवश्यक है। श्री सूक्तम का पाठ करने के लिए शुक्रवार, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन का विशेष महत्व होता है।
श्री सूक्तम् न केवल आर्थिक समृद्धि प्रदान करने वाला स्तोत्र है, बल्कि यह मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा का भी स्रोत है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएँ धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं और माँ लक्ष्मी की कृपा से सुख-समृद्धि का संचार होता है।
यदि आप अपने जीवन में धन, सौभाग्य और शांति चाहते हैं, तो श्री सूक्तम् का पाठ अवश्य करें और माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करें। अगर आप श्री सूक्त के पाठ से संबंधित कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं या अन्य कोई ज्योतिषीय उपाय जानना चाहते हैं तो आप एस्ट्रोयोगी के विशेषज्ञ ज्योतिषियों से संपर्क कर सकते हैं।