जिस तरह हाथ की पांचों उँगलियाँ समान नहीं होती है, उसी तरह एक साल में आने वाले 365 दिन भी एक बराबर नहीं होते हैं। इसी प्रकार जून के महीने में साल का बड़ा दिन आता है, कब है ये दिन? जानने के लिए पढ़ें साल का सबसे बड़ा दिन 2022 के बारे में।
एक साल में 365 दिन होते है और ये सभी दिन एक समान नहीं होते है, कभी दिन बड़े होते है तो कभी रातें छोटी होती है। कभी रातें बड़ी होती है, तो कभी दिन छोटे। इस तरह पूरे साल में एक दिन ऐसा होता है जिससे साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। एक वर्ष में आने वाला ये बड़ा दिन जून के महीने में आता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वर्ष में जून महीने का चौथा हफ्ता बहुत ही महत्वपूर्ण रहता है। ये दिन खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद खास है।
साल का सबसे बड़ा दिन एक खगोलीय घटना है जो वर्ष में दो बार होती है। उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी गोलार्द्ध। गर्मियों के दौरान आने वाले बड़े दिन को ग्रीष्मकालीन संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है जो जून के चौथे हफ्ते में आती है। ग्रीष्मकालीन संक्रांति अर्थात साल का सबसे लंबा दिन 21 जून, मंगलवार के दिन पड़ेगा। यह घटना सामान्यरूप से हर साल 20 जून से 22 जून के बीच घटित होती है, तो ये इस बात पर निर्भर करती है कि दोपहर में सूर्य सीधे कर्क रेखा के ऊपर होता है। ग्रीष्म संक्रांति को अन्य नामों एस्टीवल सोलस्टाइस या मिडसमर आदि से भी जाना जाता है और शीत ऋतु में आने वाले बड़े दिन को दूसरी शीतकालीन संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
हमारे देश में जून सोल्सटिस को धार्मिक दृष्टि से धार्मिक त्योहार और गर्मी छुट्टी के रूप में मनाया जाता है। दुनिया के सामने इंग्लैंड का स्टोनहेंज ग्रीष्मकालीन संक्रांति के सांस्कृतिक महत्व को प्रदर्शित करता है। यह एक मेगालिथिक संरचना है जो जून सोल्सटिस के क्षण को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, रूस, भारत और चीन आदि देशों में ग्रीष्मकालीन संक्रांति के दौरान गर्मी का समय रहता है, क्योकि यह देश उत्तरी गोलार्द्ध में पड़ते है।
21 जून के दिन को साल का सबसे बड़ा दिन माना गया है और इस दिन सूरज बहुत ऊंचाई पर होता है। 21 दिन के बाद से रात लंबी होने लगती हैं और 21 सितंबर के आते-आते दिन एवं रात एक बराबर हो जाते हैं। इसके बाद 21 सितंबर से रात लंबी होनी का सिलसिला धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और यह प्रक्रिया निरंतर 23 दिसंबर तक चलती है।
खगोल शास्त्रियों के अनुसार, उत्तरी गोलार्द्ध से चलकर सूर्य भारत के बीच से गुजरने वाली कर्क रेखा में आ जाता है, इसलिए इस दिन धरती पर सूर्य की किरणें ज्यादा समय तक पड़ती हैं। इस दिन धरती पर सूर्य की रोशनी लगभग 15-16 घंटे तक पड़ती है और इसी वजह से 21 जून साल का सबसे लंबा दिन बन जाता है। ये दिन कभी-कभी 22 जून को भी हो सकता है। साल का सबसे बड़ा दिन 1975 में 22 जून को था और इसके बाद अब ऐसा 2203 में होगा।
पृथ्वी के द्वारा सूर्य की निरंतर परिक्रमा करने की वजह से ही धरती पर मनुष्यों का जीवन दो भागों अर्थात दिन और रात में विभाजित हो जाता हैं। पृथ्वी का सूर्य के चारों और परिक्रमा का असर पृथ्वी के विभिन्न भागों में अलग-अलग होता हैं। कई स्थानों पर सूर्य की किरणें अधिक देर तक पड़ती हैं, तो कुछ स्थानों पर बहुत कम समय के लिए रहती है। यही वजह है कि विदेशों में जब दिन होता है तो भारत में रात होती हैं।
इस तरह पृथ्वी अपने अक्षांश पर साढ़े 23 डिग्री झुकी होती हैं और इसी अवस्था में सूर्य की परिक्रमा लगाती हैं। सूर्य की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध तथा उत्तरी गोलार्द्ध बार-बार इसके सामने आते हैं जिस कारण से दिन और रात की अवधि घटती और बढती हैं।
22 जून 2022 की ग्रह स्थिति के आधार पर सभी राशियों पर अगले छह महीने के दौरान होने वाले प्रभावों के बारे में बताने जा रहे हैं:
मेष राशि
वृषभ राशि
मिथुन राशि
कर्क राशि
सिंह राशि
कन्या राशि
तुला राशि
वृश्चिक राशि
धनु राशि
मकर राशि
कुंभ राशि
मीन राशि
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✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी