भारत में तिलक लगाने की परंपरा कब, कैसे और कहां से शुरू हुई इसका कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन यह परंपरा आदिकाल से ही चली आ रही है। आपने अक्सर अनुभव किया होगा कि आयोजनों में आने वाले गणमान्यें का स्वागत- सत्कार तिलक लगाकर ही किया जाता है। विवाहित स्त्री अपने मस्तक पर कुंकुम का तिलक लगाती हैं। शादी- विवाह या मांगलिक कार्यों में घर की महिलाएं एक दूसरे का स्वागत हल्दी व कुंकुम का तिलक लगाकर करती हैं। हिंदू पूजा विधि में तिलक एक प्रमुख अंग है। भारतीय संस्कृति में पूजा, संस्कार विधि, मांगलिक कार्य, यात्रा तथा शुभ कार्यों के प्रारंभ में माथे पर तिलक लगाकर उसे अक्षत से विभूषित करने की प्रथा है। अगर ऐसा न किया जाए तो पूजा व अनुष्ठान का फल व्यक्ति को नहीं प्राप्त होता है।
ऐसा माना जाता है कि मनुष्य के मस्तक के मध्य में भगवान श्री हरि विष्णु निवास करते हैं। इसलिए तिलक ठीक इसी स्थान पर लगाया जाता है। हिंदू सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव तथा अन्य मतों के अलग- अलग तिलक हैं। चंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है, मानव संकटों से बचता है और उस पर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। तिलक लगाने से ज्ञानतंतु संयमित व सक्रिय रहते हैं। तिलक अगर दिन के अनुसार लगाया जाए तो दिन के ग्रह स्वामी से शुभ फल प्राप्त होता है।
यदि व्यक्ति अपने ललाट पर तिलक लगाए तो उसके मन को शांति व शीतलता मिलती है। साथ ही बीटाएंडोरफिन और सेराटोनिन नामक रसायनों का स्राव संतुलित रूप से उचित मात्रा होने लगता है। व्यक्ति में इन रसायनों की कमी से व्यक्ति में उदासीनता और निराशा के भाव पनपने लगते हैं। अत: तिलक उदासीनता व निराशा से मुक्ति प्रदान करने में सहायक है।
व्यक्ति को तिलक लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद उत्तर दिशा की ओर मुख करके माथे पर तिलक लगाया जाना चाहिए। माना जाता है कि अनामिका अंगुली से तिलक करने से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है, तो वहीं मध्यमा से आयु बढ़ाती है। शास्त्रों में अंगूठे से तिलक लगाने को पुष्टिदायक कहा गया है। तर्जनी से तिलक करने पर मोक्ष की प्रप्ति होती है। विष्णु संहिता के अनुसार देव कार्य में अनामिका, पितृ में मध्यमा, ऋषि में कनिष्ठिका तथा तांत्रिक कार्यों में प्रथमा अंगुली का प्रयोग किया जाता है।
तिलक मंत्र -
केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम । पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।।
कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् । ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।
तिलक लगाने से लोगों को कुछ फायदे बड़ी आसानी से मिल जाते हैं। माना जाता है कि तिलक करने से व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है। इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास व आत्मबल में बढ़ोत्तरी होती है। बता दें कि ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने पर मस्तक में तरावट आती है। जिससे आप शांति व सुकून का सुखद अनुभव करते हैं। यह कई तरह की मानसिक बीमारियों से भी हमें बचाने का कार्य करता है।
✍️ By- Team Astroyogi