विदेश जाने की चाह हर किसी के मन में होती है। कोई घूमने जाना चाहता है तो कोई पढ़ाई करने के लिए। लेकिन बहुतों का यह सपना कभी साकार नहीं हो पाता है। लेकिन क्या कभी आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि ऐसा क्यों हुआ? जब बात आती है विदेश यात्रा की तो लोग अक्सर कहते मिलते हैं कि यह तो किस्मत की बात है। भाग्य में लिखा होगा तो जाएंगे। बात तो सही है परंतु भाग्य को बनाया भी तो जा सकता है। क्या वाकई भाग्य को बनाया जा सकता है? जी हां बनाया जा सकता है लेकिन कुछ हद तक। ऐसा आप ज्योतिष शास्त्र की सहायता से कर सकते हैं। जो आपके नसीब में नहीं है उसे कुछ हद तक पाने में कामयाब हो सकते हैं। लेकिन कैसे यह भी सवाल है जिसका जवाब आपको आगे इस लेख में मिलने वाला है।
ज्योतिषाचार्यों की माने तो आपकी विदेश जाने की इच्छा तभी पूरी हो सकती है जब आपकी कुंडली में विदेश योग बने। बिना योग के आप विदेश नहीं जा सकते हैं। आपकी कुंडली में विदेश योग है की नहीं। यह तो आप अपने कुंडली का आकलन करवाने के बाद ही जान सकते हैं। क्या है आपकी कुंडली में विदेश जाने के योग? जानने के लिए बात करें देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि कुंडली में ऐसे कई ग्रह संयोग हैं जिनके बनने से आपकी विदेश जाने की इच्छा पूरी हो सकती हैं। लेकिन इसके लिए आपकी कुंडली में सारे ग्रह सही स्थान पर होने चाहिए। ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का सही जगह पर होना तो ठीक है लेकिन इनका प्रबल होना भी आवश्यक है। ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि कुंडली में यदि सारे ग्रह अपने सही स्थान पर हैं लेकिन वे कमजोर हैं तो ऐसी स्थिति में आपको योग का लाभ नहीं मिलेगा। इसके साथ ही आपकी कुंडली में विदेश यात्रा के कारक भाव पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि पड़ने पर भी योग प्रभावी नहीं हो पाता है। कुल मिलाकर आपको अपने कुंडली में योग व ग्रहों की शक्ति को बढ़ाने की जरूरत है।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में विद्धमान शुभ ग्रहों की शक्ति बढ़ायी जा सकती है। लेकिन इसके लिए आपको कुछ ज्योतिषीय उपाय करने होंगे। जिन्हें करने से आपके शुभ ग्रह प्रभावी होंगे। आपको योग का पूर्ण लाभ मिल सकेगा। परंतु इसके लिए आपको ज्योतिषीय परामर्श लेने की आवश्यकता है। क्योंकि बिना परामर्श के आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं। ज्योतिषियों का मानना है कि उपाय यदि सही से किया जाए तो कुंडली में ग्रह की स्थिति का अच्छा परिणाम मिलता है। यहां आपको कुंडली का आकलन करवाने की सलाह इसलिए दी जा रही है क्योंकि कुंडली के हिसाब से ग्रहों की स्थिति व उपाय बदल जाते हैं। सामान्य ज्योतिषीय उपाय से आपको मन चाहा लाभ नहीं होगा।
कुंडली में विदेश यात्रा का योग बनने का भाव नवां व बारहवां माना जाता है। परंतु इसके अलावा भी कुंडली में कई भाव हैं जिनमें अनुकूल योग बनने से आप विदेश जा सकते हैं। ज्योतिषियों का मानना है कि लग्नेश का सप्तम भाव में आना विदेश जाने का सबसे प्रबल योग बनाता है। अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा – राहु का संबंध किसी भी भाव में बन रहा है तो यह आपको विदेश यात्रा करवा सकता है। दशम व द्वादश भाव के स्वामियों का आपस में संबंध बन रहा है तो यह भी आपके लिए विदेश जाने का योग बनाता है। लेकिन इन पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि पड़ने से इनका प्रभाव कम हो जाता है। जिससे आपको इनसे लाभ नहीं होगा। क्या आप भी विदेश जाने की इच्छा रखते हैं तो देर किस बात की अभी एस्ट्रोयोगी एस्ट्रोलॉजर से बात करें और जाने अपने विदेश यात्रा से जुड़ी हर एक जानकारी।