क्यों जरूरी है सूर्य ग्रह की शांति? जानिए सूर्य देव के मंत्र व उपाय

Sat, Jun 08, 2019
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क्यों जरूरी है सूर्य ग्रह की शांति? जानिए सूर्य देव के मंत्र व उपाय

हिंदू धर्म में सूर्य को देवता माना जाता है। संसार के सभी प्राणी इन्हें देख सकते हैं। इसके साथी ही सूर्य ऊर्जा के सबसे बड़े स्त्रोत हैं जिससे हमें भी ऊर्जा मिलती है। इसके साथ ही सूर्य देव के कृपा के बिना हमारा आध्यात्मिक व भौतिक विकास होना संभव नहीं। ज्योतिष शास्त्र में भी सूर्य को महत्वपूर्ण माना गया है। यानी की इनका किसी भी तरह से कमजोर होना हमें सीधे प्रभावित करेगा। तो आइए जानते हैं सूर्य ग्रह का ज्योतिष महत्व क्या है? कुंडली में सूर्य ग्रह से बनने वाले योग, क्यों जरूरी है सूर्य ग्रह की शांति? क्या हैं सूर्य देव के मंत्र व उपाय?

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य व चंद्रमा के आधार पर ही जन्म कुंडली का आकलन किया जाता है। व्यक्ति के जन्म के समय सूर्य जिस राशि में उपस्थित होता है उस राशि को व्यक्ति का लग्न मानकर उसके भविष्य का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इसके अलावा सूर्य ग्रह कुंडली में किस भाव में स्थित हैं इससे भी व्यक्ति अपने जीवन में कितना सफल होगा इसका अनुमान ज्योतिष लगाते है। क्योंकि ज्योतिष में सूर्य को आत्मा व पितृ का कारक माना गया है। सूर्य ग्रह का हमारे सेहत पर सीधा असर पड़ता है। शरीर के महत्वपूर्ण अंग जिसमें आँख, हृदय चेहरा, पेट, को सूर्य अधिक प्रभावित करता है।

कुंडली में सूर्य ग्रह से बनने वाले योग

कुंडली में सूर्य और बुध की युति होने से बुध आदित्य योग बनता है। ज्योतिषियों का कहना है कि यह योग जिस भी भाव में बनता है। उसे मजबूत बनाता है। यदि यह योग आपके पराक्रम भाव में बना है तो यह आपके पराक्रम को मजबूत करेगा। तो वहीं बुध आदित्य योग का करियर के घर में बनने से यह करियर को चमताने का काम करता है। कुंडली में भास्कर योग का बनना भी शुभ माना जाता है। यह व्यक्ति को सुख –समृद्धि व पद प्रतिष्ठा दिलाता है। क्या है आपकी कुंंडली में कोई शुभ योग? जानने के लिए परामर्श करें, देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से।

क्यों जरूरी है सूर्य ग्रह की शांति?

सूर्य ग्रह यदि सही स्थिति में विराजमान हैं तो ये आपको आध्यात्मिक सुख के साथ समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाएंगे। इसके साथ ही सूर्य को नौकरी का भी कारक माना जाता है। अगर सूर्य आपकी कुंडली में शुभ स्थिति में हैं तो ये आपके करियर को आगे ले जाने काम करेंगे। नौकरी में उच्च पद तक ले जाएंगे। यदि आप व्यवसायी हैं तो सूर्य आपके व्यवसाय को बढ़ाने का कार्य करेंगे। इसके अलावा आपका मनोबल ऊंचा रहेगा। आप ऊर्जावान रहेंगे। जिससे आप हर कार्य को करने के लिए तैयार रहेंगे। आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होंगे। आपके मुख पर सूर्य के समान तेज होगा।

यदि सूर्य किसी भी तरह से आपकी कुंडली में पीड़ित हैं तो ये आपको शुभ के बजाय अशुभ फल देंगे। कुंडली में सूर्य ग्रह पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि पड़ने से सूर्य का शुभ प्रभाव अशुभ में बदल जाता है। कुंडली में सूर्य दोष होना आपको आपके करियर में आगे बढ़ने से रोकेगा। आपकी नौकरी भी जा सकती है। कानूनी मामलों में आप उलझ सकते हैं। सेहत के लिहाज से भी सूर्य ग्रह का दोष होना या कमजोर होना आपके पक्ष में नहीं है। सेहत की बात करें तो यह आपके हृदय, नेत्र, उदर को प्रभावित करेगा। इसके अलावा यह आपके पिता के साथ आपका संबंध खराब करेगा। पितृ पक्ष से आपको हानि भी हो सकती है।

सूर्य देव के मंत्र व उपाय

सूर्य दोष कुंडली में है तो इसका आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। यह तो आपको ज्ञात हो ही गया है। लेकिन अब बात करते हैं। सूर्य दोष को कम करने की तथा सूर्य की शांति की। इसके लिए ज्योतिष शास्त्र में सरल व प्रभावी उपाय मौजूद हैं जिनमें से कुछ हम यहां दे रहे हैं। जो आपको लाभ पहुंचाएंगे। परंतु एक बात का ध्यान रहें उपाय सामान्य हैं। आपकी कुंडली के अनुसार ये बदल भी सकते हैं। इसलिए आपको आपकी कुंडली के हिसाब से ही उपायों को अपनाना चाहिए, जिससे आपको जल्दी लाभ हो। कुंडली के अनुसार सूर्य ग्रह शांति उपाय पाने के लिए, परामर्श करें देश के जाने माने एस्ट्रोलॉजर से।

सूर्य ग्रह शांति के उपाय

सूर्य को शांत करने के लिए आप रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर के सूर्य देव को जल दें। इसके अलावा महादेव की आराधना करना भी लाभकारी होगा। रविवार जो कि सू र्यदेव का वार है इस दिन व्रत भी कर सकते हैं। इसके अलावा आप रविवार के दिन गेहूं, घी, ऊन, माणिक का दान भी कर सकते है। कुंडली का आकलन करवा कर रत्न भी धारण करना भी अच्छा रहेगा।

सूर्य ग्रह शांति मंत्र

सूर्य ग्रह शांति के लिए आप सूर्य बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं जो इस प्रकार है- ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः। बीज मंत्र के अलावा इस  ॐ घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना भी लाभकारी है। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। यह सबसे प्रभावी माना जाता है।

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