
क्या आपको अक्सर घर में तनाव, बीमारी या बेचैनी महसूस होती है? क्या आपने कभी सोचा है कि इसका कारण वास्तु दोष भी हो सकता है? वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की दिशा, चीज़ों की स्थिति और ऊर्जा का बहाव हमारे जीवन की सेहत और सुख-शांति पर गहरा असर डालता है। तो सवाल उठता है — क्या हम कुछ आसान वास्तु नियमों को अपनाकर अपने घर को पॉजिटिव एनर्जी से भर सकते हैं? क्या वास्तु शास्त्र केवल घर की सजावट तक सीमित है या ये हमारे हेल्थ और हैप्पीनेस से भी जुड़ा हुआ है?
अगर आप भी इन सवालों का जवाब जानना चाहते हैं और अपने घर में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। जानिए वास्तु शास्त्र के वो 8 जरूरी नियम, जिनका पालन करके आप अपने घर में सुख-शांति, अच्छी सेहत और समृद्धि ला सकते हैं।
वास्तु में उत्तर-पूर्व दिशा को सबसे पवित्र और ऊर्जा देने वाली दिशा माना गया है। इस दिशा को हमेशा साफ-सुथरा और खाली रखना चाहिए।
यहां भारी सामान, डस्टबिन या स्टोर रूम बिल्कुल न बनवाएं।
इस कोने में जल का स्रोत जैसे जलकुंभ, छोटा झरना या एक्वेरियम रखें।
चाहें तो यहां पूजा स्थान भी बनाया जा सकता है।
फायदा: मानसिक तनाव में कमी आती है, घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
किचन यानी रसोईघर सिर्फ खाना बनाने की जगह नहीं, ये घर की ऊर्जा का केंद्र भी है। वास्तु के अनुसार, किचन आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
चूल्हे का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
उत्तर दिशा में किचन नहीं होना चाहिए, इससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
किचन साफ-सुथरा और हवादार होना चाहिए।
फायदा: खाना बनाते समय पॉजिटिव वाइब्स रहती हैं, और शारीरिक सेहत भी बनी रहती है।
नींद हमारी सेहत की रीढ़ है। लेकिन अगर आप गलत दिशा में सिर रखकर सोते हैं तो यह आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
सिर दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर रखें।
उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर सोना बिल्कुल भी सही नहीं माना जाता।
पैरों की दिशा उत्तर या पश्चिम में हो तो बेहतर।
फायदा: नींद गहरी आती है, मानसिक शांति बनी रहती है, और बीमारियां दूर रहती हैं।
घर का दरवाजा केवल लोगों के आने-जाने का रास्ता नहीं होता, यह ऊर्जा के प्रवेश का भी मार्ग होता है।
दरवाजे को हमेशा साफ और सजावटी रखें।
दरवाजे के पास तुलसी का पौधा, स्वस्तिक, ॐ या श्री का चिन्ह लगाना शुभ होता है।
टूटे दरवाजे या चिटकनी को तुरंत ठीक करवाएं।
फायदा: घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है, और बीमारियों व मानसिक समस्याओं से राहत मिलती है।
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बाथरूम और टॉयलेट अगर गलत दिशा में बने हों, तो यह सेहत और घर की उन्नति दोनों पर असर डाल सकते हैं।
दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम दिशा को टॉयलेट के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
उत्तर-पश्चिम दिशा भी उपयुक्त है।
गलत दिशा में टॉयलेट होने पर उसमें नमक या कपूर रखें, यह नकारात्मक ऊर्जा को कम करता है।
फायदा: बीमारियों से बचाव होता है और मानसिक तनाव में कमी आती है।
घर की ऊर्जा को सकारात्मक और शुद्ध बनाए रखने के लिए पौधे लगाना एक आसान लेकिन प्रभावशाली उपाय है।
तुलसी को उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।
एलोवेरा, स्नेक प्लांट और मनी प्लांट जैसे पौधे घर में जरूर लगाएं।
कैक्टस और कांटेदार पौधों से बचें, ये नकारात्मक ऊर्जा लाते हैं।
फायदा: वातावरण शुद्ध रहता है, और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
घर में संतुलन बनाए रखने के लिए फर्नीचर और सामान की स्थिति का भी ध्यान रखना जरूरी है।
दक्षिण-पश्चिम कोना स्थिरता का प्रतीक होता है।
यहां भारी सामान जैसे अलमारी, तिजोरी या सोफा रखें।
इस कोने को हल्का न रखें, इससे अस्थिरता आती है।
फायदा: जीवन में स्थिरता आती है, रिश्ते मजबूत होते हैं और स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
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पुरानी, खराब या टूट चुकी चीजें घर में नकारात्मकता लाती हैं। ये चीजें ऊर्जा को रोकती हैं और बीमारियों को न्योता देती हैं।
टूटी घड़ी, बंद पड़ी घड़ी, टूटे शीशे, बेकार इलेक्ट्रॉनिक सामान हटा दें।
महीने में एक बार घर की सफाई करें और अनुपयोगी वस्तुएं निकालें।
कबाड़ जमा करने से मानसिक तनाव बढ़ता है।
फायदा: घर हल्का और पॉजिटिव बनता है, और स्वास्थ्य पर अच्छा असर होता है।
वास्तु शास्त्र सिर्फ घर की दिशा या डिजाइन तक सीमित नहीं है, यह हमारे पूरे जीवन को प्रभावित करता है। सही दिशा में सोना, भोजन करना, पूजा करना या पौधे लगाना — ये सब छोटे-छोटे बदलाव हमारे जीवन में बड़ी सकारात्मकता ला सकते हैं।
अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में हमेशा सुख-शांति और सेहत बनी रहे, तो ऊपर बताए गए आठ वास्तु नियमों को अपने जीवन में जरूर अपनाएं। साथ ही, समय-समय पर किसी अनुभवी वास्तु विशेषज्ञ से घर की ऊर्जा का आकलन करवा लेना भी लाभकारी होता है।
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